उज्जैन। मध्यप्रदेश के लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने आज यहां बताया कि प्रदेश सरकार ने महाकालेश्वर मंदिर में वीआईपी कल्चर समाप्त करने की घोषणा थी और वे इसका पालन कर रहे हैं।
महाकालेश्वर मंदिर के विकास को लेकर केबिनेट मंत्रियों की उच्च स्तरीय समिति की यहां आयोजित बैठक में वर्मा ने कहा कि महाकालेश्वर मंदिर का विकास ईमानदारी के साथ किया जाएगा।
इस बैठक में बैठक में जनसम्पर्क एवं विधि विधायी मंत्री पीसी शर्मा ने कहा कि महाकालेश्वर मंदिर का नया एक्ट तैयार हो रहा है, जिसमें कई तरह के सुधार किए जा रहे हैं। इस एक्ट में नियम बनाने के अधिकार सरकार के पास होंगे।
इसके साथ ही मंदिर के प्रबंधन की व्यवस्था को भी ठीक किया जाएगा। उन्होंने कहा कि उज्जैन शहर का पौराणिक इतिहास है, समृद्ध संस्कृति है। इसे ध्यान में रखते हुए उज्जैन का विकास किया जाएगा। विकास कार्य में स्थानीय लोगों को भी शामिल किया जाएगा।
इस अवसर पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री जयवर्धन सिंह ने कहा कि भगवान महाकालेश्वर के शिखर दर्शन में किसी तरह की बाधा उत्पन्न नहीं हो। इसके लिए यह सुनिश्चित किया जाएगा और आसपास के भवनों की ऊंचाई शिखर से कम हो। इसके लिए अतिशीघ्र टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग द्वारा निर्देश जारी किए जाएंगे।
उन्होंने बताया कि आगामी सितंबर-अक्टूबर माह में कुछ जनप्रतिनिधियों को काशी विश्वनाथ मन्दिर, तिरूपति मन्दिर और सोमनाथ मन्दिर की व्यवस्थाओं का अवलोकन करने के लिए भेजा जाएगा।
बैठक में प्रदेश के मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहन्ती ने कहा कि उज्जैन में आने वाले श्रद्धालुओं का विभाजन दो तीन श्रेणियों में किया जा सकता है। इसमें कुछ लोग केवल एक दिन के लिए आते हैं और कुछ लोग एक-दो दिन रूकने के विचार से यहां आते हैं।
उन्होंने कहा कि उनका प्रयास होगा कि ऐसे श्रद्धालुओं को विशेष सुविधा मिले जो यहां केवल एक दिन के लिए आते हैं। इसके लिये कार्य योजना तैयार की जा रही है। सोमनाथ और अमृतसर में जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल्स यात्रियों के परिवहन के लिए उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उसी तरह की व्यवस्था यहां भी करने के प्रयास किए जाएंगे। उज्जैन के विकास कार्य में क्षिप्रा के रामघाट सहित अन्य तीर्थस्थल भी शामिल हैं।