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जल जीवन मिशन ‘राइट टू वॉटर’ के समान : गजेन्द्र सिंह शेखावत - Sabguru News
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जल जीवन मिशन ‘राइट टू वॉटर’ के समान : गजेन्द्र सिंह शेखावत

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जल जीवन मिशन ‘राइट टू वॉटर’ के समान : गजेन्द्र सिंह शेखावत

नई दिल्ली। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में गुरुवार को कहा कि जल जीवन मिशन आम आदमी के लिए ‘जल की नियमित उपलब्धता के अधिकार’ के समान है।

सन 2024 तक देश के हर घर में नल के माध्यम से जल पहुंचाने की योजना पर सरकार काम कर रही है। दरअसल, मथुरा से भाजपा सांसद हेमामालिनी ने ‘राइट टू वॉटर’ को संविधान के मौलिक अधिकारों में शामिल किए जाने का मत रखा था।

लोकसभा के शीतकालीन सत्र में इसी वर्ष पारित किए डैम सेफ्टी बिल पर भी चर्चा हुई। जलशक्ति मंत्री ने चर्चा के दौरान बताया कि बांधों की सुरक्षा का प्रश्न पिछले चार दशक से देश के सामने खड़ा है। सर्वोच्च न्यायालय के अधीन बनी समितियां बांधों की सुरक्षा का जायज़ा लेने के लिए उनका मुआयना करने जा रही हैं।

चर्चा के दौरान सालों से केरल और तमिलनाडु के बीच विवाद का विषय रहे मुल्लापेरियार बांध से जुड़ी गतिविधियों पर भी केंद्रीय मंत्री ने प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार तत्कालीन उपायों पर कार्य पूरा किया जा चुका है। सुरक्षा की दृष्टि से मुल्लापेरियार बांध के पास एक वैकल्पिक बांध बनाने की संभावना को लेकर जल शक्ति मंत्री ने वन और पर्यावरण मंत्रालय का उल्लेख किया।

उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर ये स्पष्ट किया है कि ऐसे किसी भी निर्माण के लिए दोनों राज्यों की आपसी सहमति आवश्यक है, लेकिन जल राज्य का विषय होने के कारण जल संसाधनों के प्रबंधन से जुड़े किसी भी निर्माण के लिए राज्य सरकार भारत सरकार को प्रतिवेदन देने के लिए स्वतंत्र है।

डैम सेफ्टी बिल

डैम सेफ्टी बिल भारत में बांधों की सुरक्षा के लिए एकीकृत तंत्र का प्रावधान है। इस बिल को पारित कराने के लिए 2018 में भाजपा सरकार ने प्रयास किया गया था लेकिन ये बिल लोकसभा भंग हो जाने की वजह से पास नहीं हो पाया। बीते अगस्त में ‘डैम सेफ्टी बिल-2019’ लोकसभा में पेश हुआ और ध्वनिमत से पारित हुआ। बिल में प्रस्तावित प्रावधान देश के उन सभी बांधों पर लागू होंगे, जिनकी ऊंचाई 15 मीटर से अधिक है या 10-15 मीटर के बीच है।

क्या है तमिलनाडु और केरल का विवाद

मुल्लापेरियार केरल की जमीन पर बना है, लेकिन इसका नियंत्रण और देख-रेख तमिलनाडु के लोक निर्माण विभाग के हाथ में है। केरल के इडुक्की जिले में आठ हजार एकड़ जमीन पर बना यह बांध 116 साल पुराना है, जिसे त्रावणकोर के तत्कालीन राजा ने मद्रास प्रेसिडेंसी को नौ सौ निन्यानवे साल की लीज पर दिया था।

इस बांध से दोनों राज्यों को लाभ हुआ है, लेकिन समस्या यह है कि इडुक्की समेत केरल के कई जिलों के लोग अब इस बांध को एक बड़े खतरे के रूप में देखते हैं। केरल की सभी राजनीतिक पार्टियां और सामाजिक संगठन चाहते हैं कि मुल्लापेरियार की जगह दूसरा बांध बनाया जाए।

केरल सरकार ने यह पेशकश भी कर दी है कि वह अपने खर्चे से नया बांध बनाने और यह सुनिश्चित करने को तैयार है कि अभी तमिलनाडु को जितना पानी मिल रहा है, उसमें कोई कमी नहीं होगी। लेकिन तमिलनाडु की राजनीतिक पार्टियों को यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं है। उनका मानना है कि केरल के राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन बेवजह खतरे का माहौल बनाकर अपने राज्य के लोगों को भड़का रहे हैं।