जयपुर। पिछले दिनों से कई फैसले ऐसे रहे कि केंद्र सरकार पर उल्टे पड़ गए, जैसे नागरिकता संशोधन एक्ट और एनआरसी को लेकर विपक्ष ने पूरे देश में ऐसा तूल दे दिया कि मोदी सरकार सकते में है। यही नहीं देश में अर्थव्यवस्था, महंगाई-बेरोजगारी पर भी विपक्ष केंद्र सरकार पर हावी हो हैं। दिल्ली का जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बार-बार हो रही हिंसा भी केंद्र सरकार की आंखों में किरकिरी बन गई है। जेएनयू में हुई हिंसा पर भी विपक्ष के तमाम नेताओं ने इसका आरोप केंद्र सरकार पर लगा दिया।
दूसरी ओर भाजपा का देश में खिसकता जनाधार भी विपक्ष को मजबूत कर रहा है। दूसरी ओर भाजपा का देश में खिसकता जनाधार भी विपक्ष को मजबूत कर रहा है। यह सब मुद्दों को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। सीएए का विरोध देशभर में कई शहरों में जोर पकड़ने लगा तब कांग्रेस समेत कई विपक्षी नेताओं को अनुमान हो गया था कि यह मुद्दा केंद्र सरकार को घेरने के लिए ‘रामबाण’ से कम नहीं रहेगा।
कश्मीर काे लेकर सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र को दी चेतावनी, विपक्ष ने सरकार की हार बताया
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में लगाई गई तरह-तरह की पाबंदियों को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर 10 जनवरी को तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट बैन और धारा 144 तभी लगाया जा सकता है जब उसकी अत्यंत जरूरत हो। साथ ही कोर्ट ने केंद्र सरकार पर तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि लंबे समय तक इंटरनेट पर पाबंदी और धारा 144 का लगाया जाना सरकार द्वारा अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने जैसा है।
कोर्ट की तरफ से यह तल्ख टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब केंद्र सरकार 17 देशों के राजनयिकों को जम्मू-कश्मीर दौरे को लेकर गई है। कोर्ट के इस आदेश के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार की हार बताया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर का हर नागरिक सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का इंतजाम कर रहा था।
अर्थव्यवस्था और आर्थिक मंदी को लेकर केंद्र सरकार बैकफुट पर है
चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर के पिछले 11 साल में सबसे निचले स्तर तक पहुंचने के अनुमानों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पशोपेश में है। देश में अर्थव्यवस्था और आर्थिक मंदी को लेकर भी केंद्र की मोदी सरकार इसलिए कई माह से विपक्ष के निशाने पर है। इसी गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अर्थव्यवस्था को लेकर नीति आयोग के साथ लंबी बैठक की। बैठक में पीएम मोदी के अलावा देश के 38 दिग्गज अर्थशास्त्री, इंडस्ट्रीज विशेषज्ञ और कैबिनेट मंत्री शामिल थे। बैठक में विभिन्न क्षेत्रों के विषयों पर अर्थशास्त्रियों, व्यापारिक नेताओं और विभिन्न क्षेत्रों के नीति विशेषज्ञों के साथ गहन विचार-विमर्श किया गया। विशेषज्ञों ने सरकार से कर्ज वृद्धि, निर्यात वृद्धि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के संचालन, उपभोग और रोजगार बढ़ाने पर काम करने की सलाह दी।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण रहीं अनुपस्थित, कांग्रेस ने बोला हमला
बजट पर नीति आयोग की विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों के साथ अहम बैठक में वित्त मंत्री सीतारमण के न शामिल होने पर कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला बोला है। कांग्रेस ने ट्वीट करके कहा ‘एक महिला की नौकरी करने में कितने पुरुष की जरूरत है। वहीं, दूसरे ट्वीट में कांग्रेस ने कहा ‘यहां एक सुझाव है, अगली बजट बैठक में वित्त मंत्री को आमंत्रित करने पर विचार करें। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बैठक में उपस्थित नहीं थी। वह बीजेपी मुख्यालय में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बजट-पूर्व बैठकें कर रही थीं।
बता दें कि वित्त मंत्री एक फरवरी को आम बजट पेश करेंगी। पीएम मोदी भारतीय अर्थव्यस्था को तेजी से पटरी पर लाने को लेकर नीतिगत उपायों को व्यक्तिगत स्तर पर देख रहे हैं और इस पर काफी समय खर्च कर रहे हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच प्रतिशत रही जो कि दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई है।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार