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Notification from Meof for eco sensitive zone imposed in 54 villages of sirohi district viraled on social media - Sabguru News
होम Sirohi Aburoad वायरल नोटिफिकेशन: सिरोही जिले के 54 गांवों में भी माउंट आबू जैसे ईको सेंसेटिव ज़ोन!

वायरल नोटिफिकेशन: सिरोही जिले के 54 गांवों में भी माउंट आबू जैसे ईको सेंसेटिव ज़ोन!

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वायरल नोटिफिकेशन: सिरोही जिले के 54 गांवों में भी माउंट आबू जैसे ईको सेंसेटिव ज़ोन!
सोशल मीडिया पर वायरल नोटिफिकेशन में माउंट आबू वन्यजीव सेन्चुरी के चारों तरफ निर्धारित ईको सेंसेटिव ज़ोन की सीमा का सेटेलाइट नक्शा।
सोशल मीडिया पर वायरल नोटिफिकेशन में माउंट आबू वन्यजीव सेन्चुरी के चारों तरफ निर्धारित ईको सेंसेटिव ज़ोन की सीमा का सेटेलाइट नक्शा।
सोशल मीडिया पर वायरल नोटिफिकेशन में माउंट आबू वन्यजीव सेन्चुरी के चारों तरफ निर्धारित ईको सेंसेटिव ज़ोन की सीमा का सेटेलाइट नक्शा।

परीक्षित मिश्रा
सबगुरु न्यूज-सिरोही। सोशल मीडिया पर प्रदेश के प्रशासनिक अधिकारियों के समूहों में सिरोही जिले के 54 गांवों के आंशिक और पूर्ण हिस्सों में ईको सेंसेटिव ज़ोन लागू किये जाने का केंद्रीय वैन एवं पर्यावरण मंत्रालय का 11 नवम्बर 2020 का नोटिफिकेशन वायरल हो रहा है।

इसके अनुसार माउंट आबू के बाद अब केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने सिरोही जिले के आबूरोड, रेवदर और पिंडवाड़ा तहसीलों के सीमित क्षेत्रों को ईको सेंसेटिव ज़ोन घोषित (ईएसजेड) कर दिया है। ये बफर जोन होगा।
वायरल नोटिफिकेशन के अनुसार माउंट आबू वन्यजीव अभ्यारण्य की सीमा के चारों तरफ अलग-अलग दिशाओं में ये ईको सेंसेटिव ज़ोन 100 मीटर से 6.08 किलोमीटर क्षेत्र तक ये लागू रहेगा। ईको सेंसेटिव ज़ोन में शामिल इलाकों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां प्रतिबंधित रहेंगी वहीं निर्माण गतिविधियों समेत कुछ गतिविधियां नियंत्रित रहेंगी। ये वायरल नोटिफिकेशन सही है तो अब इन इलाकों में पिछले कई समय से अटका भू रूपांतरण का कार्य प्रगति में आ सकेगा।
-आठों दिशाओं में ये होंगी ईएसजेड की सीमाएं
वायरल नोटिफिकेशन के अनुसार बफर जोन में रेवदर, पिंडवाड़ा और आबूरोड तहसील के कई क्षेत्र शामिल रहेंगे।  माउंट आबू वन्यजीव सेन्चुरी की सीमा के आठों दिशाओं में बफर जोन की सीमा अलग अलग है।
उत्तर दिशा में नितोड़ा/नानरवाड़ा से तेलपिखेड़ा तक बफर जोन में इको सेंसेटिव ज़ोन की सीमा 1 किलोमीटर तक होगी।
उत्तर पूर्व में फूलाभाई खेड़ा गांव, कछोली से नितोड़ा/ नानारवाड़ा तक 1 किलोमीटर तक ईको सेंसेटिव जिन होगा।
पूर्व में क्यारा से पंचदेवल गांवों तक ईएसजेड कि सीमा 1 किलोमीटर होगी।
दक्षिण पूर्व में दानवाव गांव में माउंट आबू वन्यजीव सेंच्युरी में कई सीमा से 100 मीटर तक होगी, जो कि सबसे कम है।
दक्षिण में गिरवर, चंदेला, अम्बाबेरी, मूँगथला और धामसरा से ईएसजेड की सीमा 1 किलोमीटर होगी।
दक्षिण पश्चिम में धवली से थोड़ा पलड़ी तक ईएसजेड कि सीमा 1 किलोमीटर तथा फतेहपुर, सकोडा, बहादुरपुरा गांवों में एक सेंसटिव जोन की सीमा 6.08 किलोमीटर है, इसमें चोटिला और मूलिया महादेव गांव भी शामिल है।
पश्चिम में सरलिया से अनादरा तक, डाक तक ईएसजेड की सीमा 1 किलोमीटर होगी।
वहीं माउंट आबू वन्यजीव अभ्यारण्य की सीमा से उत्तर पश्चिम दिशा में थैली खेड़ा से टोकरा गांव तक, हड़मतिया से सरलिया तक ईएसजेड कि सीमा 1 किलोमीटर होगी।

-तीनों तहसीलों के इन 54 गांवों में लगा ईएसजेड
जो नोटिफिकेशन वायरल हो रहा है उसके अनुसार केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा सिरोही जिले में माउंट आबू वन्यजीव अभ्यारण्य की सीमा से सटे पिंडवाड़ा, रेवदर और आबूरोड तहसीलों के 54 गांव शामिल किए गए हैं।
इसके अनुसार पिंडवाड़ा तहसील के नानारवाड़ा, नितोड़ा, उबेरा, नागपुर, पंचदेवल, मंडवाड़ा, खोखरी खेड़ा, काछोली, फूला बाई खेड़ा, उडवारिया, दंता, पीपेला, कोटरा, महीखेड़ा, इसरा और खंड संख्या दो शामिल हैं।

इसी तरह रेवदर तहसील में हड़मतिया,  अनादरा, डॉक, धनेरी, परलीखेड़ा, मूलिया खेड़ा, धवली, सिंगराली खेड़ा, बरारी खेड़ा, बारी खेड़ा, पादरू खेड़ा, टोकरा, क्यारिया और सरलिया ईको सेंसटिव जोन में शामिल किया गया है।
वहीं आबूरोड तहसील के क्यारा, झामर, भक्योरजी,  बगेरी, अमबाबेरी, चंदेला, फतेहपुरा, सकोड़ा, बहादुरपुरा, चोटिला, वन चोटिला, मूलिया महादेव, गिरवर, मुंगथला, धामसरा, वाजना, समारवा का गोलिया, तलवार का नाका, गणका, सुमरनी, दानवाव आमथला और मुदारला गांव शामिल हैं।

– ये गतिविधियां होंगी नियंत्रित
25 जून 2009 को माउंट आबू नगर पालिका क्षेत्र को भी ईको सेंसेटिव जोन घोषित किया जा चुका है। ईको सेंसेटिव जोन की अवधारणा एक शॉक ऑब्जर्वर की तरह की गई है। जिससे संरक्षित वन क्षेत्र शुरू होने से पहले से ही सम्बंधित वन क्षेत्र की वनस्पतियों और वन्यजीवों के संरक्षण का कार्य किया जा सके। वायरल नोटिफिकेशन के अनुसार माउंट आबू वन्यजीव सेन्चुरी के बीचोंबीच स्थित माउंट आबू में ईको सेंसेटिव ज़ोन लागू होने के बाद इसकी बाहरी सीमा से सटे गांवों को भी इसमें शामिल कर लिया गया है।

इन गांवों में वाणिज्यिक खनन, प्रदूषण उतपन्न करने वाली इकाइयों की स्थापना, वृहद जल विद्युत परियोजना, किसी परिसंकटमय पदार्थों के उपभोग व उत्पादन, नई आरा मिलों और ईंट भटटों की स्थापना, मछली पकड़ना आदि प्रतिबंधित रहेगा।
वहीं वाणिज्यिक और होटल व रिजॉर्ट स्थापना , प्रदूषण उत्पन्न करने वाली इकाई, वृक्ष कटाई, वन उत्पादों का एकत्रीकरण, विद्युत और संचार टॉवर का परिनिर्माण और केबल बिछाना, सड़कों को चौड़ा करना और नई सड़क निर्माण समेत करीब 20 से ज्यादा गतिविधियों पर रेगुलेटेड नियंत्रण रहेगा।

– बनेगा जोनल मास्टर प्लान
वायरल नोटिफिकेशन के अनुसार सिरोही जिले के  54 गांवों के जिन क्षेत्रों को इको सेंसेटिव ज़ोन में शामिल किया गया है, इनमें विकास की गतिविधियों के लिए एक जोनल मास्टर प्लान (आंचलिक महायोजना) बनाया जाएगा। इस जोनल मास्टर प्लान के आने तक यहां की सभी गतिविधियों के लिए एक निगरानी समिति बनाई गई है।

-मॉनिटरिंग कमेटी गठित
सिरोही जिले की आबूरोड, रेवदर और पिंडवाड़ा तहसील के जिन 54 गांवों को ईएसजेड में शामिल किया गया है उनमें प्रतिबंधित और नियंत्रित गतिविधियों की निगरानी के लिए एक निगरानी समिति गठित की गई है।
वायरल नोटिफिकेशन के अनुसार सिरोही के जिला कलेक्टर इसके अध्यक्ष होंगे और माउंट आबू वन्यजीव सेंच्युरी से उप वन संरक्षक इसके सदस्य सचिव रहेंगे। इनके अलावा माउंट आबू, पिंडवाड़ा और रेवदर के उपखंड अधिकारी, माउंट आबू के वन्यजीव वार्डन, आबूरोड नगर पालिका का अध्यक्ष तथा आबूरोड, रेवदर और पिंडवाड़ा के प्रधान इसके सदस्य होंगे। इनके अलावा राज्य सरकार द्वारा नामित तीन सदस्य होंगे। मोनिटरिंग कमेटी का निश्चित कार्यकाल होगा। इसमे नामित सदस्यों की संख्या परिवर्तित होगी।

-पहले की थी शून्य सीमा
देश के सभी वन्य जीव अभयारण्यों और सेंच्युरी के चारों ओर ईको सेंसटिव ज़ोन बनाने का निर्णय 2002 में लिया गया।
21 जनवरी 2002 को राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन स्ट्रेटेजिक 2002 को अपनाया गया। इसके तहत देश के सभी नेशनल पार्क और सेंच्युरी के चारों ओर 10 किलोमीटर के इलाके में ईको फ्रेगिल क्षेत्र चिन्हित करने का निर्णय किया गया। 6 फरवरी 2002 को एडीजी फॉरेस्ट (वाइल्ड लाइफ) ने देश के सभी राज्यो के चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन और मुख्य सचिवों को इसके निर्धारण के लिए पत्र लिखा।
लंबे समय तक इसका निर्धारण नहीं करने से गोआ फाउंडेशन ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई।  इस पर निर्णय देते हुए 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई। 2012 के फिर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रिपोर्ट मांगी। इसके बाद सभी राज्य सरकारें हरकत में आई।
इसी के बाद सिरोही जिले के माउंट आबू वन्यजीव सेन्चुरी के चारों ओर बफर जोन के निर्धारण के लिए जिला कलेक्टर बन्नालाल के कार्यकाल में बैठक हुई थी। इसमें आये रेवदर, पिंडवाड़ा और आबूरोड के सभी जनप्रतिनिधियों ने शून्य किलोमीटर तक बफर जोन रखने पर सहमति जताते हुए रिपोर्ट राज्य सरकार और केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेजी। लेकिन  सुप्रीम कोर्ट द्वारा शून्य किलोमीटर ईको फ्रेगिल ज़ोन निर्धारित करने के इसी तरह के मामलों में पहले ही आपत्ति जता दिए जाने के बाद इस रिपोर्ट को निरस्त करके पुनः सीमा निर्धारण के निर्देश दिए गए।
फिर जिला कलेक्टर सन्देश नायक के नेतृत्व में हुई बैठक में इसका पुनर्निर्धारण करके भेजा गया।वायरल हो रहे केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के 11 नवम्बर 2020 के नोटिफिकेशन के अनुसार इस रिपोर्ट में भी कुछ संशोधन के बाद सिरोही जिले के 54 गांवों के माउंट आबू वन्यजीव सेन्चुरी से सटे 100 मीटर से 6.08 किलोमीटर तक के इलाकों को ईको सेंसेटिव ज़ोन घोषित कर दिया।

-इनका कहना है…
सोशल मीडिया पर ईएसजेड का नोटिफिकेशन वायरल तो हो रहा है। 11 नवम्बर का है। लेकिन, हम लोगों के पास आधिकारिक रूप से चेनलाइस तरीके से अभी तक नहीं आया है। केंद्रीय वन मंत्रालय से राज्य सरकार के पास और राज्य सरकार से फारवर्ड होकर आधिकारिक तरीके से हमारे पास आएगा।
भगवती प्रसाद
जिला कलेक्टर, सिरोही।