नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आने वाले कालखंड में पूर्ण बहुमत वाली स्थिर सरकार को देश के लिए बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए मंगलवार को कहा कि देशवासियों का एक- एक कदम, एक-एक फैसला 2047 के विकसित भारत के निर्माण की नींव रखेगा और देश को भ्रष्टाचार, परिवारवाद तथा तुष्टीकरण के चक्रव्यूह से बाहर निकालकर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
मोदी ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले लाल किले की प्राचीर से दसवीं बार देशवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि पिछले नौ वर्षों में देश ने अनिश्चितता, अस्थिरता और राजनीतिक मजबूरी के दौर से बाहर निकलकर दुनिया में अपनी जगह बनाई और दुनिया भी मान रही है कि अब भारत का समय आ गया है।
प्रधानमंत्री ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर डेढ घंटे से भी अधिक समय तक चले अपने संबोधन में 140 करोड़ देशवासियों को भाई-बहनों या मेरे प्रिय देशवासियों की जगह बार-बार ‘मेरे परिवारजनों’ कह कर संबोधित किया और कहा कि आने वाला कालखंड देश के हजारों वर्ष के इतिहास को लिखेगा।
उन्होंने कहा कि अब गेंद हमारे पाले में है, हमें अवसर जाने नहीं देना चाहिए, हमें मौका छोड़ना नहीं चाहिए। भारत में मैं मेरे देशवासियों का इसलिए भी अभिनंदन करता हूं कि मेरे देशवासियों में एक नीर-क्षीर विवेक का सामर्थ्य है, समस्याओं की जड़ों को समझने का सामर्थ्य है और इसलिए 2014 में मेरे देशवासियों ने 30 साल के अनुभव के बाद तय किया कि देश को आगे ले जाना है तो स्थिर सरकार चाहिए, मजबूत सरकार चाहिए, पूर्ण बहुमत वाली सरकार चाहिए, और देशवासियों ने एक मजबूत और स्थिर सरकार बनाई है और तीन दशकों तक जो अनिश्चिता का काल था, जो अस्थिरता का कालखंड था, जो राजनीतिक मजबूरियों से देश जकड़ा हुआ था, उससे मुक्ति मिली।
उन्होंने कहा कि मेरे शब्द लिखकर के रखिए मेरे प्यारे परिवारजनों इस कालखण्ड में जो हम करेंगे, जो कदम उठाएंगे, जितना त्याग करेंगे, तपस्या करेंगे। सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय, एक के बाद एक फैसले लेंगे, आने वाले एक हजार साल का देश का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। इस कालखंड में होने वाली घटनाएं आगामी एक हजार साल के लिए इसका प्रभाव पैदा करने वाली हैं।
मोदी ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में देशवासियों से आशीर्वाद और सहयोग मांगते हुए कहा कि मेरी नीति साफ है और नीयत पर कोई सवालिया निशान नहीं है। सच्चाई को स्वीकार करके उसके समाधान के लिए आगे बढ़ना होगा। मैं आज आपसे मदद और आशीर्वाद मांगने आया हूं कि देश की समस्याओं को गंभीरता से लेना है। वर्ष 2047 में जब देश आज़ादी के 100 वर्ष पूरे करेगा, तब दुनिया में विकसित भारत का तिरंगा फहराएंगे। हमारे संकल्प में रत्ती भर भी कमी नहीं आएगी।
उन्होंने कहा कि इसके लिए शुचिता, पारदर्शिता और निष्पक्षता पहली जरूरत है। यह हमारा सामूहिक दायित्व है। पचहत्तर साल के इतिहास में भारत का सामर्थ्य कम नहीं हुआ। जो देश सोने की चिड़िया था, वह साल 2047 में देश की आज़ादी के शताब्दी वर्ष में फिर से उसी वैभव से खड़ा होगा। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में 30 साल से कम आयु के सबसे अधिक लोग भारत में हैं। देश की युवा शक्ति, नारी शक्ति और आम मानवीय की शक्ति पर भरोसा है कि आजादी के 100 वर्ष पूरे होने पर देश वर्ष 2047 में विकसित राष्ट्र बनकर रहेगा।
उन्होंने कहा कि हमें यह संकल्प लेना है कि वर्ष 2047 में हमारा तिरंगा एक विकसित राष्ट्र का राष्ट्रीय ध्वज होगा।देश आज हमारी माताओं-बहनों के सामर्थ्य से आगे बढ़ा है। आज देश प्रगति की राह पर चल पड़ा है तो हमारे किसान भाई-बहनों का पुरुषार्थ है, यह उनका ही परिश्रम है कि देश आज कृषि क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के विकसित राष्ट्र बनने में तीन चुनौतियों को सबसे बड़ी बाधा करार देते हुए सभी से इनसे मिलकर लड़ने का आह्वान किया और कहा कि ये तीन चुनौतियां भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण की नीति हैं और सभी को इनके सफाये के लिए संकल्प लेना होगा। उन्होंने कहा कि वह इन समस्याओं को जड़ से मिटाने के लिए निरंतर काम करते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि अब आंख बंद करने का समय नहीं है। अगर सपनों को सिद्ध करना है, संकल्प को पार करना है तो हमें यह आंख-मिचौली बंद करके आंख में आंख मिला करके तीन बुराइयों से लड़ना समय की मांग है। हमारे देश की सारी समस्याओं की जड़ में भ्रष्टाचार ने दीमक की तरह देश की सारी व्यवस्थाओं को, देश के सारे सामर्थ्य को पूरी तरह नोंच लिया है।
भ्रष्टाचार से मुक्ति, भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग हर इकाई में हर क्षेत्र में और मैं देशवासियों, मेरे प्रिय परिवारजनों, यह मोदी के जीवन का कमिटमेंट है, यह मेरे व्यक्तित्व का एक कमिटमेंट है कि मैं भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ता रहूंगा। दूसरा हमारे देश को नोंच लिया है परिवारवाद ने। इस परिवारवाद ने देश को जिस प्रकार से जकड़ करके रखा है उसने देश के लोगों का हक छीना है, और तीसरी बुराई तुष्टिकरण की है।
यह तुष्टिकरण में भी देश के मूल चिंतन को, देश के सर्वसमावेशक हमारे राष्ट्रीय चरित्र को दाग लगा दिए हैं। तहस-नहस कर दिया इन लोगों ने। और इसलिए मेरे प्यारे देशवासियों, इसलिए मेरे प्यारे परिवारजनों हमें इन तीन बुराइयों के खिलाफ पूरे सामर्थ्य के साथ लड़ना है। भ्रष्टाचार, परिवारवाद, तुष्टीकरण यह चुनौतियां, ये ऐसी चीजें पनपी है जो हमारे देश के लोगों का, जो आकांक्षाएं है, उसका दमन करती हैं। हमारे देश के कुछ लोगों के पास जो छोटा-मोटा सामर्थ्य है उसका शोषण करती हैं। यह ऐसी चीजें है, जो हमारे लोगों की आशाओं-आकांक्षाओं को सवाल या निशान में गढ़ देती है।
हमारे गरीब हो, हमारे दलित हो, हमारे पिछड़े हो, हमारे पसमांदा हो, हमारे आदिवासी भाई-बहन हो, हमारी माताएं-बहनें हो, हमने सबने उनके हकों के लिए इन तीन बुराइयों से मुक्ति पानी है। हमें भ्रष्टाचार के खिलाफ एक नफरत का माहौल बनाना है। जैसे गंदगी हमें नफरत पैदा करती है न मन में, गंदगी पसंद नहीं है, यह सार्वजनिक जीवन की इससे बड़ी कोई गंदगी नहीं हो सकती। और इसलिए हमारे स्वच्छता अभियान को एक नया मोड़ ये भी देना है कि हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति पानी है। सरकार टेक्नोलॉजी से भ्रष्टाचार की मुक्ति के लिए बहुत प्रयास कर रही है।
मोदी ने कहा कि इतिहास में एक कालखंड की एक छोटी-सी घटना ने देश पर दीर्घकालिक प्रभाव डाला और देश ने एक हजार साल की गुलामी झेली और आज हम ऐसे संक्रमण काल में खड़े हैं, जहां हमारे कार्य आने वाले 1000 वर्ष तक भारत के भविष्य की दिशा निर्धारित करेंगे। हम जो भी करेंगे, जो भी कदम उठाएंगे, जो फैसला लेंगे, वह अगले एक हजार साल तक अपनी दिशा निर्धारित करने वाला है, भारत के भाग्य को लिखने वाला है।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों विशेष रूप से युवाओं से देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने तथा उन संकल्पों को सिद्ध करने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम अमृतकाल में प्रवेश कर गए हैं जो हमें हजार वर्षों के स्वर्णिम युग में ले जायेगा। देश और दुनिया का भारत में असीम विश्वास एवं भरोसा है और उनकी भारत से बहुत बड़ी अपेक्षा है।
उन्होंने कहा कि भारत के अमृतकाल के कालखंड में हम जितना त्याग करेंगे, आने वाले एक हजार वर्ष का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। हमारे पास डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डायवर्सिटी की त्रिवेणी है जो भारत को बहुत आगे ले जायेगी।
मोदी ने इस मौके पर विश्वकर्मा योजना की घोषणा करते हुए कहा कि इसे जमीनी स्तर पर लागू कर अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत सुनार, सुतार, राजमिस्त्री, धोबी, नाई आदि वर्ग के लोगों को परंपरागत औज़ारों की जगह नए तकनीकी उपकरण मुहैया कराये जाएंगे। इसके लिए 13 से 15 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्रों की संख्या 10 हजार से बढ़ाकर 25 हजार की जाएगी। उन्होंने रिफॉर्म, परफॉर्म एवं ट्रांसफॉर्म को अपना कार्य मंत्र बताया।
प्रधानमंत्री ने मणिपुर को लेकर देश की चिंताओं को भी रखा और कहा कि समूचा देश मणिपुर के साथ खड़ा है।
मोदी महंगाई की समस्या पर भी बोले और कहा कि युद्ध के कारण पूरा विश्व महंगाई से परेशान है। हम भी महंगाई से पीड़ित हैं, लेकिन वह इसे भी दूर करने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के विकास को लेकर क्षेत्रीय आकांक्षाओं का समाधान करना जरूरी है। इसीलिए उनकी सरकार देश के सभी क्षेत्रों के संतुलित विकास की योजनाओं पर काम कर रही है। देश के साढ़े 13 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से निकाल कर नए मध्य वर्ग में शामिल करने में कामयाबी मिली है। गरीब की क्रय शक्ति जब बढ़ती है तो मध्यम वर्ग की कारोबारी शक्ति एवं आर्थिक समृद्धि बढ़ती है और इससे अर्थव्यवस्था का चक्र तेज़ होता है।
प्रधानमंत्री ने भाषण में अपनी सरकार के नौ साल के कामकाज का उल्लेख किया और अगले लोकसभा चुनाव में जीत का विश्वास व्यक्त करते हुए यह भी कहा कि वह अगले वर्ष भी लालकिले से देश को संबोधित करेंगे।
समूचा भारत मणिपुर के साथ खड़ा है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को जोर देकर कहा कि समूचा देश मणिपुर के साथ खड़ा है और वहां की समस्या का जल्द समाधान होगा। मोदी ने कहा कि मणिपुर बड़ी समस्या से जूझ रहा है। उन्होंने मणिपुर के लोगों को आश्वस्त किया कि इस नाजुक घड़ी में समूचा देश उनके साथ खड़ा है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा मणिपुर में शांति बहाली के सभी प्रयास किए जा रहे हैं और इन प्रयासों से वहां शांति लौट रही है तथा उन्हें विश्वास है कि रास्ता जरूर निकलेगा और वहां जल्द शांति बहाली होगी।
प्रधानमंत्री ने देशवासियों विशेष रूप से युवाओं से देश को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेने तथा उन संकल्पों को सिद्ध करने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि हम अमृतकाल में प्रवेश कर गए हैं जो हमें हजार वर्षों के स्वर्णिम युग में ले जाएगा। देश और दुनिया का भारत में असीम विश्वास एवं भरोसा है और उनकी भारत से बहुत बड़ी अपेक्षा है।
उन्होंने कहा कि भारत के अमृतकाल के कालखंड में हम जितना त्याग करेंगे आने वाले एक हजार वर्ष का स्वर्णिम इतिहास उससे अंकुरित होने वाला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पास डेमोग्राफी, डेमोक्रेसी और डायवर्सिटी की त्रिवेणी है जो भारत को बहुत आगे ले जाएगी।
मोदी ने इस मौके पर विश्वकर्मा योजना की घोषणा करते हुए कहा कि इसे जमीनी स्तर पर लागू कर अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार जनता को महंगााई से राहत दिलाने के लिए भी हर संभव प्रयास कर रही है।
प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले रणबांकुरों को भी श्रद्धांजलि दी। उन्होंने विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों के प्रति भी संवेदना व्यक्त की।