नयी दिल्ली | राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज कहा कि हाल के वर्षों में देश में पंजीकृत स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या में इजाफा तो हुआ है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ती जरूरतों के मद्देनजर यह संख्या पर्याप्त नहीं है।
कोविंद ने अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में देश में नर्सिंग शिक्षा प्रदान करने वाले संस्थानों की संख्या बढ़ी है और मार्च, 2017 तक पंजीकृत नर्सों तथा अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या बढ़कर 27 लाख से अधिक हो गई है। इसके बावजूद स्वास्थ्य से जुड़ी अन्य सेवाओं में नर्सों एवं अन्य स्वास्थ्यकर्मियों की आवश्यकता बढ़ती जा रही है। इस वक्त देश में प्रति एक हजार की आबादी पर 1.7 नर्सें हैं, जबकि विश्व का औसत 2.5 नर्सों का है।
राष्ट्रपति ने कहा मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुगम बनाने की रूप-रेखा सामने रखी है। उन्होंने कहा कि नर्सिंग एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कार्यरत बेटियों की संख्या हमेशा से अधिक रही है। नर्सों की सेवा और समर्पण भावना की जरूरत बच्चों-बूढ़ों, स्त्री-पुरुषों, गरीब-अमीर और ग्रामीण-शहरी सभी लोगों को होती है। वे दूर-दराज के ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर युद्ध क्षेत्र की भीषण परिस्थितियों में अपनी सेवाएं प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा कि लोगों को अपनी जरूरत के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी देखभाल प्राप्त हो यह मानवता की दृष्टि से भी आवश्यक है, लेकिन यदि इसे मानवाधिकार के रूप में लागू करना है तो स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत संस्थाओं, स्वास्थ्यकर्मियों, नागरिक समाज और गैर-सरकारी संगठनों को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे। इस अवसर पर उन्होंने नर्सिंग के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए 35 नर्सिंग कर्मियों को ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार भी प्रदान किये।