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सीकर जिले के दौरे पर नहीं जा सके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हेलिकॉप्टर को उदयपुर से सीकर की उड़ान की अनुमति नहीं मिलने से वह शुक्रवार को अपने सीकर जिले के दौरे पर नहीं जा सके।

इस कारण मुख्यमंत्री का सीकर दौरा स्थगित हो गया। गहलोत ने इस बारे में सोशल मीडिया पर यह जानकारी देते हुए बताया कि आज बाबा श्री खींवादासजी महाराज की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में सांगलिया पीठ, सीकर जाने का कार्यक्रम था परन्तु जी-20 की बैठक के कारण गृह मंत्रालय, भारत सरकार ने एयरस्पेस में उदयपुर से सीकर हेलिकॉप्टर से जाने की अनुमति नहीं दी, जिसके कारण आज सांगलिया पीठ नहीं पहुंच पा रहा हूं। सांगलिया पीठ के पीठाधीश्वर श्री ओम दा‌स महाराज से फोन पर बात कर जानकारी दी। मैं जल्दी ही सांगलिया पीठ आशीर्वाद लेने आऊंगा।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री सीकर जिले के धोद इलाके में सांगलिया धूणी के बाबा खींवादास की 22वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे।

तृणमूल कांग्रेस ने उपचुनाव में धूपगुड़ी (सु) सीट भाजपा से छीनी

जलपाईगुड़ी। पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने धूपगुड़ी विधानसभा उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हराकर उससे यह सीट छीन ली।

तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार प्रोफेसर निर्मल चंद्र रॉय ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा प्रत्याशी तापसी रॉय को 4500 से अधिक वोटों से हराया। कांग्रेस समर्थित मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के उम्मीदवार ईश्वर चंद्र रॉय तीसरे स्थान पर रहे।

गत 25 जुलाई को भाजपा विधायक बिशु पदा रे के असामयिक निधन के बाद जलपाईगुड़ी जिले की धुपगुड़ी सीट रिक्त थी और पांच सितम्बर को यहां उपचुनाव कराए गएथे।

आज मतगणना के शुरूआत में बढ़त लेने वाली भाजपा अंततः सत्तारूढ़ दल से सीट हार गई, जो 2009 से चुनाव जीत रही है और 2011 के विधानसभा चुनाव में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्व वाले एलएफ को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाया।

तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी राय धूपगुड़ी गर्ल्स कॉलेज में प्रोफेसर हैं और राजबंशी समुदाय से हैं और भाजपा ने 2021 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले में मारे गए केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) जवान की विधवा तापसी रॉय को मैदान में उतारा था। माकपा ने लोक गायक ईश्वर चंद्र रॉय को मैदान में उतारा था और कांग्रेस ने उनका समर्थन किया था।

चीन में आईफोन पर प्रतिबंध की रिपोर्ट के बाद एप्पल के शेयरों में गिरावट

वाशिंगटन। चीन में सरकारी कर्मचारियों पर आईफोन का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगाए जाने की रिपोर्ट के बाद अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी एप्पल के शेयरों में लगातार दूसरे दिन गिरावट आई है। पिछले दो दिनों में कंपनी के शेयर बाजार मूल्यांकन में 06 फीसदी से अधिक या लगभग 200 अरब डॉलर की गिरावट आई है।

चीन प्रौद्योगिकी दिग्गज का तीसरा सबसे बड़ा बाजार है, जिसका पिछले साल के कुल राजस्व में 18 प्रतिशत हिस्सा था। चीन में एप्पल के अधिकांश उत्पाद उसके सबसे बड़े आपूर्तिकर्ता फॉक्सकॉन द्वारा निर्मित किए जाते हैं।

वॉल स्ट्रीट जर्नल (डब्ल्यूएसजे) ने बुधवार को बताया कि चीन ने केंद्रीय सरकारी एजेंसी के अधिकारियों को कार्यालय में आईफोन नहीं लाने या काम के लिए उनका इस्तेमाल नहीं करने का आदेश दिया है। अगले दिन ब्लूमबर्ग न्यूज ने बताया कि प्रतिबंध राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों और सरकार समर्थित एजेंसियों के श्रमिकों पर भी लगाया जा सकता है।

सूत्रों ने डब्ल्यूएसजे को बताया कि आईफोन का उपयोग न करने के निर्देश अधिकारियों को उनके वरिष्ठों द्वारा हाल के सप्ताहों में दिए गए थे। अन्य विदेशी ब्रांड वाले उपकरणों पर भी प्रतिबंध लगाए गए। अखबार का कहना है कि कुछ एजेंसियों में पहले से ही आईफोन पर प्रतिबंध लगा हुआ था। लेकिन उसके सूत्रों ने सुझाव दिया कि अब इसे बढ़ा दिया गया है।

यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उन निर्देशों को चीनी अधिकारियों के माध्यम से कितने व्यापक रूप से प्रसारित किया गया है। ये रिपोर्टें आईफोन 15 के लॉन्च से पहले आईं, जो 12 सितंबर को होने की उम्मीद है।

चीनी सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने कहा कि वे सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियों के लिए काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें सितंबर के अंत तक एप्पल उपकरणों का उपयोग बंद करने के लिए कहा गया है।

चीन एप्पल के सबसे बड़े बाजारों में से एक है और देश में आईफोन का उत्पादन होता है, हालांकि हाल ही में एप्पल ने भारत में उत्पादन बढ़ाया है। रिपोर्टों के जवाब में चीनी सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। एप्पल ने टिप्पणी के लिए बीबीसी के अनुरोध का तुरंत जवाब नहीं दिया।

गौरतलब है कि शेयर बाजार मूल्यांकन दुनिया में सबसे अधिक है, जो लगभग 2.8 खरब डॉलर है। एप्पल के शेयरों में गिरावट के साथ-साथ, इसके कुछ आपूर्तिकर्ताओं के शेयरों पर भी असर पड़ा।

आईपीएस अधिकारी रश्मी शुक्ला के खिलाफ एफआईआर रद्द

मुंबई। बम्बई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की वरिष्ठ अधिकारी रश्मी शुक्ला के खिलाफ दो प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) को रद्द कर दिया क्योंकि सरकार ने महाराष्ट्र के राजनेताओं के कथित फोन टैपिंग के आरोप में मुंबई पुलिस को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था।

पहली एफआईआर मुंबई के मरीन ड्राइव थाना में शुक्ला के खिलाफ कथित तौर पर शिवसेना नेता संजय राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता एकनाथ खडसे के फोन टैप करने के आरोप में दर्ज की गई थी। दूसरी पुणे शहर पुलिस ने पिछली भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार के कार्यकाल के दौरान कथित तौर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले का फोन टैप करने के आरोप में दर्ज की गई थी।

राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता डा. बीरेंद्र सराफ ने अदालत को सूचित किया कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 197 के तहत शुक्ला के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए मुंबई पुलिस को मंजूरी नहीं दी गई थी।

उन्होंने यह भी बताया कि पुणे शहर पुलिस ने जनवरी 2023 में पुणे एफआईआर में पहले ही क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी थी और शिकायतकर्ता द्वारा कोई विरोध याचिका दायर नहीं की गई थी। इन दलीलों के मद्देनजर अदालत ने शुक्ला के खिलाफ दोनों एफआईआर को रद्द करना उचित समझा।

अश्विनी चौबे ने ऋषि सुनक को रुद्राक्ष, गीता और हनुमान चालीसा भेंट की

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का शुक्रवार को पालम हवाई अड्डे पर स्वागत करते हुए रुद्राक्ष, श्रीमद्भागवत गीता और हनुमान चालीसा भेंट की।

चौबे ने जी 20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने यहां पहुंचे सुनक का हवाई अड्डे पर जय सियाराम से अभिवादन किया। केन्द्रीय मंत्री ने सुनक को बताया कि वह बिहार के बक्सर से सांसद हैं। बक्सर आध्यात्मिक रूप से प्राचीन काल से ही प्रसिद्ध नगर है जहां भगवान श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण ने गुरु महर्षि विश्वामित्र से शिक्षा-दीक्षा ली थी और ताड़का वध किया था। इस दौरान सुनक ने भारत की आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक गाथा को उत्साह से सुना।

उन्होंने कहा कि भारत की धरती आपकी पूर्वजों की धरती है। आपके यहां आने से सभी काफी उत्साहित हैं। केंद्रीय मंत्री ने अयोध्या बक्सर सहित मां जानकी के जन्म स्थान सीतामढ़ी और बांका के मंदार पर्वत की आध्यात्मिक संस्कृति से भी सुनक और उनकी पत्नी को अवगत कराया। उन्होंने सुनक को रुद्राक्ष, श्रीमद्भागवत गीता और हनुमान चालीसा भेंट की।

उत्तराखंड : भाजपा ने बागेश्वर विधानसभा उपचुनाव जीता, पार्वती दास विजयी

बागेश्वर/नैनीताल। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड के बागेश्वर विधानसभा उप चुनाव में शुक्रवार को जीत हासिल कर ली। भाजपा की प्रत्याशी पार्वती दास ने कांग्रेस के बसंत कुमार को 2405 मतों से शिकस्त दी है। कांग्रेस ने उपचुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस विजय पर भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास को बधाई दी है।

उपचुनाव में कुल 67108 मत पड़े जिसमें से विधि मान्य मतों की संख्या 65876 रही। इसमें 181 मत रद्द किए गए। जबकि 1257 मत नोटा को मिले। चौदह दौर की गणना में भाजपा प्रत्याशी को 33247 मत हासिल हुए जबकि कांग्रेस के बसंत कुमार को 30842 मत मिले। अन्य दल आसपास भी नहीं ठहर पाए। उत्तराखंड क्रांति दल (उक्रांद) को 857, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी (उपपा) को 268 और समाजवादी पार्टी को मात्र 637 मत मिले हैं।

कांग्रेस प्रत्याशी बसंत कुमार पहले, सातवें, दसवें और 14वें चरण में आगे रहे। बाकी अन्य चरणों में भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास लगातार आगे बनी रही। पोस्टल बैलेट में भी भाजपा प्रत्याशी आगे रही। कुल 1538 पोस्टल बैलेट में भाजपा को 781, कांग्रेस को 697 मत मिले जबकि नोटा को 25 मत हासिल हुए। तेरहवें चरण तक भाजपा प्रत्याशी 2806 मत से आगे चल रही थी लेकिन 14वें चरण में कांग्रेस प्रत्याशी को 1460 मत हासिल हुए जिससे जीत का अतंर घटकर 2401 रह गया।

उपचुनाव के लिहाज से भाजपा के लिए यह जीत आसान नहीं रही। कांग्रेस ने भाजपा को यहां कड़ी टक्कर दी। इससे साफ है कि प्रदेश में भाजपा की डगर आगे कठिन हो सकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और उनकी टीम को आगे कड़ी मेहनत करनी होगी।

धामी ने उप चुनाव में मिली जीत पर खुशी जाहिर करते हुए भाजपा प्रत्याशी पार्वती दास को बधाई दी है। भाजपा प्रत्याशी दास ने भी जनता का धन्यवाद ज्ञापित किया और कहा कि वह अपने पति के अधूरे कामों को जनता के सहयोग से पूरा करेगी।

पाकिस्तान में ईसाई विरोधी हिंसा, 20 से अधिक चर्च और 200 घरों में तोड़फोड़

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इस्लामाबाद। पाकिस्तान में हाल की ईसाई विराेधी हिंसा के दौरान 20 से अधिक चर्चों और ईसाई समुदाय के सदस्यों के 200 से अधिक घरों में तोड़फोड़ की गई है।

पाकिस्तान में रूस के बाहरी रूसी ऑर्थोडॉक्स चर्च (आरओसीओआर) के एकमात्र पादरी जोसेफ फारूक ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 21 चर्चों और ईसाइयों के 200 घरों में तोड़फोड़ की गई। इसके अलावा पवित्र ग्रंथ बाइबिल की कई सौ प्रतियां भी नष्ट कर दी गईं।

जरनवाला शहर में अगस्त के मध्य में हिंसा भड़क उठी थी। पादरी ने बताया कि कुछ लोगों ने स्थानीय ईसाइयों पर कुरान के पन्ने फाड़ने और इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक शब्द लिखने का झूठा आरोप लगाया। पादरी ने कहा कि उन्होंने मस्जिद में ऐसी घोषणाएं कीं और भीड़ ईसाइयों के खिलाफ इकट्ठा हो गई। उन्होंने उनके घरों, चर्चों और पवित्र बाइबिल की प्रतियों को नष्ट कर दिया।

पीड़ितों से मुलाकात करने वाले फादर जोसेफ ने कहा कि लोगों ने मुझे बताया कि भीड़ ने उनके घरों से कीमती चीज़ें चुरा लीं। उन्होंने संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, सारी संपत्ति, सबकुछ क्षतिग्रस्त हो गया, सबकुछ। लोग असहाय महसूस कर रहे थे, लोग रो रहे थे।

फादर ने कहा कि यह ईसाई समुदाय के लिए एक बड़ा झटका है क्योंकि उनमें से ज्यादातर गरीब हैं और उन्हें अपने मुस्लिम जमींदारों के लिए काम करना पड़ता है। उन्होंने कहा,“वे अपनी रोजी रोटी के लिए बहुत मेहनत करते और पसीना बहाते हैं।

पादरी ने इस बात पर जोर दिया कि प्रारंभिक जांच से पता चला है कि हिंसा सुनियोजित तरीके से समन्वित की गई थी। उन्होंने बताया कि चरमपंथियों ने मस्जिदों में घोषणाएं करके, भीड़ इकट्ठा करके और भीड़ को ईसाइयों के खिलाफ हिंसा के लिए उकसाना शुरू कर दिया।

उन्होंने कहा कि हिंसा के दौरान कई मुस्लिम निर्दोष ईसाइयों की रक्षा करने और उन्हें आश्रय प्रदान करने के लिए आगे आए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में, अधिकांश मुसलमान अच्छे हैं और दयालु हैं और वे ईसाइयों के साथ मित्रवत हैं। केवल एक छोटा वर्ग अल्पसंख्यक कट्टरपंथी इस्लाम का पालन करता है।

ऐसी हिंसा के कारणों के बारे में पूछे जाने पर पादरी ने पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक संकट के कारण शिक्षा की कमी और आक्रामकता का उल्लेख किया। फादर जोसेफ ने कहा कि पुलिस हिंसा के लिए जिम्मेदार करीब 100 लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।

उन्होंने कहा कि ईसाई समुदाय ने अनुरोध किया है कि पाकिस्तानी अधिकारी धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। उन्होंने चेतावनी दी कि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और कानून के अनुसार दंडित किया जाना चाहिए। अन्यथा, ये घटनाएं दोबारा होंगी।

उदयनिधि स्टालिन, प्रियांक खर्गे तथा राजा की गिरफ्तारी की मांग

नई दिल्ली। विश्वबंधुत्व की सीख देकर सभी का समावेश करने वाले सनातन धर्म की डेंगू, मलेरिया, कोरोना, एड्स तथा कुष्ठरोग जैसे रोगों से तुलना कर सनातन धर्म को नष्ट करने की बात करने वाले तमिलनाडु के खेलमंत्री उदयनिधि स्टालिन, कर्नाटक के ग्रामीण विकास मंत्री प्रियांक खर्गे तथा द्रमुक सांसद ए राजा ने पूरे देश के करोडों हिन्दुओं की धार्मिक भावनाएं आहत की हैं। वे सभी अपने वक्तव्यों पर दृढ हैं। इस कारण पूरे देश के हिन्दुओं में रोष व्याप्त है।

ऐसे में जरूरी है की ऐसे वक्तव्य दने वालों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 153(A), 153(B), 295(A), 298, 505 तथा आईटी एक्ट के अंतर्गत तत्काल अपराध प्रविष्ट किया जाए। इन सभी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए। यह मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर की है साथ ही कार्रवाई न होने पर पूरे देश में तीव्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है।

देश के विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की बैठक मुंबई में होने के उपरांत उसमें सम्मिलित कुछ दलों में सनातन धर्म को लक्ष्य करने की होड लगी हुई है। करोडों हिन्दुओं की श्रद्धा पर आघात कर देश की एकता, अखंडता तथा शांति को संकट में डाला जा रहा है। मंत्री और सांसद जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन विभिन्न जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा इस प्रकार के वक्तव्य करना, लोकतंत्र की हार है।

क्या इस प्रकार से इस्लाम, ईसाई आदि धर्माें के विषय में वक्तव्य करने का साहस इन राजनीतिक दलों में अथवा उनके नेताओं में है? बार-बार भडकाऊ वक्तव्य कर हिन्दुओं को लक्ष्य करनेवाले इन कानून-द्रोही जनप्रतिनिधियों को केवल मंत्रीमंडल से नहीं, अपितु विधानसभा एवं संसद से भी हटा देना चाहिए। सामान्यतः हिन्दुओं के विरोध में तत्परता से हेट स्पीच के अपराध प्रविष्ट करने के आदेश पुलिस को दिए जाते हैं परंतु अनेक दिनों से अत्यंत निचले स्तर पर सनातन धर्म के विषय में वक्तव्य किए जा रहे हैं, तब भी न तो प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा है, न ही सर्वाेच्च न्यायालय इस विषय में ‘सु मोटो’ संज्ञान ले रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।

इस प्रकार से धार्मिक तनाव निर्माण करने वाले नेताओं पर अपराध प्रविष्ट कर उन्हें दंड नहीं दिया गया, तो देश की शांति, एकता और अखंडता संकट में पड जाएगी साथ ही देश में दंगे फैलाकर अराजकता निर्माण करने में ये आरोपी सफल हो जाएंगे। यदि ऐसा हुआ, तो इसके जिम्मेदार पुलिस तथा प्रशासन ही होंगे।

सनातन का अपमान करने वालों पर हो कठोर कार्यवाही, राज्यपाल को सौंपा ज्ञापन

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जयपुर। सनातन धर्म के बारे तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा दिए गए अपमानजनक बयान के विरोध में आज शहर के गणमान्य व्यक्तियों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा।

राष्ट्रपति के नाम संबोधित इस ज्ञापन द्वारा सनातन के विरुद्ध की गई आपत्तिजनक बयानबाजी को समाज में विद्वेष फैलाने वाला बताया। मेजर जनरल अनुज माथुर ने बताया कि भारतवासियो की भावनाओ को आहत करने का सुनियोजित षड्यंत्र हो रहे हैं। ऐसा लगता है कि भारत को कमजोर करने की साजिश की जा रही है। ज्ञापन में राष्ट्रपति से मांग की है की उदयनिधि का बयान राष्ट्र हित के लिए घातक है अतः मामले में हस्तक्षेप कर कठोर कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करवाए।

उल्लेखनीय है कि डीएमके नेता उदयनिधि ने सनातन को डेंगू, मलेरिया, कोरोना जैसा बताते हुए इसके उन्मूलन की बात कही थी। जिससे देश भर में सनातन में आस्था रखने वालो में नाराजगी है। डीएमके I.N.D.I.A. गठबंधन में शामिल है। ज्ञापन देने वालों में सेवानिवृत्त आईएएस, आईपीएस, सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी, एक्स वीसी एवं सेवानिवृत्त न्यायाधीश सम्मिलित थे।

ले. जनरल विश्म्भर सिंह, पूर्व न्यायाधीश प्रशान्त अग्रवाल पूर्व आईएएस ललित के पंवार, सेवानिवृत आईजी मदनसिंह राठौड़, सेवानिवृत कर्नल देवानंद लोहमरोड़ सहित 63 गणमान्य नागरिकों ने ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

पशु चिकित्सकों का मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना के बहिष्कार का ऐलान

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अजमेर। जिले के पशु चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना के बहिष्कार करने के निर्णय से सरकार को अवगत कराते हुए शुक्रवार को कलक्टर भारती दीक्षित को ज्ञापन सौंपा।

राजस्थान पशु-चिकित्सक संघ के महासचिव डॉ आलोक खरे ने बताया कि पशु चिकित्सकों की बहु प्रतीक्षित मांग नॉन प्रैक्टिस एलाउंस की रही है। जिसके लिए पशु चिकित्सकों द्वारा आंदोलन भी चलाया गया था। सरकार के वित्त विभाग ने इस मांग पर विचार कर सहमति जताई और आश्वासन भी दिया गया था कि जल्दी ही मुख्यमंत्री इसकी घोषणा करेंगे।

मुख्यमंत्री गहलोत ने भीलवाड़ा में कामधेनु पशु बीमा योजना के शुभारंभ के साथ पशु चिकित्सकों की मुख्य मांग नॉन प्रैक्टिस एलाउंस की घोषणा नहीं की और सरकार की हठधर्मिता निरंतर जारी है।

उल्लेखनीय है कि इस योजना के अंतर्गत 80 लाख पशुओं का निःशुल्क बीमा किया जाना है और इस बीमा योजना की जिम्मेदारी पशु-चिकित्सकों पर ही है। पशु चिकित्सकों द्वारा पशुओं का स्वास्थ्य परीक्षण कर स्वास्थ्य प्रमाणपत्र जारी करना और अन्य बीमा सम्बंधित कार्यवाही किया जाना अपेक्षित है।

पशु-चिकित्सकों को प्रत्येक पशुपालक के घर जाना होगा। डॉ खरे ने बताया कि राजस्थान के पशु चिकित्सकों के दोनों संघ, राजस्थान पशु-चिकित्सक संघ और वेटनरी डाक्टर्स एसोसिएशन इस संबंध में एकमत और एक साथ हैं। उनकी मांग है कि जब तक सरकार नॉन प्रैक्टिस एलाउंस की घोषणा नहीं करती है तब तक सरकार की हर योजना का बहिष्कार किया जाएगा।

राजस्थान वेटनरी डाक्टर्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष डॉ सुधाकर सैनी ने बताया कि पशुपालन विभाग के पशु-चिकित्सकों से गोपालन विभाग का कार्य भी करवाया जा रहा है। इस विभाग ने पशु चिकित्सकों द्वारा गौशालाओं का सत्यापन किए जाने के आदेश दिए हैं। ताकि गौशालाओं को अनुदान दिया जा सके। राज्य के पशु चिकित्सकों द्वारा गोपालन विभाग की इस योजना का बहिष्कार किया जाएगा।

ज्ञापन देने वालों में डॉ मुदित नारायण माथुर, डॉ रचना जैन, डॉ सुनील घिया, डॉ मनोज माथुर, डॉ रिपु मधुकर, डॉ मुकेश गुर्जर, डॉ सपन गोस्वामी, डॉ अशोक यादव, डॉ पृथ्वी सिंह, डॉ सौरभ अमरवाल डॉ साकेत पाठक आदि पशु चिकित्सक मौजूद थे।