इस्लामाबाद। पाकिस्तान को अयोध्या पर सुप्रीमकोर्ट का फैसला रास नहीं आया तथा निर्णय आने के तुरंत बाद करतारपुर कॉरीडोर के उद्घाटन के दिन ही यह फैसला सुनाए जाने को लेकर उसने आपत्ति जाहिर करने में देर नहीं लगाई।
विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने सदियों पुराने अयोध्या मसले को लेकर आए फैसले के समय को लेकर सवाल खड़े किए। उन्होंने जियो न्यूज से बातचीत में कहा कि सुप्रीमकोर्ट के फैसले से पहले से ही पीड़ित मुसलमान समुदाय पर दबाव और अधिक बढ़ेगा।
कुरैशी ने कहा कि फैसले के विस्तार से अध्ययन के बाद पाकिस्तान का विदेश विभाग आधिकारिक वक्तव्य जारी करेगा। उन्होंने हालांकि आज के दिन फैसले की घोषणा पर प्रश्नचिह्न खड़े किए। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि सुप्रीमकोर्ट ने लंबे समय के बाद आज फैसला सुनाया। भारतीय अदालत ने आज ही क्यों आदेश सुनाया।
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विदेश मंत्री ने कहा कि करतारपुर कॉरीडोर के उद्घाटन के दिन ही सुनाए गए इस फैसले से पहले से पीड़ित समुदाय पर और दबाव बढ़ेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी नफरत की राजनीति के तहत घृणा के बीज बो रही है।
मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने भी अयोध्या पर आए फैसले के समय पर सवाल खड़ा किया है जबकि विज्ञान एवं प्रोद्यौगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने इस फैसले को गैरकानूनी एवं अनैतिक करार दिया है।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने संबंधी संविधान अनुच्छेद 370 एवं 35ए को समाप्त करने के बाद भी पाकिस्तान बौखलाया था और उसने अनाप-शनाप बयान जारी किए थे। पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समर्थन के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इसे उठाने की कोशिश की लेकिन हर जगह उसे मुंह की खानी पड़ी।
गौरतलब है कि सुप्रीमकोर्ट ने पांच सौ साल से अधिक पुराने अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद का शनिवार को पटाक्षेप करते हुए विवादित भूमि श्रीराम जन्मभूमि न्यास को सौंपने और सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में ही उचित स्थान पर पांच एकड़ भूमि देने का निर्णय सुनाया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने यह फैसला सुनाते हुए कहा कि विवादित भूमि श्रीराम जन्मभूमि न्यास को दी जाएगी तथा सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में ही पांच एकड़ वैकल्पिक जमीन उपलब्ध कराई जाए। गर्भगृह और मंदिर परिसर का बाहरी इलाका राम जन्मभूमि न्यास को सौंपा जाए।
पीठ ने कहा है कि विवादित स्थल पर रामलला के जन्म के पर्याप्त साक्ष्य हैं और अयोध्या में भगवान राम का जन्म हिन्दुओं की आस्था का मामला है और इस पर कोई विवाद नहीं है।