धर्मशाला| तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के दो दशकों से निजी चिकित्सक रह चुके बुजुर्ग बौद्ध भिक्षु येशि धोंडेन को दवा के क्षेत्र में योगदान के लिए पद्म श्री सम्मान के लिए चुना गया है। गेशे न्गावांग समतेन के बाद वह यह प्रतिष्ठित सम्मान पाने वाले दूसरे तिब्बती हैं।केंद्रीय तिब्बती प्रशासन (सीटीए) ने एक बयान में कहा, हम उनके निजी योगदान व तिब्बती दवाओं की मान्यता को बधाई देते हैं, जिसे अब अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में इसके चिकित्सकीय गुणों के कारण तेजी से खोजा जा रहा है।धोंडेन 1960 से दलाई लामा के निजी चिकित्सक रहे थे। 1959 में दलाई लामा तिब्बत से पलायन कर भारत आए थे।
धोंडेन को रोगियों के प्रभावी उपचार करने को लेकर ख्याति हासिल है। उन्हें कैंसर का विशेषज्ञ माना जाता है।धोंडेन मैकलॉयडगंज में रहते हैं। यह तिब्बत की निर्वासित सरकार का मुख्यालय है। वह 1979 तक तिब्बतेन मेडिकल एंड एस्ट्रोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के निदेशक व प्राचार्य थे।उन्होंने 63 सालों से सभी प्रकार के मरीजों का इलाज किया है।
मैकलॉयडगंज के बुजुर्गो का कहना है कि धोंडेन यहां आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा व उनके अनुयायियों के साथ 1960 में आए थे।
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