नई दिल्ली। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने लोकसभा में गुरुवार को कहा कि गंगा नदी में गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक अपघटित (डिजॉल्व्ड) ऑक्सीजन का स्तर पूरी तरह मानकों के अनुरूप है।
नहाने के लिए गंगा का जल गुणवत्ता के प्राथमिक मानकों की अधिसूचित सीमा में है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी में प्रदूषण की चुनौतियों से निपटने में राज्य सरकारों के प्रयासों को भारत सरकार वित्तीय तथा तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है।
बसपा सांसद रीतेश पाण्डेय के एक पूरक प्रश्न के उत्तर में शेखावत ने कहा कि गंगा जल की गुणवत्ता की निगरानी के तीन सूचक होते हैं, जिनमें एक सूचक- अपघटित (डिजॉल्व्ड) ऑक्सीजन की मात्रा गंगा के उद्गम से लेकर इसके विलय तक मानक स्तर पर है।
उनसे गंगा नदी का जल उत्तर प्रदेश से लेकर पश्चिम बंगाल तक अनेक स्थानों पर नहाने योग्य भी नहीं होने संबंधी सीपीसीबी की रिपोर्ट की मीडिया में आई खबरों पर प्रश्न पूछा गया था।
शेखावत ने लिखित उत्तर में कहा कि जल गुणवत्ता की निगरानी से पता चलता है कि नदी की स्थिति के एक सूचक- अपघटित ऑक्सीजन की मात्रा, नहाने के लिए जल गुणवत्ता के प्राथमिक मानकों की अधिसूचित सीमा में है। सभी मौसमों और लगभग संपूर्ण गंगा नदी के क्षेत्र में नदी की पारिस्थितिकी की सहायता के लिए संतोषजनक है।
प्रश्नकाल में शेखावत ने कहा कि गंगा की स्वच्छता के लिए अब तक 305 परियोजनाएं मंजूर की गई हैं, जिनकी अनुमानित लागत 28,613.75 करोड़ रुपए है, इनमें से 109 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। शेष परियोजनाएं कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
शेखावत ने कहा कि गंगा नदी की जल गुणवत्ता की निगरानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) द्वारा गंगा की मुख्यधारा वाले पांच राज्यों में 97 मैन्यूअल जल गुणवत्ता केंद्रों पर की जाती है। इसी प्रकार सीपीसीबी 36 रियल टाइम जल गुणवत्ता निगरानी केंद्रों के माध्यम से भी गंगा नदी की जल गुणवत्ता की निगरानी करता है।