नई दिल्ली। देश में करीब 2.5 लाख किसान कृषि के साथ-साथ वैज्ञानिक ढंग से मधुमक्खी पालन कर अपनी आय बढ़ाने के प्रयास में जुटे हैं।
केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारें भी मधुमक्खी पालन से किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्रों और कई अन्य संस्थानों में वैज्ञानिक ढंग से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जाता है तथा बैंक से भी आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है। कल विश्व मधुमक्खी दिवस है, इस अवसर पर देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कीट वैज्ञानिक रामानुजम ने बताया कि देश में करीब 2.5 लाख किसान मधुमक्खी पालन में जुटे हैं। देश में सालाना लगभग 120000 टन प्रकृति के इस अनुपम उपहार का उत्पादन किया जाता है। भारत का दुनिया में शहद उत्पादन में सातवां स्थान है। चीन शहद उत्पादन में पहले स्थान पर है जहां करीब 497286 टन सालाना उत्पादन होता है। चीन में विश्व में शहद का लगभग 25 प्रतिशत तथा भारत में करीब चार प्रतिशत उत्पादन होता है।
डॉक्टर रामानुजम के अनुसार देश में शहद उत्पादन में उत्तर प्रदेश पहले, पश्चिम बंगाल दूसरे, पंजाब तीसरे तथा बिहार चौथे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में सालाना करीब 22000 टन, पश्चिम बंगाल में 18500, पंजाब में 16500 और बिहार में 15000 टन शहद का उत्पादन होता है। किसान करीब 25 लाख बॉक्स में मधुमक्खी पालन करते हैं।
देश में इटालियन मधुमक्खी से 95 और भारतीय मधुमक्खी से पांच प्रतिशत मधु का उत्पादन होता है। पश्चिम बंगाल के सुंदरवन क्षेत्र में जंगली मधुमक्खी से सालों भर शहद उत्पादन होता है। इटालियन मधुमक्खी शांत स्वभाव की होती है जो छूने पर गुस्सा में नहीं आती है जबकि जंगली मधुमक्खी जिसे आम तौर पर भौरा के नाम से जाना जाता है, वह गुस्सैल स्वभाव की है।
डाक्टर रामानुजम ने बताया कि इटालियन मधुमक्खी के एक बॉक्स से सालाना 30 किलोग्राम तक शहद का उत्पादन लिया जा सकता है जबकि भारतीय मधुमक्खी से सालाना 10 से 12 किलोग्राम तक ही शहद उत्पादन होता है।
सरसों, शाहजन, धनिया, लीची, नीम, करंज, तुलसी, सूरजमुखी, कुसुम, आमला, जामुन और कुछ स्थानों पर आम से शहद उत्पादन किया जाता है। हरेक बॉक्स में केवल एक रानी मधुमक्खी होती है जो वंश बढ़ाने का कार्य करती है। रानी मधुमक्खी का जीवन काल दो से तीन साल का होता है जो अपने जीवन में केवल एक बार गर्भधारण करती है और अनुकूल परिस्थिति होने पर 15 लाख तक अंडे देती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि एक बॉक्स में 35 से 50 हजार मधुमक्खी होती हैं और वे एक साल में जितनी कीमत का शहद देती हैं उससे कई गुना अधिक कीमत के फसलों तथा बागवानी फसलों का परागण के कारण उत्पादन बढ़ता है। इसके अलावा शहद से कई बहुमूल्य औषधीय उत्पाद भी बनते हैं।