इस्लामाबाद। पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ईशनिंदा की आरोपी ईसाई महिला आसिया बीबी को बरी किए जाने के खिलाफ दायर याचिका मंगलवार को खारिज कर दी।
याचिका में 31 अक्टूबर 2018 को ईशनिंदा मामले में आसिया बीबी को बरी किए जाने के शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा की मांग की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई के मद्देनजर राजधानी में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। याचिका खारिज किए जाने के साथ ही आसिया बीबी मामले की अंतिम कानूनी बाधा समाप्त हो गई है।
अखबार डॉन के अनुसार पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान कहा कि आसिया बीबी को बरी किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में याचिकाकर्ता कोई भी गलती निकालने में सक्षम नहीं हो सका।
पिछले वर्ष सात नवंबर को मुल्तान के महिला जेल से रिहा किए जाने के बाद आसिया बीबी को विशेष विमान से इस्लामाबाद लाया गया था। उसके बाद सुरक्षा कारणों से कड़ी सुरक्षा के बीच उन्हें एक गुप्त स्थान पर रखा गया था।
याचिकाकर्ता कारी मुहम्मद सलाम के वकील गुलाम इकराम ने दोपहर बाद एक बजे मामले की सुनवाई शुरू होने पर मुख्य न्यायाधीश आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष अपनी दलीलें पेश कीं। खंडपीठ में मुख्य न्यायाधीश के अलावा न्यायाधीश काजी फैज ईसा और न्यायाधीश मजहर आलम खान शामिल थे।
वकील ने मांग की कि समीक्षा की याचिका के लिए एक बड़ी पीठ गठित की जाए और उसमें इस्लामी विद्वानों और उलेमाओं को शामिल किया जाए। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह धर्म का मामला कैसे हो सकता है? क्या फैसला मेरिट के आधार पर नहीं दिया गया है?
उन्होंने कहा कि फैसला गवाही के आधार पर दिया गया था। क्या इस्लाम यह कहता है कि अगर कोई दोषी न भी पाया जाए तो भी उसे दंडित किया जाना चाहिए? मुख्य न्यायाधीश खोसा ने कहा कि हमारे समक्ष यह साबित करें कि फैसले में क्या गलत है। आसिया बीबी पर आरोप था कि उन्होंने पड़ोसियों के साथ झगड़े में इस्लाम का अपमान किया था।