Warning: Constant WP_MEMORY_LIMIT already defined in /www/wwwroot/sabguru/sabguru.com/18-22/wp-config.php on line 46
हिजाब के बारे में कुरान कुछ नहीं कहता : कर्नाटक सरकार - Sabguru News
होम Karnataka Bengaluru हिजाब के बारे में कुरान कुछ नहीं कहता : कर्नाटक सरकार

हिजाब के बारे में कुरान कुछ नहीं कहता : कर्नाटक सरकार

0
हिजाब के बारे में कुरान कुछ नहीं कहता : कर्नाटक सरकार

बेंगलूरु। कर्नाटक हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ के सामने अपनी प्रस्तुतियां रखते हुए मंगलवार को राज्य की ओर से महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि कुरान हिजाब के बारे में कुछ नहीं बताता है।

नवदगी ने कहा कि मैं पवित्र कुरान का विशेषज्ञ नहीं हूं। हम कुरान का अंग्रेजी अनुवाद करने में सक्षम हैं। मैं जिस पुस्तक का जिक्र कर रहा हूं वह पवित्र कुरान है, जिसका अनुवाद पाकिस्तान के एक वकील अब्दुल्ला यूसुफ अली ने किया है। उन्हें भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा शायरा बानो मामले में सभी पक्षों की सहमति से संदर्भित किया गया है।

क़ुरान डॉट कॉम की सूरह 24 की आयात 31 का हवाला देते हुए नवदगी ने कहा कि ईमान वाली महिलाओं से कहो कि वे अपनी निगाहें नीची करें और अपनी पवित्रता की रक्षा करें और सामान्य रूप से दिखने वाली खूबसूरती को न दिखाएं।

इस पर मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने कहा कि यह बाहरी परिधान एक लंबे गाउन के बारे में बात करता है। यह केवल साफा के बारे में नहीं है। आपके कहने का मतलब है कि कुरान के जिस भी हिस्से पर उन्होंने (याचिकाकर्ता) भरोसा किया है। हिजाब के बारे में नहीं बोलते। जिसपर नवदगी ने हां कहा।

नवदगी ने स्पष्ट किया कि शिक्षण संस्थानों के कैंपस में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। बल्कि यह केवल कक्षा में और कक्षा के दौरान लागू होता है। यह सभी पर सामान रूप से लागू होता है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।

मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी और न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की पीठ राज्य में मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई कर रही थी। जिसमें दावा किया गया है कि उन्हें सरकारी आदेश के कारण हिजाब (सिर पर स्कार्फ) पहनने पर कॉलेजों में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है।

नवदगी ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है। यदि यह अनिवार्य नहीं है तो यह आवश्यक नहीं है। इसलिए, यह आवश्यक धार्मिक अभ्यास के दायरे में नहीं आता है।

उन्होंने तर्क दिया कि यदि एक अदालत के आदेश के माध्यम से हिजाब पहनना धार्मिक स्वीकृति बन जाता है, तो मुस्लिम महिलाएं इसे पहनने के लिए बाध्य हो जाएंगी, जिसमें वे भी शामिल हैं, जो इसे नहीं पहनना चाहती हैं और अपनी पसंद का तत्व गायब हो जाएगा।

उन्होंने यह भी तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं का यह रुख कि हिजाब पहनने का अधिकार अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है, जो पारस्परिक रूप से विनाशकारी था। इस मामले में बुधवार दोपहर 2:30 बजे फिर से बहस होगी।

हिजाब मामला : जज के खिलाफ ट्वीट करने पर अभिनेता चेतन अहिंसा अरेस्ट