सबगुरु न्यूज। चीन के तनाव के बीच केंद्र की मोदी सरकार के लिए अच्छी खबर है। वर्ष 2014 से भाजपा और एनडीए लोकसभा में पूर्ण बहुमत के साथ विराजमान है। अभी तक आपने देखा होगा कि मोदी सरकार को कई महत्वपूर्ण विधेयकों को राज्यसभा से पास कराने के लिए अन्य दलों पर निर्भर रहना पड़ा है। अभी तक केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण बिल इसीलिए पास नहीं हो सके या देर से हुए क्योंकि उच्च सदन में भाजपा के पास बहुमत नहीं था, इसी कारण 6 वर्षों में मोदी सरकार को राज्यसभा यानी उच्च सदन में बहुमत न होने पर कई बार बैकफुट पर भी आना पड़ा है। लेकिन अब राज्यसभा में भाजपा और एनडीए की ताकत बढ़नी शुरू हो गई है।
हम बात कर रहे हैं अभी पिछले दिनों देशभर में 18 राज्यसभा सीटों के लिए हुए चुनावों में भाजपा ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की है। वहीं कांग्रेस को 4 सीटोंं पर सफलता मिली है। बाकी अन्य क्षेत्रीय दलों के खाते में गई है। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा मेंं अब भाजपा की संख्या बढ़कर 86 हो गई है। वहीं कांग्रेेस की 41 हो गई है। हम बात करें तो अब उच्च सदन में भाजपा केे पास कांग्रेस से दोगुने से भी अधिक सांसद हो गए हैं। अगर हम भाजपा के साथ एनडीए दलों की भी संख्या जोड़़ दे तो राज्यसभा में उसका आंकड़ा 101 सदस्यों का हो जाता है। इसके बावजूद अभी भी भारतीय जनता पार्टी को उच्च सदन में बहुमत हासिल करने के लिए और इंतजार करना पड़ेगा, वैसे अभी मोदी सरकार के समक्ष वहां किसी गंभीर संख्यात्मक चुनौती का सामना करने की चुनौती नहीं है। बात करें कांग्रेस और यूपीए की तो वह भी अब 65 सीटों के साथ राज्यसभा मजबूत होकर उभरी है।
राज्यसभा में पिछले 30 वर्षों से किसी भी दल का नहीं रहा बहुमत
बता दें कि राज्यसभा में पिछले 30 वर्षों से किसी भी दल का पूर्ण बहुमत नहीं हो पाया है। इन तीन दशक में चाहे भाजपा की सत्ता रही हो या कांग्रेस की, दोनों को राज्यसभा में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए छोटे और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों पर निर्भर रहना पड़ा है या विपक्षी दलों के साथ मिलकर आम सहमति बनानी पड़ी है। हालांकि 1990 के पहले तक इस सदन में कांग्रेस का बहुमत होता था।
अधिकांश राज्यों में उसकी सरकारें थीं, लेकिन इसके बाद से स्थिति बिल्कुल बदल गई। उत्तर प्रदेश, बिहार और गुजरात जैसे बड़े राज्य उसके हाथ से निकल गए, जहां अभी तक उसकी वापसी नहीं हो सकी है। यही नहीं कांग्रेस के हाथ से महाराष्ट्र आंध्र प्रदेश की सत्ता भी हाथ से निकल गई है। यही कारण है उसके राज्य सभा में सदस्य भी धीरे-धीरे कम होते चले गए। भारतीय जनता पार्टी भी कई राज्यों में अपना जनाधार नहीं बढ़ा सकी यही कारण है कि उसके राज्यसभा में सदस्यों की संख्या उतनी गति से नहीं बढ़ सकी जितनी कि लोकसभा में बढ़ी है।
राज्यसभा में अभी भी मोदी सरकार को बहुमत के लिए और इंतजार करना होगा
भले ही उच्च सदन में भाजपा और एनडीए की सीटें 101 हो गई हैं लेकिन अभी उसे बहुमत के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। अगर एनडीए गठबंधन को भी जोड़ लें तो यह 101 हो जाती है। राज्यसभा में पहली बार एनडीए की संख्या 100 से ऊपर पहुंची है। लेकिन अभी भी राज्यसभा में बहुमत के लिए 22 सदस्यों की संख्या कम है। भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को यदि बीजू जनता दल एआईएडीएमके और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी जैसे दलों का समर्थन मिलता है तो उसके पास बहुमत का पर्याप्त आंकड़ा है और वह संसद में महत्वपूर्ण कानून बनाने की स्थिति में आ जाएगा।
गौरतलब है कि केंद्र में किसी भी दल की सरकार के लिए राज्यसभा में भी बहुमत का होना मजबूत स्थित मानी जाती है। पिछले वर्ष की बात करें तो मोदी सरकार के लिए ट्रिपल तलाक, नागरिकता कानून संशोधन और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को राज्यसभा से पारित कराने के लिए बहुत ही खास रणनीति बनानी पड़ी थी। हालांकि इस स्थिति से भाजपा की सरकार उबर रही है, लेकिन अभी भी बहुमत के लिए मोदी सरकार को इंतजार करना पड़ेगा।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार