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11 भाषाओं में ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ संपन्न - Sabguru News
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11 भाषाओं में ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ संपन्न

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11 भाषाओं में ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्सव’ संपन्न

जयपुर। कोरोना महामारी का प्रकोप समाप्‍त होने पर जनजीवन तुरंत सामान्‍य हो जाएगा इस भ्रम में न रहकर जनता को वास्‍तविकता का सामना करना होगा। आज विकसित अमरीका सहित अनेक राष्‍ट्र मंदी की चपेट में हैं। अनेक विशेषज्ञों ने आने वाले समय में आर्थिक मंदी और बेरोजगारी की संभावना व्‍यक्‍त की है। चीन का विस्‍तारवाद एवं पाकिस्‍तान का जिहादी आतंकवाद भारत को युद्ध हेतु उकसाने का प्रयास कर रहा है। अनेक मुस्‍लिम राष्‍ट्रों में गृहयुद्ध चल रहे हैं।

राजधानी दिल्ली में निरंतर भूकंप के झटके आ रहे हैं और आगे भूकंप की तीव्रता बढने की संभावना व्‍यक्‍त की जा रही है। कुल मिलाकर विश्‍व के तीसरे विश्‍वयुद्ध की दिशा में यात्रा के साथ-साथ प्राकृतिक आपदाओं को ध्‍यान में रखते हुए इस काल में हमें अपने परिवार और हिन्‍दू समाज की, साथ ही राष्‍ट्र की रक्षा भी करनी है। इसके लिए प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति को अपने शारीरिक, मानसिक और आध्‍यात्मिक दृष्‍टि से सक्षम बनाना, यही काल के अनुसार साधना है।

इसलिए सनातन संस्‍था और हिन्‍दू जनजागृति समिति की ओर से चल रहे ‘ऑनलाइन सत्‍संग शृंखलाओं’ का लाभ लें। ये बात हिन्‍दू जनजागृति समिति के राष्‍ट्रीय मार्गदर्शक सद़्‍गुरु (डॉ.) चारुदत्त पिंगळे ने गुरुपूर्णिमा महोत्सव के अवसर आपातकाल में हिन्‍दुओं का कर्तव्‍य और हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना विषय पर चर्चा में कही।

कोरोना महामारी के चलते सनातन संस्‍था एवं हिन्‍दू जनजागृति समिति की ओर से ‘ऑनलाइन गुरुपूर्णिमा महोत्‍सव’ आयोजित किया गया। पहली बार हिन्‍दी, अंग्रेजी, मराठी, गुजराती, गुरुमुखी, बांग्‍ला, ओडिया, तेलुगु, कन्‍नड, तमिल और मलयालम, इन 11 भाषाओं में ऑनलाइन पद्धति से गुरुपूर्णिमा महोत्‍सव मनाया गया। इस महोत्‍सव का प्रारंभ व्‍यासपूजन और गुरुपूजन से हुआ।

यू-ट्यूब और फेसबुक के माध्‍यम से आयोजित इस कार्यक्रम का संपूर्ण विश्‍व के 1 लाख 79 हजार जिज्ञासुओं और साधकों ने प्रत्‍यक्ष लाभ लिया । इसके साथ ही फेसबुक के माध्‍यम से 3 लाख 55 हजार से अधिक जिज्ञासुओं तक विषय पहुंचाया गया।

पिंगळे ने आगे कहा कि सनातन संस्‍था के संस्‍थापक परात्‍पर गुरु डॉ. जयंत आठवले अनेक वर्षों से आगामी आपातकाल से संरक्षण हेतु उपायों पर मार्गदर्शन कर रहे हैं। भगवान श्रीकृष्‍ण ने गीता में कहा है, ‘न मे भक्‍तः प्रणश्‍यति।’ अर्थात मेरे भक्‍तों का नाश नहीं होता। ईश्‍वर की भक्‍ति करने पर ही ईश्‍वर संकटकाल में हमारी रक्षा करेंगे, इसकी निश्‍चिति रखें’ धर्म को ग्‍लानि आने पर पृथ्‍वी पर पाप बोझ बढता है। इसके कारण पृथ्‍वी पर पाप करने वालों की मात्रा कम होने के लिए आपातकाल और युद्धकाल आते हैं।

इस आपातकाल के उपरांत निर्माण होने वाले अनुकूल वातावरण में रामराज्‍य की अर्थात धर्म का अधिष्‍ठान रहने वाले हिन्‍दू राष्‍ट्र की स्‍थापना होगी और पुन: अच्‍छा काल आरंभ होगा अर्थात अच्‍छे दिन आएंगे। ऐसा होने पर भी आने वाले आपातकाल से रक्षा के लिए काल के अनुसार उचित साधना करना अनिवार्य है। इसलिए प्रतिदिन कुलदेवता/इष्‍टदेवता का नामजप करना, ईश्‍वर से प्रार्थना कर प्रत्‍येक कृति करना आवश्‍यक है।

इस अवसर पर रामनाथी, गोवा के सनातन आश्रम में सनातन के ‘धर्मकार्य के लिए विज्ञापन आदि अर्पण-निधि प्राप्‍त करना, यह समष्‍टि साधना!’, इस ग्रंथ के मराठी आवृत्ति का श्रीसत्‌शक्‍ति बिंदा सिंगबाळजी के मंगलहस्‍तों लोकार्पण हुआ।