शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध आज भी जारी रहा। कांग्रेस ने सत्र का बहिष्कार किया।
विधानसभा सत्र के पांचवे दिन पांच निलंबित सदस्यों के विरोध में विपक्ष सदन में नहीं गया और सदन के बाहर मौन बैठा रहा। उम्रदराज तथा स्वास्थ्य संबंधी कारणों से अब तक सदन से गैरहाजिर रहे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी कांग्रेस पार्टी के धरने में पहुंचे। करीब एक घंटे तक विपक्ष के साथ धरने पर बैठने के बाद वीरभद्र सिंह अपने निवास हॉलीलॉज लौट गए।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हमें वीरभद्र सिंह सलाह न दें क्योंकि वीरभद्र सिंह सरकार में भाजपा नेताओं को जंगलों में फेंका था। सारे मामले में विपक्ष को खेद व्यक्त कर राज्यपाल के समक्ष जाकर माफी मांगनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि विपक्ष को अपनी मानसिकता बदलने की आवश्यकता है। यदि नियमों में प्रावधान हो तो विधानसभा में लगे सीसीटीवी फुटेज को सदन में दिखाना चाहिए ताकि सभी के सामने वस्तुस्थिति आ सके। हमारा दिल बहुत बड़ा है लेकिन पहले विपक्ष को राज्यपाल से माफी मांगनी चाहिए। बजट सत्र में बिना विपक्ष के अच्छा तो नहीं लगेगा लेकिन विपक्ष के अन्य सदस्यों को सदन में आना चाहिए।
बाद में मीडिया से बातचीत करते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा कि वह छह बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। यदि वह मुख्यमंत्री होते तो एक घंटे में मामले को सुलझा देते। मुख्यमंत्री जयराम सरकार चाहे तो पांच मिनट में मसले को हल कर सकती है लेकिन सरकार की इच्छाशक्ति ही नहीं है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल के बजट इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है कि विपक्ष के बिना बजट पेश हुआ है। 6 मार्च को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बजट पेश करेंगे। विपक्ष को इतना लंबा विरोध नहीं करना चाहिए लेकिन सत्ता पक्ष यदि मामले को सुलझाना नहीं चाहता है तो विपक्ष को मजबूर होकर विरोध करना पड़ेगा।