पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पहली बार स्वीकार किया कि वर्ष 2013 में भारतीय जनता पार्टी के साथ 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ने के पीछे उस समय प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनाए गए नरेन्द्र मोदी को लेकर उनकी आशंकाएं थी लेकिन वह सही साबित नहीं हुई।
कुमार से यहां एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में जब यह पूछा गया कि नरेन्द्र मोदी की साम्प्रदायिक छवि के कारण वर्ष 2013 में उनकी पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) से अलग हो गयी और अब ऐसा क्या हुआ कि उनकी पार्टी फिर से उसके साथ हो गई, इसपर उन्होंने कहा कि उस समय की परिस्थिति अलग थी और उस समय मोदी को लेकर उन्हें आशंकाएं थी लेकिन वह सही साबित नहीं हुई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी पार्टी का भाजपा के साथ काफी लंबे समय से गठबंधन रहा है। वर्ष 2013 में भाजपा से अलग होने का फैसला उस समय की परिस्थिति के अनुसार लिया था इसलिए उस फैसले को गलत कहना ठीक नहीं होगा। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी वर्ष 1996 में जब राजग के साथ थी उस समय भी धारा 370, राम मंदिर तथा समान नागरिक संहिता पर उनकी पार्टी और भाजपा के विचार भिन्न थे, आज भी है लेकिन दोनों पार्टियां बिहार के विकास के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत एक साथ हुई।
कुमार से जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचारधाराओं से सहमत होने के संबंध में सवाल किया गया तब उन्होंने कहा कि वह संघ की विचारधारा से कैसे सहमत हो सकते हैं। हालांकि उन्होंने कहा कि 1925 से संघ अपने तरीके से काम कर रहा है और उसमें अपने काम के प्रति प्रतिबद्धता दिखती है। आज यही कारण है कि भाजपा पूर्वोत्तर में भी अपनी पैठ बनाने में कामयाब हो गई जहां हिन्दुओं की आबादी कम है।
मुख्यमंत्री से जब यह पूछा गया कि क्या विरोधाभास नहीं है कि राममनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर और जयप्रकाश नारायण की विचारधारा पर चलने वाली उनकी पार्टी आरएसएस की विधारधारा वाली भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रही है, इस पर उन्होंने कहा कि इसमें कोई विरोधाभास नहीं है। वह बिहार के विकास की गति को तेज करने के लिए भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। वह कभी भी अपराध, भष्टाचार और साम्प्रदायिकता से समझौता नहीं कर सकते हैं।
कुमार ने एक सवाल के जवाब में कहा कि केन्द्र और राज्य की सरकार को लेकर जितनी भी नकारात्मक बातें कही जा रही है उसका कोई असर चुनाव पर पड़ने वाला नहीं है। उन्होंने रफाल सौदे को लेकर कांग्रेस की ओर से किए जा रहे हमले के संबंध में कहा कि इस बारे में संसद में चर्चा के दौरान सरकार ने हर मुद्दे पर जवाब दे दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस सौदे में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होने की बात कही है ।इसके बाद अब यह कोई मुद्दा नहीं रह गया है।
मुख्यमंत्री से जब यह पूछा गया कि क्या वह भी इस मामले में सरकार को क्लीन चिट दे रहे हैं, तब उन्होंने कहा कि वह इतने बड़े आदमी नहीं हैं कि किसी को क्लीन चिट दे सकें। उन्होंने आगामी लोकसभा चुनाव में राजग की भारी जीत का दावा करते हुए कहा कि अब तक वह देखते आये है कि जब भी नकारात्मक बातें होती हैं तो चुनाव के नतीजे सकारात्मक होते हैं।
वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय त्रिशंकु विधानसभा होने की बात कहीं जा रही थी लेकिन जब चुनाव का परिणाम आया तब राजग को 243 में 206 सीट मिली थी। एक बात और थी कि उस समय रामविलास पासवान की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी राजग में नहीं थीं लेकिन इस बार उनकी पार्टी राजग के साथ है तो जीत और बड़ी होगी।