मोदी सरकार अब देश में पेट्रोल पंप खोलने के लिए नए और आसान नियम लागू करने जा रही है। अभी तक देश में पेट्रोल पंप खोलने के लिए लाइसेंस पाने के लिए कई शर्तें रहती थी। लेकिन अब केंद्र सरकार ने ईंधन के खुदरा कारोबार को गैर- पेट्रोलियम कंपनियों के लिए खोल दिया है। यह फैसला बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में लिया गया। अभी तक ईंधन के खुदरा कारोबार का लाइसेंस हासिल करने के लिए किसी कंपनी 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की जरूरत होती है।
कैबिनेट के फैसले के मुताबिक 2000 करोड़ रुपये के निवेश के बजाए 250 करोड़ रुपये के नेटवर्थ वाली कंपनी भी पेट्रोल पंप खोल सकती हैं। अब जल्द ही देश में अब आपको विदेश की तरह बड़े शॉपिंग मॉल या बड़े रिटेल शॉप में भी पेट्रोल-डीजल मिलता हुआ दिखेगा।
सरकार के फैसले के मुताबिक अगर कोई कंपनी पेट्रोलियम सेक्टर में कारोबार नहीं कर रही है इसके बावजूद उसे लाइसेंस मिल सकता है। पेट्रोलियम मंत्रालय ने अक्टूबर 2018 में फ्यूल रिटेल से जुड़े नियमों में बदलाव के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया था।
सरकार का मनना है कि इस फैसले से कंपनियों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। बुधवार को सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सरकार के इस फैसले की जानकारी दी। जावड़ेकर ने कहा कि ईंधन के खुदरा कारोबार को पेट्रोलियम क्षेत्र से बाहर की कंपनियों के लिए खोलने से निवेश और प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। जावड़ेकर ने बताया कि मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने वाहन ईंधन के विपणन का अधिकार देने संबंधी दिशा निर्देशों की समीक्षा को मंजूरी दे दी है।
पांच प्रतिशत पेट्रोल पंप ग्रामीण क्षेत्रों में भी खोले जाएंगे
ऐसी कंपनियां जिनका कारोबार 250 करोड़ रुपये है ईंधन के खुदरा कारोबार क्षेत्र में उतर सकती हैं। इसके लिए शर्त यह होगी कि कम से कम पांच प्रतिशत पेट्रोल पंप ग्रामीण इलाकों में खोले जाएं ।देश में इस समय करीब 65,000 पेट्रोल पंप परिचालन में हैं। इनका ज्यादातर स्वामित्व सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियों- इंडियन आयल कॉरपोरेशन (आईओसी), भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन (बीपीसीएल) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन के पास है।
इस बाजार में निजी क्षेत्र की कंपनियां रिलायंस इंडस्ट्रीज, नायरा एनर्जी और रॉयल डच शेल भी हैं लेकिन उनकी उपस्थिति सीमित है।दुनिया के सबसे बड़े पेट्रोलियम रिफाइनिंग परिसर का परिचालन करने वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज के पेट्रोल पंपों की संख्या 1,400 से भी कम है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार