स्टॉकहोम। हेपेटाइटिस के उपचार में बड़ा योगदान देने के लिए तीन वैज्ञानिकों को वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार देने की घोषणा की गई है।
नोबेल पुरस्कार देने वाली समिति ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि इस वर्ष का नोबेल पुरस्कार उन तीन वैज्ञानिकों को प्रदान किया जाएगा जिन्होंने रक्त-जनित हेपेटाइटिस के खिलाफ लड़ाई में निर्णायक योगदान दिया है। यह एक प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है जो दुनिया भर के लोगों में सिरोसिस और यकृत कैंसर का कारण बनती है।
समिति ने बताया कि वैज्ञानिक हार्वे जे आल्टर, माइका हॉगटन और चार्ल्स एम राईस ने उन कणों की खोज की है जिससे हेपेटाइटिस सी वायरस की पहचान हो सकती है। इस खोज से पहले अन्य वैज्ञानिकों ने हेपेटाइटिस ए और बी वायरस होने की खोज में काफी प्रगति की थी लेकिन रक्त-जनित हेपेटाइटिस के मामलों में अभी भी कई असुलझे प्रश्न हैं।
हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज ने क्रोनिक हेपेटाइटिस के शेष मामलों के कारण का पता लगाया और रक्त परीक्षण और नई दवाओं को संभव बनाया जिसने लाखों लोगों की जान बचाई है।
हेपेटाइटिस दरअसल वायरल संक्रमण के कारण होता है और हालांकि शराब का दुरुपयोग, पर्यावरण विषाक्त पदार्थों और ऑटोइम्यून रोग भी इस बीमारी से ग्रस्त होने के कई महत्वपूर्ण कारण हैं।
समिति ने इस खोज को लेकर कहा कि वायरल बीमारियों के खिलाफ जारी लड़ाइयों में हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। खोज के लिए तीनों वैज्ञानिकों का धन्यवाद। वायरस के लिए अत्यधिक संवेदनशील रक्त परीक्षण अब उपलब्ध हैं। उनकी खोज ने हेपेटाइटिस सी पर निर्देशित एंटीवायरल दवाओं के तेजी से विकास में भी सहायता की है और विश्व में पहली बारी हेपेटाइटिस सी बीमारी का उपचार किया जा सकेगा।