जम्मू। जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को पिछले वर्ष कथित तौर पर पथराव करने और मानव ढाल के रूप में सेना के वाहन में बांधे जाने वाले युवक को मुआवजा देने से इंकार करने पर राज्य सरकार पर निशाना साधा।
राज्य विधानसभा में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए शोपियां में सेना के विरुद्ध दर्ज एफआईआर को वापस लेने के बारे में कहती है जबकि सरकार सेना के जीप के बॉनेट में मानव ढाल के रूप में बांधे गए युवक को मुआवजा तक दिलाने में असफल हो जाती है।
उन्होंने कहा कि फारूक अहमद बीरवाह (अब्दुल्ला के विधानसभा क्षेत्र) का एक मतदाता था लेकिन उसे सेना के जीप में बांधा गया क्योंकि उसे उस क्षेत्र में देखा गया था, जहां युवा जवानों पर पथराव कर रहे थे। जीप में अहमद को बांधने वाले सेना के मेजर को इनाम दिया गया, लेकिन आपके मतदाता को मुआवजा नहीं दिया गया।
विपक्षी नेता ने कहा कि उस युवक के लिए मानव ढाल के रूप में प्रयोग किए जाने से अच्छा उसका पथराव करने वाला बन जाना होता, कम से कम अलगाववादी संगठन तो उसे अपने समूह में शामिल कर लेते। अब्दुल्ला ने कहा कि लेकिन, वह अब बीच में फंसा है।
इससे पहले, मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को अपने लिखित जवाब में कहा था कि सेना के वाहन पर एक युवक को बांधकर ले जाने के मामले में युवक को मुआवजा देने का मतलब सेना के अधिकारी की बिना सुनवाई के निंदा करना होगा।