नयी दिल्ली। बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी की सीमा 74 प्रतिशत करने और संबंधित बीमा कंपनियों के नियंत्रण को विदेशी कंपनियों के हाथ में देने वाले बीमा (संशोधन) विधेयक 2021 पर गुरुवार को कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने राज्य सभा में जबरदस्त हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही चार बार स्थगित करने पड़ी।
सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह देश की एक बड़ी आबादी को प्रभावित करता है, इसलिए इस पर गंभीर तथा व्यापक जांच होनी चाहिए। इस विधेयक काे सदन की स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए। कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने भी इसके लिए सभापति को पत्र लिखा। उप सभापति हरिवंश ने कांग्रेस और विपक्ष की आपत्तियों और तर्कों को हालांकि खारिज कर दिया और विधेयक पर चर्चा कराने का प्रयास किया। इसके कारण पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध बन गया और सदन की कार्यवाही लगभग ढाई बजे से लेकर तकरीबन पौने चार बजे तक चार बार स्थगित करनी पड़ी। इसके बाद सदन में विधेयक पर चर्चा शुरू हो सकी।
खडगे ने कहा कि सरकार विपक्ष को बुलडोज करना चाहती है जिसके गंभीर परिणाम होंगे। सरकार ने कृषि विधेयकों को पारित कराने में भी यही तरीका अपनाया था जिसके चलते लाखों किसान देशभर में धरने बैठें हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को तब पता चलेगा जब देशभर के लोग हड़ताल पर उतर जाएगें। सरकार सब कुछ बेचना चाहती है चाहे वे बैंक, रेलवे, सड़क, बंदरगाह, बीमा या सरकारी क्षेत्र की अन्य कंपनियां हों। उन्होंने कहा कि विपक्ष अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को समझते हुए विधेयक पर अपनी बात रखकर सरकार को आगाह कर रहा है जिससे वह विधेयक पर एक बार फिर विचार कर कमियों को दूर कर सके।
सदन में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि विधेयक के गंभीर परिणाम सामने आएगें। बीमा कंपनियां विदेशियों के हाथों में चली जाएगी और स्वदेशी पूंजी देश से बाहर होगी। उन्होंने सवाल किया कि जब विदेशी कंपनियां संकट में आएंगी तो देश के हितों को कैसे बचा पायेंगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करते हुए विधेयक पर अपना रूख स्पष्ट कर रही है लेकिन सरकार को अपनी नीतियों पर फिर से विचार करना चाहिए। उन्हाेंने कहा कि विधेयक को स्थायी समिति को भेजना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी के अरुण सिंह ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि इससे बीमा क्षेत्र में पूंजी और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी आयेगी तथा बीमा सेवा गांव स्तर तक पहुंचेंगी। उन्होंने बीमा कंपनियां को विदेशियों के हाथों में जाने की आशंका को खारिज कर दिया।
द्रविड मुनेत्र कषगम के तिरुचि शिवा ने कहा कि यह विधेयक जनता के लिए हानिकारक साबित होगा। आम आदमी को इससे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सुभाष चंद्र बोस पिल्ली ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे बीमा सेवाओं को निचले स्तर पर पहुंचाने में मदद मिलेगी। तेलंगाना राष्ट्र समिति के बांदा प्रकाश ने कहा कि विधेयक को लेकर सरकार को सतर्कता बरतनी चाहिए। समाजवादी पार्टी के विशंभर प्रसाद सिंह ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि स्वदेशी बीमा कंपनियों को विदेशियों के हाथ में देने का कोई तुक नहीं है। बेहतर होता कि सरकार नयी बीमा कंपनी शुरू करती।
जनता दल युनाईटेड के रामचंद्र प्रसाद सिंह ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि सुधार की प्रक्रिया बीच में नहीं रुक सकती। दूरंसचार के क्षेत्र के विदेशी निवेश के बेहतर परिणाम सामने आये हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की झरना दास वैद्य ने कहा कि बीमा क्षेत्र को विदेशी पूंजी के लिए नहीं खोला जाना चाहिए। राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने विधेयक का विरोध किया और कहा कि इससे खतरनाक समय शुरू होता है। उन्होेंने विधेयक को स्थायी समिति में भेजने का समर्थन किया।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने स्वदेशी कंपनियों ने बेहतर काम किया है और समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक सेवा को पहुंचाया है। विदेशी नियंत्रण पर गंभीर रुप से विचार करने की जरुरत है। शिवसेना के अनिल देसाई ने कहा कि बीमा कंपनियाें का स्वामित्व विदेशी हाथों में नहीं जाना चाहिए। तेलुगू देशम पार्टी के कनकमेदला रविंद्र कुमार ने कहा कि बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी आने से लोगों के दिलो दिमाग में अनिश्चितता पैदा होगी।
भारतीय जनता पार्टी के सुशील कुमार मोदी ने कहा कि आर्थिक सुधारों को नरसिम्हा सरकार ने शुरू किया था जिससे मोदी सरकार आगे बढ़ा रही है। विधेयक किसी भी बीमा कंपनी को विदेशी पूंजी के लिए बाध्य नहीं करती है। यह उसकी जरुरत और मंशा पर निर्भर है। कांग्रेस की अमी याज्ञनिक ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी की सीमा बढ़ाने का सरकार के पास कोई तर्क नहीं है। बीमा क्षेत्र में विदेशी पूंजी की कोई जरुरत नहीं है। बीमा कंपनियों का स्वामित्व विदेशियों काे देना एक खतरनाक भूल होगी।
बीजू जनता दल के अमर पटनायक ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे देश में बीमा क्षेत्र का विस्तार होगा। इससे देश में पूंजी का उपलब्धता बढ़ेगी और इसका स्वागत किया जाना चाहिए।
भारतीय जनता पार्टी के सैयद जफर इस्लाम ने विधेयक का समर्थन किया और कहा कि इससे बीमा का दायरा बढ़ेगा। देश का बीमा बाजार वैश्विक स्तर का बनेगा। देश में बीमा बाजार खुलेगा और नयी बीमा कंपनियां शुरू होगी। रोजगार के अवसर बढ़ेगें। गरीब लोगों को बीमा की सुविधा उपलब्ध होगी।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि इससे आम जनता का नुकसान हाेगा और पूंजीपतियो को लाभ मिलेगा। आम आदमी पार्टी के संजय सिह ने कहा कि सरकार तमाम क्षेत्रों को विदेशियों को देने की योजना से युवाओं को नुकसान होगा। सरकारी स्तर पर नौकरियां खत्म होंगी।