जब आप गलियों और बाजारों से गुजरते हैं तो दोनों तरफ फुटपाथ, सडक किनारे आपको ठेले नजर आते हैं, कुछ गरीब लोग अपना गुजारा करने के लिए कुछ ना कुछ छोटा काम करते हैं, जैसे कि पूड़ी सब्जी बनाना, कपड़े बेचना, जूते चप्पल बेचना, खाने पीने की कोई चीज बेचना, फल फ्रूट बेचना, जूस बेचना या और भी कई ऐसी चीजें होती हैं जिसके जरिए गरीब अपना पेट पालता है।
कई बार आपने यह भी देखा होगा कि उनकी वजह से सड़क जाम हो जाती है और ट्रैफिक पुलिस उन्हें बड़ी ही बेदर्दी से भगाती है कई बार उनके ऊपर डंडे भी बरसाए जाते हैं। वह बेचारे उस वक्त अपना काम बंद भी कर देते हैं और जैसे तैसे पुलिस वालों के डंडे से बचकर निकल जाते हैं।
यह बात यह भी सही है कि ट्रैफिक पुलिस अपना काम कर रही है। लेकिन क्या इन लोगों के लिए कोई जगह नहीं एक तरफ सरकार आरक्षण देती है जो कि जातिवाद पर निर्भर होता है वहीं दूसरी ओर इन गरीबों के लिए किसी प्रकार की कोई योजना नहीं होती और अगर होती भी है तो इन तक पहुंच नहीं पाती और यह गरीबी में ही अपना जीवन शुरू करते हैं और गरीबी में ही खत्म कर देते हैं।
कई घटनाएं इस प्रकार की होती है जब इन्हें पुलिस के ना केवल डंडा खाना पड़ता है बल्कि और भी कई मुसीबतों का सामना करना पड़ता है जिसमें पुलिस वाले कई बार इनसे घूस भी लेते हैं और इनसे गाली गलौज भी करते हैं, मारते-पीटते भी हैं और उनके साथ जानवर से भी बदतर जैसा व्यवहार करते हैं और उनकी आवाज कोई नहीं सुनता।
मासूम गरीब औरत का दर्द : आज इस में खबर में एक वीडियो लगा हुआ है यदि आप यह वीडियो देख पा रहे हैं तो आप देखेंगे इस औरत की दर्द की आवाज कि किस कदर है पुलिस वालों से परेशान है और जूते चप्पल का व्यापार करके अपना पेट पाल रहे हैं। वही इसका पति भी है जो अपनी पत्नी के साथ यह छोटा-मोटा काम कर रहा है लेकिन पुलिस प्रशासन से इनको इतनी ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है की यह बेबस हो रखे हैं।
इनका दर्द आपको इस वीडियो में नजर आ जाएगा अगर आपको यह वीडियो नहीं दिख रहा है तो हमारे YouTube चैनल Sabguru News पर जाकर भी आप यह वीडियो देख सकते हैं या हमारी वेबसाइट sabguru.com/18-22 पर जाकर अजमेर शहर तलाश करके आप यह वीडियो देख सकते हैं यहां बात गरीबी कि नहीं है यहां बात है इंसानियत की है। क्या इनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले इस तरह के पुलिस वाले इंसान नहीं है और इंसान हैं तो क्या उन्हें इन लोगों के साथ इंसानों जैसा व्यवहार नहीं करना चाहिए।
बिल्कुल करना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा यह बात केवल अजमेर शहर की नहीं है बल्कि भारत के हर एक शहर की है जहां पर इस तरह के छोटे-छोटे लोग अपना काम करते हैं और सभी लोग कभी पुलिस वालों से कभी दूसरे बड़े दुकानदारों से या कभी बड़े पैसे वाले ग्राहकों से परेशान होते हैं जिन्हें कई बार पुलिस के डंडे का कई बार किसी झगड़े का कई बार किसी गुंडागर्दी का शिकार होना पड़ता है। इनकी आवाज कोई नहीं सुनता यह मजबूर और बेबस रह जाते हैं और इस उम्मीद करते हैं इनके साथ हो न्याय हो इस खबर से आपको इस चीज का एहसास होगा कि यह सारी बातें सही है।
अजमेर दरगाह थाना पुलिस के जुल्म की कहानी गणेश की जुबानी
गणेश पुत्र काना एक गरीब और मजबूर है, जो फुटपाथ पर चप्पल जूते बेचकर गुजर बसर करना चाह रहा है। बेरहम पुलिस उसे ऐसा नहीं करने दे रही। मार मारकर शरीर पर इतनी चोटे दे दीं कि वह रह रहकर कराह उठता है। आंखों से बरबस आंसू छलक पडते हैं। कभी वह अपनी बेबसी को कोसता है तो कभी जुल्म ढाने वाली पुलिस को।
शनिवार को पुलिस अधीक्षक के पास गुहार लेकर पहुंचा गणेश कलेक्ट्रेट परिसर में रो रोकर लोगों को आप बीती सुना रहा था, उसे आशा थी यहां तो कोई उसे न्याय दिलाएगा। गणेश दरगाह पुलिस के खिलाफ एक शिकायती पत्र लेकर घूम रहा था।
शिकायत में उसने बताया कि वह खुद हिन्दू है लेकिन उसने एक मुस्लिम महिला से शादी की है। वर्तमान में वह दरगाह बाजार में लाखन कोठडी में किराए का मकान लेकर रह रहा है। पेट पालने के लिए वह दरगाह बाजार में ही दूकाने बंद हो जाने के बाद फुटपाथ किनारे कायनात होटल के पास चप्पल जूते की थडी लगाकार गुजर बसर कर रहा था।
इसी बीच पुलिस ने उसे तंग करना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई जब नशे की हालत में आकर पुलिस वाले उसे बेवजह ही मारने पीटने लगे। बीच बचाव करने आई पत्नी को भी नहीं बख्शा। ऐसा कई बार होता पर मन मारकर रह जाता।
गणेश बताता है कि एक बार तो बिना कारण ही उसे थाने में बंद कर दिया। बुरी तरह मारा। मुझे 17 घंटे तक बंद रखा और कागजों में गिरफ्तारी केवल 4 घंटे बताई। बाद में जमानत पर मुझे छोडा गया।
गणेश का कहना है कि 15 दिन पहले भी पुलिस ने पट्टों से मारा, आठ दिन पहले एक एसआई ने मारा और उसी रात थाने में पिटाई कर मेरा हाथ तोड दिया। हाथ में चोट होने के कारण अब कोई काम नहीं कर पा रहा हूं। पुलिस मेरी पत्नी को भी नाजायज तरीके से परेशान करती है। उसकी भी पिटाई करके पसली तोड दी। दरगाह थाना पुलिस बार बार धमकाती है कि अगर कहीं शिकायत की तो मुकदमें फंसाकर जिंदगी बरबाद कर देंगे।
गणेश का कहना है कि मेरा दोष इतना है कि मैं गरीब हूं। दरगाह बाजार में शराब बेचने वालों को पुलिस कुछ नहीं कहती और हम गरीबों पर अन्याय करती है। गणेश ने पुलिस अधीक्षक के नाम लिखे पत्र में दरगाह पुलिस के जुल्म से बचाए जाने की गुहार लगाई है।