नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि लॉकडाउन के कारण राेजी रोजी नहीं मिलने से लाखों प्रवासी श्रमिकों के भूखे पेट और नंगे पांव सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल कर अपने घर जाने का मंजर देश ने देखा है और यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है इसलिए सरकार को हर हाल में खजाने का ताला खोलकर गरीबों को राहत देनी चाहिए।
गांधी ने गुरुवार को यहां जारी एक वीडियो सन्देश में कहा कि उनके सभी सहयोगियों के साथ ही अर्थशास्त्रियों, समाजशास्त्रियों और समाज के अग्रणी लोगों ने बार-बार सरकार से इन पीड़ितों को राहत देने और उनके घावों पर मरहम लगाने का आग्रह किया है और कहा है कि लॉकडाउन से मजदूर, किसान, उद्यमी और छोटे दुकानदार सभी पीडित हैं और उनकी मदद की जानी चाहिए लेकिन केंद्र सरकार ने यह बात समझने और इस पर ध्यान देने से इंकार किया है तथा उनके जख्मों को और गहरा किया है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने जब इस सलाह को नहीं माना तो कांग्रेस ने इस तबके की आवाज बुलंद करने और सरकार पर दबाव बनाने के लिए सोशल मीडिया पर अभियान चलाने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से फिर आग्रह है कि खज़ाने का ताला खोलिए और ज़रूरतमंदों को राहत दीजिये। हर परिवार को छह महीने के लिए 7,500 रुपए प्रति माह सीधे नकद भुगतान करें और उसमें से 10,000 रुपए उन्हें फौरन दें।
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उनकी प्राथमिकता मजदूरों के दर्द को कम करना है इसलिए सरकार मज़दूरों को सुरक्षित और मुफ्त यात्रा का इंतजाम कर घर पहुंचाए और उनके लिए रोजी रोटी का इंतजाम करें। उन्हें राशन दी जानी चाहिए और गांव पहुंचने के बाद उन्हें मनरेगा के तहत 200 दिन का काम दिया जाना चाहिए ताकि इन गरीबों को उनके गांव में ही रोजगार मिल सके। इसी तरह से छोटे और लघु उद्योगों को कर्ज देने की बजाय उन्हें आर्थिक मदद दी जानी चाहिए ताकि लोगों की नौकरियां बची रहें।
सोनिया गांधी ने कहा कि लॉकडाउन के चलते करोड़ों लोगों का रोजगार चला गया है, लाखों धंधे चौपट हो गए, कारखानें बंद हो गए, किसान को फसल बेचने के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही है। यह पीड़ा पूरे देश ने झेली, पर शायद सरकार को इसका अंदाजा ही नहीं था।