नई दिल्ली। कोरोना वायरस से संक्रमण की समस्या के बीच बिहार सरकार पहली बार अपना उत्कृष्ट उत्पाद जर्दालू आम और शाही लीची सुरक्षित तरीके से लोगों को उनके घरों पर उपलब्ध कराएगी।
राज्य का उद्यान विभाग डाक विभाग के सहयोग से 25 मई से रसीली शाही लीची और एक जून से हर आयु के लोगों के लिए उपयुक्त माने जाने वाले जर्दालू आम उपलब्ध कराएगा। किसान उत्पादक समूह (एफपीओ) के माध्यम से सबसे पहले शाही लीची मुजफ्फरपुर और पटना तथा जर्दालू आम भागलपुर एवं पटना शहर के लोगों को मिलेगी।
राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र मुजफ्फरपुर के निदेशक विशाल नाथ और बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर (भागलपुर) के निदेशक कृषि विस्तार रविन्द्र कुमार सोहाने ने बताया कि राज्य में पहली बार किसान उत्पादक समूह के माध्यम से लोगों को बागों के ताजे और बेहतरीन रसीले फल उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। लीची भेजने की तैयारी पूरी कर ली गई है जबकि आम की तैयारी अंतिम चरण में है।
डॉ नाथ और डॉ सोहाने ने बताया कि बेहतरीन किस्म के फलों की छंटाई कर उसकी पैकिंग की जाएगी और एक निश्चित समय सीमा के अंदर डाक विभाग लोगों को उनके घरों में इसे उपलब्ध कराएगा। पैकिंग में सूखे घास, पत्तियों और कागज का उपयोग किया जाएगा ताकि फल सुरक्षित रहें।
सरकार कोरोना संक्रमण की बढ़ रही समस्या के कारण चाहती है कि लोगों की गतिविधियां कम हो और उन्हें सुरक्षित तरीके से मौसमी फलाें का आनंद भी मिले जिसके कारण यह प्रयोग किया गया है। उल्लेखनीय है कि जर्दालू आम और शाही लीची को उनकी विशेषताओं के कारण जीआई टैग (विशेष भौगोलिक पहचान) मिला हुआ है।
बिहार में इस बार लीची और आम की अच्छी फसल है और इसे पड़ोसी राज्यों में बड़ी मात्रा में उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। प्रशासन लॉकडाउन की बाधाओं को भी दूर करने के प्रयास कर रहा है ताकि देश के अन्य हिस्सों में भी इसे आसानी से पहुंचाया जा सके।
भागलपुर के एफपीओ संचालक और प्रगतिशील किसान अशोक चौधरी ने बताया कि इस बार जितनी मात्रा में भागलपुर के मशहूर जर्दालू आम की मांग की जाएगी उसकी आपूर्ति के हर संभव प्रयास किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि हाल में आई आंधी से आम की फसल को कुछ नुकसान हुआ है इसके बावजूद गुणवत्तापूर्ण फल उपलब्ध हैं।
रसीला सुगंधित जर्दालू आम अगात किस्म का है जो पकने पर गहरे पीले रंग का हो जाता है। यह देखने में बेहद आकर्षक और कम मीठा होता है जिसके कारण इसे मधुमेह के पीड़ित लोग भी खा सकते हैं। वैसे इस आम के सुपाच्य होने के कारण इसे सभी उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त माना गया है। प्रारंभिक योजना के अनुसार लीची और आम को एक निश्चित समय सीमा के अंदर एक निश्चित मात्रा में उपलब्ध कराया जाएगा।