बाड़मेर। राजस्थान में बाड़मेर जिले के पाकिस्तान सीमा से सटे गांवों में पाकिस्तान खुफिया एजेंसी आईएसआई को खुफिया सूचनाएं भेजने के आरोप गिरफ्तार जासूस को एटीएस पूछताछ के लिए जयपुर ले गई है।
पुलिस अधीक्षक आनंद शर्मा ने आज बताया की सरहदी क्षेत्र में रोशनदीन को जासूसी करने के संदेह में पकड़ा गया है। उसे पूछताछ के लिए ले गए जयपुर ले जाया गया है। पुलिस मामले की जांच में जुटी है।
उधर, सीमा सुरक्षा बल ने चनेसर खान को पूछताछ के बाद छोड़ दिया है। सीमा पर स्थित केलनोर गांव में चल रहे भारत माला परियोजना के तहत निर्माण कार्य में कार्य कर रहे चनेसर खान को सीमा सुरक्षा बल ने संदिग्ध गतिविधियों में शामिल होने के शक में पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था।
उसके मोबाइल में पाकिस्तानी नंबर मिले थे, जिसे संदिग्ध मानकर उससे पूछताछ की गई। मगर उससे पूछताछ में कोई जानकारी संदिग्ध नहीं मिलने पर उसे पुलिस को सुपुर्द कर दिया गया। पुलिस ने तस्दीक के बाद उसे छोड़ दिया।
सू्त्रों ने बताया कि अस्सी और नब्बे के दशक में भारत पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर विस्फोटक पदार्थो, मादक पदार्थो और नकली नोटों की तस्करी चरम पर थी उस दौरान चौहटन क्षेत्र के सरूपे का तला, भीलों का तला, भभूते की ढाणी, भोजारिया आदि आईएसआई ने मुख्य केंद्र बना रखे थे, आईएसआई ने पुनः इस क्षेत्र में अपनी गतिविधियां आरम्भ कर दीं हैं।
बताया जाता है कि राष्ट्रद्रोही ताकतों का केंद्र बिंदु गुजरात का भुज हैं, जहां हाजी मूसा इनको हेंडल करता हैं। सूत्रों के अनुसार गुजरात के सीतपुर, कच्छ, भुज आई एस आई गतिविधियों के केंद्र हैं, जहाँ से बाड़मेर जैसलमेर जिलों में आईएसआई अपनी गतिविधियां संचालित करती है।
इससे पहले पाकिस्तान से सटे राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और श्रीगंगानगर जिलों में जासूसों को पाकिस्तान के बहावलपुर में आइएसआइ की फॉरवर्ड इंटेलीजेंस यूनिट के माध्यम से निर्देशित किया जाता था। फॉरवर्ड इंटेलीजेंस यूनिट पहले तो पाकिस्तान में उन लोगों को खोजती थी, जिनके रिश्तेदार भारत के पश्चिमी राजस्थान में रह रहे हैं।
इन लोगों को मोटी रकम का लालच देकर बाड़मेर, जैसलमेर और श्रीगंगानगर में अपने रिश्तेदारों को जासूसी के लिए तैयार करने का काम दिया जाता था। इन लोगों के माध्यम से राजस्थान के तीनों सीमावर्ती जिलों से जासूस तैयार करने के बाद कुछ को तो बहावलपुर बुलाकर ट्रेनिंग दी जाती थी और कुछ को मोबाइल फोन से ही दिशा-निर्देश दिए जाते थे। अब भी इन क्षेत्रों में सेना और बीएसफ की खुफिया इकाईयों पैनी नजर रखे हुए है। फिर भी यहां यदा कदा जासूसी के मामले सामने आ ही जाते हैं।