नई दिल्ली। केंद्र सरकार गैंगस्टर अबू सलेम के प्रत्यर्पण के समय पुर्तगाल सरकार को दिए गए उस आश्वासन का पालन करेगी जिसमें उसे भारत में मौत सजा या 25 वर्षों से अधिक तक कारावास की सजा नहीं देने का वचन दिया गया है।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सोमवार को हलफनामे के जरिए उच्चतम न्यायालय को बताया कि केंद्र सरकार 17 दिसंबर 2002 को गैंगस्टर अबू सलेम के प्रत्यर्पण पर पुर्तगाल के अधिकारियों को दिए गए आश्वासन का पालन करेगी। भारत सरकार ने उस समय पुर्तगाल सरकार को वचन दिया था कि उपयुक्त चरण में सलेम को या तो मौत की सजा या 25 वर्ष से अधिक कारावास नहीं दिया जाएगा।
हालांकि, उन्होंने कहा कि हमारे देश में न्यायपालिका स्वतंत्र है और प्रासंगिक कानूनों के आधार पर मामलों का फैसला करती है। वह कार्यपालिका के किसी भी किसी भी मत के प्रति बाध्य नहीं हो सकती है।
हलफनामे में कहा गया है कि केंद्र सरकार के अपने आश्वासन का सम्मान करने का सवाल तभी उठेगा जब 25 साल की अवधि समाप्त हो जाएगी। वह स्थिति 10 नवंबर 2030 को आएगी। उससे पहले दोषी-अपीलकर्ता उक्त आश्वासन के आधार पर कोई तर्क नहीं दे सकता।
भल्ला ने 1962 के प्रत्यर्पण अधिनियम का उल्लेख करते कहा कि यह एक ऐसा कानून है जो देश की कार्यपालिका को आरोपी और दोषी व्यक्तियों के प्रत्यर्पण के लिए दूसरे देश से निपटने में सक्षम बनाता है।
जवाब में कहा गया है कि ये कार्यकारी शक्तियां हैं और ऐसी शक्तियों का प्रयोग करते समय यह एक अंतर्निहित समझ है कि यह संबंधित राज्यों की कार्यपालिका बाध्य करेगा।
शीर्ष अदालत के समक्ष 1993 के मुंबई सीरियल बम विस्फोट मामले में एक टाडा अदालत द्वारा सात सितंबर 2017 को अबू सलेम को दी गई उम्रकैद की सजा पर सवाल उठाया गया था।
भल्ला ने सलेम की उस याचिका पर अदालत के सवाल का लिखित जवाब दाखिल किया। अपने जवाब में उन्होंने कहा कि आश्वासन का पालन न करने के बारे में सलेम का तर्क ‘समय से पहले’ है, जो ‘काल्पनिक अनुमान’ पर आधारित है। वर्तमान अदालती कार्यवाही में कभी नहीं उठाया जा सकता है।