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Opposition gets 'Sanjeevani' due to BJP' defeat in Jharkhand - Sabguru News
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झारखंड में भाजपा की हार से विपक्ष को मिली ‘संजीवनी’

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झारखंड में भाजपा की हार से विपक्ष को मिली ‘संजीवनी’
Opposition gets 'Sanjeevani' due to BJP' defeat in Jharkhand
Opposition gets 'Sanjeevani' due to BJP' defeat in Jharkhand
Opposition gets ‘Sanjeevani’ due to BJP’ defeat in Jharkhand

झारखंड। केंद्र की मोदी सरकार के पिछले दिनों नागरिकता संशोधन कानून बनाने के बाद जिस प्रकार से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह देश में अपनी पार्टी का जनाधार बढ़ाने में लगे हुए थे तो दूसरी ओर कांग्रेस समेत विपक्ष सीएए पर मोदी सरकार को घेरने में लगा हुआ था। मोदी और अमित शाह को झारखंड विधानसभा चुनाव नतीजों से बहुत उम्मीदें थी लेकिन आज घोषित हुए राज्य के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री और गृहमंत्री की उम्मीदों पर जबरदस्त पानी फेर दिया है। दूसरी ओर कांग्रेस और विपक्ष झारखंड में मिले जनादेश से उत्साहित नजर आ रहे हैं जैसे उनको ‘संजीवनी’ मिल गई हो।

अभी पिछले महीने ही महाराष्ट्र में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी राज्य में सरकार नहीं बना पाई थी। शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी ने गठबंधन करके इस राज्य में सरकार बनाने से भाजपा को जबरदस्त झटका लगा था, क्योंकि यह राज्य भाजपा के लिए पिछले 20 सालों से वोट बैंक की दृष्टि से प्रमुख राज्य माना जाता है। पिछले एक हफ्ते से नागरिकता संशोधन कानून पर कांग्रेस और विपक्ष जिस प्रकार से मोदी सरकार को घेरने में जुटा हुआ था। अब झारखंड चुनाव नतीजों के बाद समूचा विपक्ष केंद्र सरकार पर और हमलावर हो गया है।

झारखंड की 81 विधानसभा सीटों का रिजल्ट आज घोषित हो रहे हैं शुरुआती रुझानों के मुतााबिक, कांग्रेस गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है। राज्य में सरकार बनाने के लिए 41 सीटें जीतना जरूरी है। झारखंड की मौजूदा भाजपा सरकार कांग्रेस गठबंधन से बहुत पीछे है। दोपहर तीन बजे तक के आंकड़ों के मुताबिक, कांग्रेस-जेएमएम और आरजेडी गठबंधन रुझान में आगे है और पूर्ण बहुमत हासिल करता दिख रहा है। भारतीय जनता पार्टी मात्र 26 सीटों पर आगे है। जेएमएम 26, कांग्रेस 14, आरजेडी 4 सीटों पर आगे है। तीनों की कुल संख्या 44 हो गई है। सरकार बनाने के लिए सूबे में 41 सीटों की जरूरत है।

मोदी और अमित शाह ने कई रैलियां की थी, लेकिन नहीं दिखा कोई असर

राज्य विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कई ताबड़तोड़ चुनाव रैली की थी लेकिन वोटरों को रिझा नहीं पाए। झारखंड के सीएम रघुवर दास नतीजों के रुझान में और पिछड़ गए हैं। 84वें राउंड के वोटों की गिनती के बाद रघुवर दास निर्दलीय उम्मीदवार सरयू राय से 7000 से कुछ अधिक वोटों से पीछे चल रहे हैं। मुख्यमंत्री रघुवर दास के चुनाव नतीजों में पिछड़ने से भाजपा आलाकमान को बहुत जबरदस्त झटका लगा है। राज्य के मुख्यमंत्री ही अपना अपनी सीट नहीं बचा पा रहे हैं।

झारखंड चुनाव नतीजों से जो तस्वीर सामने आ रही है, उससे साफ है कि रघुवर दास सरकार की विदाई तय है। विपक्ष बीजेपी को लगे इस झटके की वजह सीएम रघुवर दास की अक्खड़ छवि को भी मानता है। बता दें कि सीएम रघुवर दास ‘अबकी बार 65 पार’ का नारा दे रहे थे, अब नतीजों में बीजेपी 30 का आंकड़ा छूते भी नजर नहीं आ रही है। रघुवर दास जिस जमशेदपुर ईस्ट सीट पर 1995 से लगातार जीत रहे हैं, जहां पिछला चुनाव उन्होंने 70 हजार वोटों से जीता था।

झारखंड के वोटरों में मुख्यमंत्री रघुवर दास के लिए था आक्रोश

झारखंड के वोटरों में मुख्यमंत्री रघुवर दास के लिए जबरदस्त गुस्सा भरा हुआ था जो कि इन लोगों ने चुनाव के दौरान दिखा दिया है कि एक मुख्यमंत्री की छवि गुस्सैल और बिगड़ैल बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

झारखंड में रघुवर दास सीएम रहते हुए अपनी छवि के लिए चर्चा में रहे। ऐसा कई बार हुआ जब वे सार्वजनिक कार्यक्रमों में अफसरों, फरियादियों पर अपना गुस्सा जाहिर कर चुके हैं। या हम आपको बताना चाहेंगे एक मामला वर्ष 2015 का है। रघुवर दास धनबाद दौरे पर थे। इस दौरान बोकारो के जिला अधिकारी मनोज कुमार को मोबाइल पर बात करते देख उन्होंने उन्हें हॉल छोड़कर जाने का आदेश दे दिया। इसके आधे घंटे बाद फिर उन्हें वापस बुला लिया।

इसी कार्यक्रम में भाषण के दौरान एक स्थानीय अधिकारी अनिल कुमार सिंह को मंच के सामने से जाते देख रघुवर दास आग बबूला हो गए थे। सीएम का यह बर्ताव काफी चर्चाओं में रहा था। ऐसे ही एक साल पहले टाटा समूह के अध्यक्ष रतन टाटा भी झारखंड के दौरे पर आए थे। तब भी मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उनके कंधे पर रखकर खड़े हुए थे। गौरतलब है कि रघुवर दास एक समय टाटा कंपनी में कर्मचारी हुआ करते थे, उस दौरान रतन टाटा के सामने उनकी खड़े होने की भी हिम्मत नहीं थी।

एक साल में भाजपा ने कई राज्यों में सत्ता गंवा दी

वर्ष 2018 से अब तक भारतीय जनता पार्टी कई राज्यों में अपनी सत्ता गंवा चुकी है। पिछले वर्ष मार्च में भारत के नक्शे का दो-तिहाई से ज्यादा हिस्सा भगवा रंग में रंगा हुआ था। फिर एक-एक कर कई राज्यों में बीजेपी सत्ता से हाथ धो बैठी। हाल में ही उसे महाराष्ट्र में शिकस्त मिली थी। जहां 2018 में 21 राज्यों में  बीजेपी सत्ता में थी तो वहीं अब 2019 बीतते-बीतते सिर्फ 15 राज्यों तक सिमटी गई है। पिछले साल भारतीय जनता पार्टी तीन राज्यों में हारी थी। राज्यस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में दिसंबर 2018 में हुए चुनाव में बीजेपी को शिकस्त मिली थी।

इसके बाद हाल में ही महाराष्ट्र की सत्ता भी उनके हाथों से गई। जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने हाल में सरकार बनाई है, वहां भी स्थिति ठीक नहीं रही। ऐसा नहीं कि बीजेपी बड़े मार्जन से जीती थी। हरियाणा में भी वह अपने दम पर सत्ता में नहीं आ सकी है। यहां हम आपको बता दें कि महाराष्ट्र में तो भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, उसके बावजूद भी इस राज्य में वह सरकार नहीं बना पाई है। यानी देश के नक्शे पर भारतीय जनता पार्टी की सत्ता का खाली स्थान बढ़ता ही जा रहा है।

ऐसा तब है जबकि केंद्र में बीजेपी 2014 से भी ज्यादा सीटों वाली सरकार चला रही है और नरेंद्र मोदी के हाथों में सत्ता की कमान है, जिन्हें मौजूदा राजनीति का सबसे बड़ा विजेता माना जाता है। अब झारखंड विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद भाजपा केंद्रीय आलाकमान को जरूर मंथन करना होगा कि इस राज्य में हार के प्रमुख कारण क्या रहे ?

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार