गुवाहाटी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि केंद्र सरकार केवल असम को घुसपैठियों से मुक्त नहीं कराना चाहती है बल्कि इस समस्या से पूरे देश को निजात दिलाना चाहती हैं ।
असम के दो दिन के दौरे पर आए शाह ने सोमवार को दूसरे दिन पूर्वोत्तर विकास परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्यों ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर(एनआरसी) पर चिंता व्यक्त की है कि काफी लोग छूट गए हैं और गहनता से काम होना चाहिए । उन्होंने कहा, “ मैं सभी को आश्वस्त करना चाहता हूं कि एक भी घुसपैठिया न असम में रह पाएगा, न ही दूसरे राज्यों में क्योंकि हम सिर्फ असम को घुसपैठियों से मुक्त नहीं करना चाहते हैं बल्कि पूरे देश को घुसपैठियों से मुक्त करना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा कि असम के चुनाव के बाद जब परिषद का विचार आया तो इस पर सहयोगियों के साथ विचार विमर्श किया गया । तब यह बात निकल सामने आई कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) का विस्तार नीचे स्तर तक ले जाना है तो पूर्वोत्तर विकास परिषद का गठन किया गया और 2016 में इसकी स्थापना की तरफ कदम बढ़ाया गया । वर्ष 2016 में परिषद के लिए जो बीज बोया गया वह आज विशाल वट वृक्ष बनकर पूरे पूर्वोत्तर को अपनी छांव दे रहा है ।
गृह मंत्री ने कहा कि देश के आजाद होने के बाद से 2014 तक कांग्रेस ने पूर्वोत्तर में भाषा, जाति, संस्कृति ,क्षेत्र विशेष के आधार पर झगड़े पैदा किए और यह पूरा क्षेत्र अशांति का गढ़ बन गया । उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर में विकास की जगह भ्रष्टाचार को अहम जगह देने का काम कांग्रेस ने किया । पूर्वोत्तर में आतंकवाद की समस्या को सुलझाने की बजाय कांग्रेस ने इसे और फैलाया और अपना राज बना रहे ऐसी नीति पर चलते रहे । कांग्रेस ने फूट डालो और राज करो वाली नीति ही अपनाई थी ।
देश के प्रत्येक राज्य को अभिन्न अंग बताते हुए शाह ने कहा कि इस भावना को यदि प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचाना था तो ये बहुत जरुरी था कि पूर्वोत्तर को कांग्रेस से मुक्त बनाया जाये। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों ने परिषद को स्वीकार किया और हाल के आम चुनाव में 25 सीटों में से 19 पर परिषद ने जीतकर नरेंद्र मोदी की झोली में डाली। छोटे.छोटे दलों की भावनाओं को समझकर उन्हें परिषद से जोड़ा गया है । त्रिपुरा में तीन चौथाई बहुमत मिलने के बावजूद सरकार में सहयोगियों को शामिल किया गया जो यह दर्शाता है कि परिषद किस दिशा में आगे बढ़ रही है।
पूर्वोत्तर को देश के लिए फेफड़ों के समान बताते हुए गृह मंत्री ने कहा यहां देश का 26 प्रतिशत भाग वन क्षेत्र है जो देश को आक्सीजन देने का काम करता है। उन्होंने कहा कि एक समय पूर्वोत्तर की पहचान आतंकवाद,घुसपैठ , मादक पदार्थ ,भ्रष्टाचार और जनजाति तनाव के रुप में थी, किंतु पिछले पांच साल में केंद्र की सरकार ने यहां विकास, कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचा, खेल और शांति की दिशा में आगे बढ़ने पर जोर दिया ।
जम्मू.कश्मीर के विशेष राज्य का दर्जा का खत्म करने का जिक्र करते हुए शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 अस्थायी प्रावधान था और अनुच्छेद 371 विशेष प्रावधान है । यह पूर्वोत्तर का अधिकार है और इसे कोई छूने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सीमा पर जिस प्रकार से आहत करने वाली हरकतें चल रही हैं, उस पर सरकार कठोर होने जा रही है । मादक पदार्थ तस्करों,हथियारों की तस्करी और मानव तस्करी के खिलाफ केंद्र सरकार कठोर कदम उठाने जा रही है।