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NSUI threaten to agitation on deputation of Hemlata sharma's husband
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शर्मा के डेपुटेशन के बाद आंदोलन का रूप ले सकता है देवासी की कथित आॅडियो प्रकरण

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शर्मा के डेपुटेशन के बाद आंदोलन का रूप ले सकता है देवासी की कथित आॅडियो प्रकरण
NSUI representative giving memorandum to ADEO sirohi
NSUI representative giving memorandum to ADEO sirohi

सबगुरु न्यूज-सिरोही। आ बैल मुझे मार कहावत किस तरह लागू होती है, इसे जानने के लिए गोपालन राज्यमंत्री के कथित आॅडियो सीडी के प्रकरण में दिलीप शर्मा के डेपुटेशन के माध्यम से समझ सकते हैं। दिलीप शर्मा सिरोही की महिला कांग्रेस की जिलाध्यक्ष हेमलता शर्मा के पति हैं।

हेमलता शर्मा द्वारा देवासी के खिलाफ परिवाद देने के दूसरे दिन यह डेपुटेशन किया गया। अब सोमवार को एनएसयूआई और शर्मा ने इस डेपुटेशन को वापस नहीं लेने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। ऐसे में अब तक जो मामला कागजों में था उसे सडकों पर जनता के बीच ले जाने की स्थिति राज्यमंत्री ओटाराम देवासी के करीबियों ने कर दिया है।

गोपालन मंत्री और सिरोही के विधायक ओटाराम देवासी कथित आॅडियो में महिलाओं के लिए असभ्य भाषा का इस्तेमाल करने को लेकर महिला कांग्रेस अध्यक्ष हेमलता शर्मा ने 15 फरवरी को पुलिस अधीक्षक को ओटाराम देवासी के खिलाफ प्रकरण दर्ज करने को लिखा था। पुलिस अधीक्षक को आॅडियो की सीडी सौंपते हुए इसकी फाॅरेंसिक जांच करवाकर इस मामले में प्रकरण दर्ज करने का अनुरोध किया था।

इसके दूसरे दिन ही जिला शिक्षा अधिकारी सिरोही ने उनके पति दिलीप शर्मा का कार्यव्यवस्था के लिए पद स्थापन जावाले से जिले के सुदूर आदिवासी इलाके आबूरोड के उपलाखेजडा में कर दिया था। इसके विरोध में सोमवार को भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन ( एनएसयूआई ) ने अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी से मिल कर आदेश को नियमों के विपरीत बताया।

उन्होंने दो दिन में इस डेपुटेशन को निरस्त करने की मांग करते हुए दो दिन बाद आंदोलन की चेतावनी दी है। इस मौके पर एनएसयूआई जिलाध्यक्ष सुरेश सिंह राव, महिला कांग्रेस जिलाध्यक्ष हेमलता शर्मा, एनएसयूआई नेता दशरथ नरुका, पंचायत समितिी सदस्य पूरण कुंवर, प्रकाश मेघवाल, चेतन प्रजापत, उमेश कुमार, कामिनी शर्मा समेत पधादिकारी मौजूद थे।
-प्रस्तुत किया डेपुटेशन के लिये बनाये आदेश
कांग्रेस का आरोप है कि जिला शिक्षा अधिकारी दिलीप शर्मा के डेपुटेशन को राज्यादेश बता रहे हैं तो उन्हें राज्य सरकार के उस आदेश क्रमांक का हवाला अपने आदेश में करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया है। एनएयूआई ने इस आदेश को नियम विरूद्ध बताने के लिए राज्य सरकार द्वारा 27 जुलाई, 2016 को जारी उस आदेश का हवाला दिया जिसमें यह कहा गया है कि किसी भी शिक्षक, वरिष्ठ शिक्षक, व्याख्याताओं को कार्यव्यवस्थाओं पर नहीं लगाया जाए।

इसी आदेश में स्पष्ट लिखा गया है कि असाधारण परिस्थिति में इस कार्य व्यवस्था के लिए निदेशक माध्यमिक/प्रारम्भिक शिक्षा विभाग से लिखित अनुमति लेनी होगी। इस आदेशानुसार जिला शिक्षा अधिकारियों को सिर्फ शून्य शिक्षक वाले विद्यालयों में ही विशेष परिस्थिति में कार्यव्यवस्था के लिए शिक्षक लगाने के लिए स्वतंत्रता दी गई है। इसकी सूचना भी निदेशक को देनी आवश्यक है।
-क्या हुआ इस प्रकरण में
राज्य सरकार के जुलाई 2016 के आदेश तथा 16 फरवरी 2018 के दिलीप शर्मा के कार्यव्यवस्था के आदेश के प्रकाश में देखा जाए तो यह निर्णय प्रशासनिक से ज्यादा राजनीतिक लग रहा है। दिलीप शर्मा का स्थानांतरण करने की सूचना में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय उपलाखेजडा को शून्य शिक्षक नहीं बताया गया है।

इस आदेश की प्रतिलिपि निदेशक माध्यमिक/प्रारम्भिक शिक्षा विभाग की बजाय प्राथमिक, माध्यमिक शिक्षा एव भाषा विभाग के राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार के विशिष्ट सहायक को दी गई है। जो कि गोपालन राज्यमंत्री ओटाराम देवासी की राजनीतिक पार्टी के ही मंत्री हैं।

जबकि इसकी सूचना प्रशासनिक बाॅडी को दी जानी चाहिए। ऐसे में कार्यव्यवस्था के नाम पर किसी भी कार्मिक को दूसरे स्थान पर फेंकने के पीछे राजनीतिक साजिश सिद्ध करने में न्यायालय में देर नहीं लगेगी।
-सेल्फ गोल तो नहीं करवा रहे देवासी के सलाहकार
निस्संदेह इस आदेश के पीछे देवासी के किसी विशिष्ट सलाहकार की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। ऐसे में ऐसे सलाहकार ओटाराम देवासी से उनके खुदके ही खिलाफ गोल करवा गए। आदेशों में कमी से एक तो इस आदेश पर न्यायालय से स्टे मिलने की प्रबल संभावना है।

दूसरा इस कदम से समय से पहले ही इस आॅडियो विवाद को अखबारों के कागजों से निकालकर कांग्रेस को आक्रामक होने का मौका दे दिया। अब यदि कांग्रेस रैली निकालती है तो राजनीतिक सभा भी होगी और राजनीतिक सभा होगी तो कांग्रेस उन लोगों तक भी महिला के खिलाफ कथित प्रयोग का मामला मौखिक रूप से पहुंचा देगी जो अखबार पढना नहीं जानते और सोशल मीडिया और टीवी तक जिनकी पहुंच नहीं है।

वैसे ओटाराम देवासी पहले ही इस सीडी में उनकी आवाज नहीं होने की बात कह चुके हैं। जो भी हो यही स्थिति बनी रही तो आने वाले समय में इस आॅडियो को लेकर ओटाराम देवासी के शुभचिंतकों व कांग्रेस के मध्य राजनीतिक माहौल गर्माने की पूर्ण संभावनाएं हैं।

इस प्रकरण में देवासी के समर्थन में जिले में भाजपा का कोई वरिष्ठ पदाधिकारी भी यह कहते हुए सामने नहीं आया है कि यह आॅडियो झूठा है और न ही उनके समर्थन में देवासी के दावे के अनुसार इस टैम्पर्ड आॅडियो की जांच करवाने के लिए देवासी के समर्थन में किसी भाजपाई ने पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन दिया है। जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी द्वारा जारी की गई विज्ञप्ति में भी ओटाराम देवासी के वक्तव्यों का हवाला देते हुए ही इसे टेम्पर्ड बताया गया है।

-देवासी के निलंबन की मांग का ज्ञापन वायरल
महिलाओं के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के देवासी के कथित आॅडियो के वायरल होने के बाद सोमवार को भाजपा नगर पालिका प्रकोष्ठ के सहसंयोजक और ओबीसी प्रकोष्ट के पूर्व जिलाध्यक्ष झालाराम कुमावत उर्फ छोटे बापू का मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन वायरल हो रहा है।

इस ज्ञापन में उन्होंने गोपालन राज्यमंत्री ओटाराम देवासी को मंत्री परिषद के निलंबित करने की मांग की है। इसमें सोशल मीडिया पर वायरल हुए ओटाराम देवासी के कथित आॅडियो का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया है देवासी ने इसमें महिला के लिए आपत्तिजनक टिप्पणी की है।

उन्होंने बताया कि इस तरह के शब्दावली ऐसे गरिमापूर्ण पद पर बैठे व्यक्ति के लिए शोभा नहीं देते और वह इसकी निंदा करते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से देवासी को मंत्रीमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है। इससे पहले कुमावत का एक आॅडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह देवासी से स्वयं इस्तीफा देने की बात कहते सुनाई दिए।

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