चेन्नई। मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 40 वर्षों में 48 दिनों से अधिक समयावधि के लिए भगवान अठी वरदार के कपाट खोलने जाने संबंधी याचिका खारिज दी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह पौराणिक मान्यताओं एवं धार्मिक आस्था से जुड़ा मसला है। इसलिये इस मामले में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
याचिकाकर्ता बसंत कुमार दक्षिण भारत हिंदू महासभा के सदस्य हैं। कुमार ने अपनी याचिका में मांग की है कि मात्र 48 दिन तक दर्शन के लिए खुलने वाले भगवान अठी वरदार के कपाट की समय अवधि बढ़ाई जाए लेकिन न्यायमूर्ति मणिकुमार एवं सुब्रमणियम की संवैधानिक पीठ ने राज्य सरकार का पक्ष जानने के बाद याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया।
राज्य सरकार ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि 10 वर्षों में केवल एक बार ही भगवान अठी वरदार के कपाट दर्शन को खोले जा सकते हैं। सुरक्षा कारणों से 40 वर्षों में केवल 48 दिनों के लिये एक बार ही भगवान वरदार की प्रतिमा को मंदिर टैंक से बाहर निकाला जा सकता है और इसी समय अवधि के दौरान ही भगवान वरदार की प्रतिमा के दर्शन किए जा सकते हैं। इस पर न्यायालय ने भी स्पष्ट कर दिया कि मंदिर में भगवान अठी वरदार के दर्शन की समयावधि नहीं बढ़ाई जा सकती।
याचिकाकर्ता ने दायर याचिका में कहा कि वह 28 जुलाई को कांचीपुरम में भगवान वर्द्धमान पेरुमल के दर्शन करने गये लेकिन मंदिर में अधिक भीड़ होने के कारण वे भगवान के दर्शन नहीं कर सके। इसलिये उन्होंने भगवान के दर्शन की समयसीमा बढ़ाने की मांग को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर की।
भगवान अठी वरदार के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए एक जुलाई को खोले गए और आज कपाट बंद कर दिए गए। भगवान अठी वरदार के दर्शन के बाद उनकी प्रतिमा को चांदी की मंजूषा में रख फिर से टेम्पल टैंक में रख दिया गया है जिसे अब 2059 में ही दुबारा 48 दिनों के लिए दर्शन को टैंक से बाहर निकाला जाएगा। उसके बाद ही श्रद्धालु फिर भगवान अठी वरदार के दर्शन कर सकेंगे।
इस बार 31 जुलाई से एक अगस्त के बीच कपाट खुलने पर एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने भगवान अठी वरदार की प्रतिमा के दर्शन किए।