अजमेर। उत्तर पश्चिम रेलवे पर पर्यावरण अनूकुल रेल संचालन के लिए ब्राडगेज लाइनों का विद्युतीकरण कार्य तीव्र गति से किया जा रहा है। रेलवे द्वारा सभी रेलवे ट्रेक को पर्यावरण अनूकुल विद्युतीकृत करने की दिशा में वर्ष 2014 के पश्चात् उत्तर पश्चिम रेलवे को विद्युतीकरण कार्यों के लिए पर्याप्त बजट का आवंटन किया गया।
पर्याप्त बजट की उपलब्धता और लक्ष्यानुसार कार्य करते हुए उत्तर पश्चिम रेलवे पर विगत 9 वर्षों में कुल 3531 रूट किलोमीटर मार्ग के विद्युतीकरण कार्य पूर्ण किया जा चुका है, जो कि उत्तर पश्चिम रेलवे के कुल 5490 रूट किलोमीटर का 64 प्रतिशत से अधिक है।
उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार महाप्रबन्धक विजय शर्मा के दिशा-निर्देशन में उत्तर पश्चिम रेलवे पर रेल विद्युतीकरण के कार्य तीव्र गति से किये जा रहे हैं तथा दिसम्बर 2023 तक सभी रेलखण्डों को विद्युतीकृत करने के लक्ष्य पर प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रहा है।
उत्तर पश्चिम रेलवे पर अब तक कुल 5490 में से 3531 रूट किलोमीटर रेल लाइन पर विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्ष वित्तीय वर्ष 2022-23 में अब तक 667 रूट किलोमीटर रेलखण्ड के विद्युतीकरण पूर्ण कर लिया गया है। वर्ष 202-23 में लूनी–समदड़ी, मावली–भिंडर, उदयपुर सिटी –खारवा चंदा, सीकर–चूरू एवं बिरधवाल–लूणकरणसर रेलखण्डों का विद्युतीकरण पूर्ण किया गया है।
हाल ही में आए रेल बजट में विद्युतीकरण परियोजनाओं को पूर्ण गति देने के लिए उत्तर पश्चिम रेलवे को 1217 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। साथ ही अन्य विद्युत कार्यों के लिए लगभग 68 करोड रुपए स्वीकृत किये गए हैं। इस बजट के प्रावधान से उत्तर पश्चिम रेलवे पर निश्चित रूप से लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया जाएगा।
वर्ष 2022-23 में उत्तर पश्चिम रेलवे का जयपुर मंडल 100% विद्युतीकृत हो चुका है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्तमान में 2526 किलोमीटर ट्रेक के विद्युतीकरण का कार्य प्रगति पर है तथा वर्ष 2023-24 में शेष 1959 किलोमीटर रेलमार्ग के विद्युतीकरण का कार्य पूरा कर लिया जाएगा। उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्तमान में कुल 94 जोडी यात्री रेलसेवाएं इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर संचालित हो रही है। रेलवे पर सम्पूर्ण विद्युतीकरण होने से यात्रियों को बहुत से फायदे होगे, जिनमें प्रमुख है-
1. डीजल इंजन के धुएं से होने वाले प्रदुषण से मुक्ति
2. विद्युत इंजनों की लोड क्षमता अधिक होने के कारण अधिक भार वहन
3. अधिक ट्रेनों का संचालन संभव
4. ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी