चित्तौड़गढ़। राजस्थान के मेवाड़ से मध्यप्रदेश के मालवा पठार क्षेत्र के अफीम काश्तकारों एवं मारवाड़ के तस्करों द्वारा अपने आराध्य देव श्रीसांवलियाजी को भेंट की जाने वाली लाखों रुपए मूल्य की प्रतिबंधित अफीम को मंदिर मंडल एवं सरकारी कार्मिकों ने नारकोटिक्स को सौंपने की बजाय खुर्द बुर्द कर देने का मामला सामने आया है।
प्राप्त जानकारी अनुसार जिले के मंडफिया स्थित प्रसिद्ध श्रीसांवलियाजी के मंदिर में होली पर खुले भंडार से साढ़े नौ करोड़ से अधिक राशि एवं सोने चांदी के जेवरात के साथ करीब तीन किलो अफीम भी निकली जिसे राशि गणना में मौजूद मंदिर मंडल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अतिरिक्त कलेक्टर रतनस्वामी ने इस बार अपने कब्जे में लेकर सुरक्षित रख दी।
वहां मौजूद पत्रकार ने उनसे अफीम का वजन पूछा तो उन्होंने बताने से साफ इंकार कर दिया तो मंदिर मंडल अध्यक्ष एवं सदस्य भी इसे धार्मिक आस्था का मामला बताकर टाल गए। अब बताया जा रहा है कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्वामी ने प्रतिमाह भंडार में आने वाली अफीम को नारकोटिक्स विभाग को सौंपने एवं प्रतिमाह भंडार खुलने के समय नारकोटिक्स विभाग के कार्मिकों को मौके पर उपस्थित रहकर भेंट में आने वाली अफीम एकत्र कर ले जाने के लिए पत्राचार करने की कार्यवाही शुरू की है।
उल्लेखनीय है कि बीते एक दशक से ज्यादा समय में मेवाड़ से मालवा तक के अफीम काश्तकारों के साथ मारवाड़ के तस्करों में श्रीसांवलियाजी के प्रति आस्था में तेजी से वृद्धि हुई है जिसके चलते सामान्य महीनों में करोड़ों की राशि के साथ प्रति अमावस्या को खोले जाने वाले भंडार में छोटी छोटी प्लास्टिक थैलियों में अफीम भी निकलती है जो सामान्य महीनों में एक से दो किलो वजन में और फाल्गुन माह में जब अफीम पक जाती है तो यह मात्रा तीन किलो से भी अधिक तक चली जाती है।
इस हिसाब से एक वर्ष में औसतन दस किलो और दस वर्ष की मानें तो एक क्विंटल से अधिक अफीम भेंट में आई जिसे या तो नशेड़ियों को बेच दिया गया या मंदिर से जुड़े लोगों ने प्रसाद मानकर सेवन कर लिया। क्षेत्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश डाड ने बीते वर्षों में मंदिर मंडल, पुलिस एवं नारकोटिक्स विभाग तक से इस बाबत सम्पर्क किया लेकिन मंदिर मंडल से जुड़े लोग जहां प्रसाद बताते रहे तो तत्कालीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी, पुलिस व नारकोटिक्स विभाग धर्म का मामला बताकर टालते रहे।