अजमेर। ऑल इंण्डिया रेलवेमैन्स फैडरेान ने वर्षो से संघर्ष करके सेवारत एवं सेवानिवृत्त रेल कर्मचारियों व उनके परिवारजन के लिए पेंशन और चिकित्सा सुविधाएं प्राप्त की हैं। सरकार इस जिम्मेदारी से भागना चाहती है और शेयर मार्केट आधारित नई पेंशन स्कीम और मेडीकल बीमा के तहत्, चिकित्सा सुविधाओं की प्रणाली लागू कर रही है, इसका यूनियन पुरजोर विरोध करती है।
नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉईज यूनियन के कार्यकर्त्ता-सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए ऑल इंडिया रेलवेमैन्स फैडरेान के महासचिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि नई पेंशन स्कीम से युवा रेल कर्मचारियों का भविष्य अन्धकारमय हो रहा है। प्रति वर्ष 300 से अधिक रेल कर्मचारी अपनी जान देकर भारतीय रेल का संचालन करते हैं। ऐसे में भारतीय सेना की तरह, भारतीय रेल के कर्मचारियों के लिए भी गारन्टीड पुरानी पेंशन योजना लागू की जाएं।
मिश्रा ने कहा कि भारतीय रेल के सेवारत एवं सेवानिवृत्त रेल कर्मचारी और उनके परिवारजनों के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं। देशभर में 125 रेलवे अस्पतालों में 14000 बैड उपलब्ध हैं। इसके अतिरिक्त 133 प्राईवेट अस्पतालों से भी चिकित्सा सुविधा प्राप्त हो रही है। रेलवे अस्पतालों में डॉक्टर, योग्य पैरा मैडीकल स्टॉफ, चिकित्सा उपकरण उपलब्ध हैं।
कोविड काल में भी रेलवे अस्पतालों ने सराहनीय सेवाएं दी हैं। रेल मंत्रालय इस सुविधा को समाप्त करके चिकित्सा बीमा योजना प्रारम्भ करने की कवायद करके, उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा समाप्त करना चाहती है। यह स्वीकार्य नहीं है।
कार्यकर्त्ता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए गोपाल मिश्रा ने बजट सत्र् में सरकार से पुरानी पेंशन स्कीम के तहत् पेंशन की गारन्टी के साथ आयकर की दरों को कम करके युक्तिसंगत बनाने, रूके हुए महंगाई भत्ते का एक जनवरी 2020 से एरियर सहित भुगतान करने, रात्रि ड्यूटी भत्ते पर लगाई रोक हटाने, देावासियों को सस्ती, सुगम व सुरक्षित यातायात का संसाधन भारतीय रेल के अस्तित्व को बचाये रखने के लिए रेल मंत्रालय को पर्याप्त बजटीय समर्थन दिया जाए।
नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे एम्पलॉईज यूनियन के जोनल अध्यक्ष अनिल व्यास और महासचिव मुकेश माथुर ने कार्यकर्ता सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय रेल के कर्मचारियों ने कोविड अवधि में भी जान की बाजी लगाई, रेलों का संचालन किया, इस अवधि में गत वर्ष की तुलना में 18 प्रतिात अधिक माल लदान किया है। ट्रैक का रखरखाव सुदृढ़ करके मालगाड़ियों की स्पीड दुगुनी की है।
कर्मचारियों के खून पसीने से सीचीं भारतीय रेल का सरकार निजीकरण करने पर आमदा है। इसका पुरजोर विरोध किया जा है। उन्होंने कहा कि कोविड काल में प्राईवेट तेजस एक्सप्रेस मुनाफा नहीं मिलने पर बन्द हो गई, लेकिन सरकारी रेल गाडी मजदूर स्पेाल, कोविड स्पेाल के नाम से चलती रही।
सरकार वर्तमान में नियमित गाड़ियों का संचालन नहीं करके, स्पेाल रेल गाड़ियों के नाम से जनता से अधिक किराया वसूल रहीं है, ताकि प्राईवेट गाडियों के किराये से तुलना करने पर जनता को भ्रमित किया जा सके। लेकिन जनता यह जान चुकी है। यूनियन रेल बचाओं-देश बचाओ आन्दोलन के माध्यम से निजीकरण के विरोध के लिए आम जनता को साथ लेकर संघर्ष करेगी।
कर्मचारी सम्मेलन को यूनियन के मंडल अध्यक्ष मोहन चेलानी, मंडल सचिव अरूण गुप्ता कोषाध्यक्ष विपुल सक्सैना, जगदीश सारिका जैन ने भी सम्बोधित किया। सम्मेलन में एलएन मीना, जयसिंह कुलेहरी, राजीव शर्मा, बलदेव सिंह, केके वर्मा, राकेश लाल, शक्ति सिंह बाघ, कमलेश शर्मा, महेन्द्र गोदारा, मुध खण्डेलवाल, रमेश निम्बोडिया, संजय चतुर्वेदी, महेश परमार, राजकुमार, अखिलेश चारण, हेमराज भाटी, संजीव अरोड़ा, स्वेता हैरिस, उषा जैन, नेहा गुर्जर, पारूल माथुर, सहित सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे। सम्मेलन का संचालन मंडल सचिव अरूण गुप्ता ने और अध्यक्षता मंडल अध्यक्ष मोहन चेलानी ने की।