नयी दिल्ली । दस केन्द्रीय जांच एजेन्सियों को किसी भी कंप्यूटर के डाटा की जांच का अधिकार देने संबंधी गृह मंत्रालय के आदेश पर विपक्षी दलों ने तीखे तेवर अपनाते हुए इसे निजता पर हमला करार दिया है।
केन्द्रीय गृह सचिव राजीव गौबा ने गुरूवार को ही राष्ट्रीय जांच एजेन्सी एनआईए, गुप्तचर ब्यूरो ‘आईबी’ अौर केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) सहित दस एजेन्सियों को कम्पयूटर डाटा की जांच और फोन टेपिंग का अधिकार दिया है। हांलाकि उन्हें इसके लिए केन्द्रीय गृह सचिव से अनुमति लेनी होगी।
राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा है कि सरकार का यह आदेश मौलिक अधिकारों के विपरीत है और व्यक्ति के निजता के अधिकारों पर हमले के समान है। उन्होंने कहा कि इससे लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा हो गया है और पार्टी इसका विरोध करती है।
समाजवादी पार्टी के रामगोपाल वर्मा ने कहा कि सरकार का यह आदेश खतरनाक है और इससे उसके तानाशाहीपूर्ण रवैये का पता चलता है। उन्होंने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार से बौखलाई भाजपा सरकार ने यह कदम उठाया है। सपा नेता ने भाजपा को आगाह करते हुए कहा कि अब केन्द्र में उसकी सरकार के दिन गिने चुने हैं और वह अपने लिए गढ्ढा न खोदे।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार हर आम आदमी के साथ अपराधी की तरह व्यवहार कर रही है। हर नागरिक की जासूसी करने वाला ये आदेश असंवैधानिक है और टेलीफ़ोन टैपिंग के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है। गृह मंत्रालय ने जिन अन्य सात एजेन्सियों को कंप्यूटर जांच की अनुमति दी है उनमें नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, केबिनेट सचिवालय, डायरेक्टोरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस,राजस्व खूफिया निदेशालय और दिल्ली पुलिस कमिश्नर शामिल हैं।