झांसी। उत्तर प्रदेश के झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में कार्यरत जूनियर डॉक्टर पर शारीरिक शोषण का आरोप लगाने वाली नर्स न्याय की आस में पिछले डेढ माह से भटक रही है।
स्थानीय मेडिकल कॉलेज प्रशासन और पुलिस की उदासीनता से व्यथित महिला ने न्याय पाने की आस में अपनी परेशानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तक को लिखी है लेकिन उसे अभी तक केवल मायूसी ही हाथ लगी है दूसरी ओर आरोपी डॉक्टर मेडिकल कॉलेज में घूम घूमकर उसे बेइज्ज्त कर रहा है। महिला का कहना है कि अब उसके पास न्याय पाने के लिए अदालत की चौखट पर जाने के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं बचा है।
पीड़िता ने मंगलवार को मेडिकल कॉलेज के मेडिसन विभाग के जूनियर रेज़िडेंट (जेआर) थर्ड ईयर के डॉ़ मधुसूदन पर उसका शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया। पीड़िता ने डॉ़क्टर पर अपने दोस्तों के साथ मिलकर उसे मानसिक यातनाएं देने का भी आरोप लगाया।
पीडिता ने बताया कि डॉ मधुसूदन ने पहले उसे काम में हीलाहवाली का हवाला देकर धीरे धीरे प्रभाव में लिया और फिर दोस्ती की। जब पीड़िता के साथ उसके मित्रवत संबंध हो गए तो उसके बाद इंटरनल प्रमोशन का झांसा देकर अपने साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए बहकाया। पीडिता उसके बहकावे में आ गई और इसके बाद वह लगातार पीड़िता पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालने लगा इस दौरान डॉ ने महिला के अश्लील वीडियो भी बनाए।
मामला यहीं रूका नहीं फिर उसने अपने दोस्त मोहन प्रसाद के साथ भी संबंध बनाने के लिए कहना शुरू किया। पीड़िता के साथ अपने निजी चैट और तस्वीरें भी अपने दोस्तों को दीं। इसके बाद मोहन प्रसाद ने पीड़िता के पति को वह तस्वीरे भेजी और धमकी दी कि अगर उसकी पत्नी मेरे साथ संबंध नहीं बनाती है तो यह सभी चीजें वायरल कर देंगे और इन तस्वीरों से अडल्ट वेबसीरीज बनाएंगे। अलग अलग नंबरों से मोहन प्रसाद द्वारा पीड़िता और उसके परिजनों को धमकियां दी जाने लगीं।
इस सब से परेशान होकर पीड़िता और उसके पति ने मामले को मेडिकल कॉलेज प्रशासन के सामने उठाया लेकिन उनका रवैया भी लीपापोती का ही रहा। जांच के लिए एक समिति गठित की गई लेकिन यौन शोषण के ऐसे मामलों में जिन नियमों का निवर्हन, समिति के तहत होना चाहिए, वह किया ही नहीं गया और मामला यूं ही रफा दफा कर दिया गया।
वहां कुछ न होता देख पीड़ित परिवार न्याय के लिए पुलिस के पास पहुंचा लेकिन पिछले डेढ़ माह से कार्यालयों के चक्कर लगाने और आश्वासन के अलावा कुछ हाथ नहीं आया। पीड़िता के पति ने बताया कि उनकी पत्नी इस तरह के शोषण का शिकार होने वाली अकेली महिला नहीं हैं बल्कि मेडिकल कॉलेज में काम करने वाली और भी महिलाएं इसका शिकार हैं। अगर उनकी पत्नी स्थायी नौकरी में नहीं होकर संविदा पर होती तो वह भी खुलकर सामने नहीं आ पातीं। मेडिकल कॉलेज में और भी नर्सें इस तरह के शोषण का शिकार हैं लेकिन कई तरह की परेशानियों के कारण सामने नहीं आ पाती हैं।
पीड़िता के पति ने पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि एफआईआर तक दर्ज नहीं की जा रही है। हमने पुलिस को आरोपी डॉक्टर के खिलाफ कई सुबूत भी मुहैया कराए लेकिन कुछ नहीं हो रहा। यहां हमें और हमारे चार साल के बेटे की सुरक्षा को लेकर गंभीर खतरा है लेकिन कहीं कोई कुछ भी सुनने या करने को तैयार नहीं है। पुलिस की इस उदासीनता से हम पीड़ित लगातार डर के साये में हैं और वह आरोपी डॉक्टर निश्चिंत होकर घूम रहा है। ऐसे हालात में न्याय की आस अब केवल न्यायालय से ही रह गई है।