नई दिल्ली। सशस्त्र सेनाओं ने आज एक बार फिर स्पष्ट किया कि तीनों सेनाओं में जवानों की भर्ती की नई योजना अग्निपथ पूरी तरह पुरानी भर्ती प्रक्रिया के समान होगी और इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है, साथ ही सेना में रेजिमेंट व्यवस्था भी बरकरार रहेगी।
सशस्त्र सेनाओं की ओर से यह भी कहा गया कि यह पायलट परियोजना नहीं है और इसे निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार अंजाम तक पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सेनाओं का अखिल भारतीय चरित्र बरकरार रहेगा और भर्ती रैली पूरे देश में आयोजित की जाएंगी तथा देश के किसी भी जिले को इससे अछूता नहीं छोड़ा जाएगा।
सैन्य मामलों के विभाग में अतिरिक्त सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने वायु सेना, नौसेना और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ दो दिन बाद ही मंगलवार को एक बार फिर मीडिया से मुखातिब हुए। उन्होंने रविवार को भी अग्निपथ योजना के बारे में मीडिया से विस्तार से बात की थी।
सशस्त्र सेनाओं ने भर्ती प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू करने का खाका पेश किया और कहा कि जवानों की भर्ती के समय भर्ती मानदंडों में किसी तरह का समझौता नहीं किया जाएगा और हर कसौटी पर सर्वश्रेष्ठ साबित होने वाले उम्मीदवारों को ही चुना जाएगा।
ले़ जनरल पुरी ने कहा कि अग्निपथ योजना गहन विचार मंथन और व्यापक विचार विमर्श के बाद लाई गई है। उन्होंने कहा कि सेनाओं ने इस योजना पर विचार विमर्श के लिए 150 बैठकें की जो 500 घंटे चली, रक्षा मंत्रालय के स्तर पर 60 बैठकें हुई जो 150 घंटे हुई इसके अलावा सरकार में भी इस बारे में 44 बैठकें हुई जो 100 घंटे तक चली।
उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना के तहत भर्ती किए जाने वाले अग्निवीरों की ट्रेनिंग भी मौजूदा जवानों की तर्ज पर ही होगी और इसमें भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। अग्निवीरों के लिए आयोजित परीक्षा के सिलेबस में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है और यह पहले की तरह रहेगा।
उन्होंने कहा कि इसे पायलट परियोजना नहीं कहा जा सकता क्योंकि सेना पहले कुछ वर्षों में 40 से 50 हजार और बाद में प्रतिवर्ष 90 हजार तथा उससे भी अधिक अग्निवीरों की भर्ती करेगी।
उन्होंने कहा कि यह कदम तीनों सेनाओं में चरणबद्ध तरीके से किए जा रहे सुधारों की प्रक्रिया के तहत उठाया गया है। इन सुधारों के बल पर ही सेनाओं में कमान अधिकारियों की आयु में पिछली व्यवस्था की तुलना में पांच वर्ष की कमी आई है।
इन सुधारों के तहत ही सेनाओं में एकीकरण तथा प्रमुख रक्षा अध्यक्ष के पद का सर्जन किया गया है। उन्होंने कहा कि अग्निपथ योजना का एकमात्र उद्देश्य सेना को युवा बनाकर जवानों की औसत उम्र 32 से घटकर 24 से 26 उम्र करना है।
तीनों सेनाओं के अधिकारियों ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया अगले कुछ दिनों में शुरू हो जाएगी तथा इसके तहत भर्ती किए जाने वाले अग्निवीरों का प्रशिक्षण दिसम्बर के अंत में शुरू होकर अगले वर्ष जुलाई तक समाप्त होने का कार्यक्रम तैयार किया गया है। सेना अग्निवीरों की भर्ती के लिए 80 से भी अधिक रैलियों का आयोजन करेगी।
उन्होंने कहा कि यह राहत की बात है कि देश के कई हिस्सों यह विश्वसनीय जानकारी मिली है कि युवाओं ने भर्ती के लिए तैयारी शुरू कर दी है और वह मैदानों में पसीना बहा रहे हैं।