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Opposition restless on Modi government citizenship amendment bill - Sabguru News
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मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन बिल पर विपक्ष फिर बेचैन

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मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन बिल पर विपक्ष फिर बेचैन
Opposition restless again on Modi government's citizenship amendment bill
Opposition restless again on Modi government's citizenship amendment bill
Opposition restless again on Modi government’s citizenship amendment bill

दिल्ली। मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन बिल पर पिछले 7 दिनों से राजनीति गरमाई हुई है। संसद के शीतकालीन सत्र में कांग्रेस समेत विपक्षी दल इस बिल का विरोध कर रहे हैं। मोदी सरकार नागरिकता संशोधन बिल सोमवार को लोकसभा में पेश करेगी। मंगलवार को इस पर सदन में बहस होगी। बहस के लिए चार घंटे का वक्त रखा है।

विपक्ष का दावा है कि धर्म के आधार पर नागरिकता नहीं दी जा सकती है क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। ये विधेयक 19 जुलाई 2016 को पहली बार लोकसभा में पेश किया गया। इसके बाद संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने लोकसभा में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। जेपीसी रिपोर्ट में विपक्षी सदस्यों ने धार्मिक आधार पर नागरिकता देने का विरोध किया था और कहा था कि यह संविधान के खिलाफ है। इस बिल में संशोधन का विरोध करने वाले लोगों का कहना है कि अगर बिल लोकसभा से पास हो गया तो ये 1985 के ‘असम समझौते’ को अमान्य कर देगा।

एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि ये बिल संविधान के आर्टिकल 14 और 21 के खिलाफ है। नागरिकता को लेकर एक देश में दो कानून कैसे हो सकते हैं। सरकार धर्म की बुनियाद पर ये कानून बना रही है। सरकार देश को बांटने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने भी कहा कि विधेयक असंवैधानिक है, क्योंकि इस विधेयक में भारत के मूलभूत विचार का उल्लंघन किया गया है। वहीं कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कांग्रेस पार्टी इस देश में किसी के साथ किसी भी तरह के भेदभाव के खिलाफ है। लिहाजा, जो भी किसी भारतीय के साथ भेदभाव करता है, हम उसके खिलाफ हैं। यही हमारा मानना है। हमारा मानना है कि भारत सभी समुदायों, धर्मों और संस्कृतियों के लिए है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि उनकी पार्टी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देने से संबंधित विवादित नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध करेगी। बता दें कि कई विपक्षी दल नागरिकता (संशोधन) विधेयक का विरोध कर रहे हैं। उनका मानना है कि यह विधेयक सांप्रदायिक और विभाजनकारी है। कांग्रेस ने प्रस्तावित विधेयक को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है। दूसरी ओर विपक्षी दलों की बैठक में नागरिकता विधेयक के मुद्दे पर भाजपा को घेरने के लिए आठ सूत्रीय एजेंडे पर सहमति बनी।

विपक्षी दलों के एजेंडे में यह बात शामिल है कि यह विधेयक उन सिद्धान्तों के खिलाफ हैं जिनकी राष्ट्र निर्माताओं ने कल्पना की थी। साथ ही नागरिकता के लिए कई ऐसी बुनियाद रखी जा रही है जो संविधान के विरुद्ध है। बैठक में शामिल नेताओं के बीच यह राय बनी कि ‘सरकार एनआरसी को लेकर अपनी विफलता छिपाने और असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक को लायी है। आप नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार यह विधेयक उत्तर प्रदेश और बिहार के लाखों लोगों को देश के दूसरे हिस्सों से बाहर करने के मकसद से ला रही है।

बिल पास कराने पर भाजपा अड़ी

नागरिकता संशोधन बिल पास कराने पर मोदी सरकार अड़ी हुई है। बुधवार को कैबिनेट ने नागरिकता संशोधन विधेयक पास कर दिया है। लोकसभा और राज्यसभा के जो आंकड़े हैं उससे साफ है कि सदन में ये बिल पास हो ही जाएगा और जल्द से जल्द कानून बन जाएगा, हालांकि इस विधेयक पर भी एनआरसी और धारा 370 जैसा घमासान देखने को मिल रहा है। जिस तरह मोदी सरकार ने मजबूत इच्छा शक्ति से तीन तलाक बिल, धारा 370 जैसे बिल पास करा लिए उसके बाद ये बिल लोकसभा या राज्यसभा में रुकेगा इसकी उम्मीद न के बराबर है।

हालांकि विपक्ष इस बिल में कुछ संशोधनों से खफा है, लेकिन लोकसभा का गणित बताता है कि उसके पास हंगामे के अलावा कोई रास्ता नहीं है। हंगामें से बिल लेट भले हो जाए लेकिन उसे पास होने से रोका नहीं जा सकता है। भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। ऐसे में भारत की जिम्मेदारी बनती है कि वो मुस्लिम देशों में धार्मिक अत्याचार झेल रहे नागरिकों को संरक्षण दे। भारत ऐसा कर भी रहा है लेकिन नागरिकता पाने का रास्ता इतना कठिन है कि इन देशों से आए गैर मुस्लिम लोगों को भारत की नागरिकता नहीं मिल पा रही है।

हालांकि इस बिल के कानून बन जाने से अब ये रास्ता आसान हो जाएगा। नागरिकता संशोधन बिल के बहाने मोदी सरकार ने पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से धार्मिक अत्याचार के कारण भारत में शरण के लिए आए लोगों पर मरहम लगाने का काम किया है। बिल का समर्थन कर रहे नेताओं का कहना है कि भारत से सटे तीनों देश मुस्लिम देश हैं, ऐसे में गैर मुस्लिमों को यहां लगातार धार्मिक कारणों से प्रताड़ित किया जा रहा है। यही कारण है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भागकर ये लोग भारत आ रहे हैं।

कानून बन जाने के बाद आसानी से मिलेगी नागरिकता

नागरिकता संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास हो जाने के बाद जब यह कानून बन जाएगा तब आसानी से मिलेगी नागरिकता। दरअसल लंबे समय से पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थी भारत की नागरिकता की आस लगाए बैठे हुए हैं। एक आंकड़े के मुताबिक देश में नागरिकता की उम्मीद लगाए गैर मुस्लिम शरणार्थियों की संख्या करीब 1 करोड़ के आस-पास है।

नागरिकता कानून 1955 के हिसाब से भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम 11 साल भारत में रहना अनिवार्य होता है, लेकिन नए संशोधन के बाद इस समय-सीमा को घटाकर 6 साल किया जा सकता है। साफ है सरकार पड़ोसी देशों से आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को आसानी से भारत की नागरिकता देने की तैयारी में है। साथ ही इससे उनके उन घावों पर मरहम लगाने की कोशिश में है जिसके कारण वो अपना देश छोड़ने को मजबूर हुए थे।

इस बिल पर भाजपा के साथ शिवसेना

नागरिकता संशोधन बिल पर  कांग्रेस समेत कई पार्टियां विरोध कर रही हैं लेकिन कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाली शिवसेना ने बिल का समर्थन किया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि हमारा रुख हमेशा घुसपैठियों के खिलाफ रहा है। मुंबई में हमने बांग्लादेशियों से सामना किया है। राष्ट्रीय सुरक्षा पर हम हमेशा किसी भी मोदी सरकार के साथ हैं।

संजय राउत ने कहा कि हर राज्य के बिल के बारे में अलग-अलग राय है, दूसरों की राय भी लेनी चाहिए। असम में बीजेपी के मुख्यमंत्री भी इसका विरोध कर रहे हैं। मैं किसी भी धर्म के बारे में चिंतित नहीं हूं और मुझे पता है कि मुंबई में क्या हो रहा है।

आरएसएस भी कर रहा है नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन

मोदी सरकार के नागरिकता संशोधन बिल का जहां राजनीतिक विरोध हो रहा है वहीं राष्ट्रीय सेवक संघ का दावा है कि इससे ऐतिहासिक गलती को सुधारने का मौका मिलेगा। संघ का मानना है कि इस कानून से दो से तीन करोड़ लोग फायदा उठा सकेंगे, और इनमें अधिकांश हिंदू होंगे। संघ के मुताबिक जिस दिन हम आजाद हुए उसी दिन से यह गुलाम हो गए या कानून बनने के बाद 70 साल की गुलामी से यह आजाद हो सकेंगे। इन जैसे देशों में रह रहे धार्मिक और अल्पसंख्याक मूल रूप से भारतीय हैं और उन पर अब धर्म के आधार पर अत्याचार हो रहा है। आजादी के समय वहां बसे संपन्न लोग तो भारत आ गए लेकिन इन्हें ऐसा मौका नहीं दिया गया। इसलिए भारत की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें अब मौका दें।

क्या है नागरिकता संशोधन बिल

भारत देश का नागरिक कौन है, इसकी परिभाषा के लिए साल 1955 में एक कानून बनाया गया जिसे ‘नागरिकता अधिनियम 1955’ नाम दिया गया। मोदी सरकार ने इसी कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसे ‘नागरिकता संशोधन बिल 2016’ नाम दिया गया है। नागरिकता संशोधन बिल में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध यानी कुल 6 समुदायों के लोगों को नागरिकता दी जाएगी। इसमें मुसलमानों का जिक्र नहीं है। नागरिकता के लिए पिछले 11 सालों से भारत में रहना अनिवार्य है, लेकिन इन 6 समुदाय के लोगों को 5 साल रहने पर ही नागरिकता मिल जाएगी। इसके अलावा इन तीन देशों के 6 समुदायों के जो लोग 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत आए हों, उन्हें अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा।

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार