पालघर। महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी नीत सरकार ने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी की मांग पर पालघर में हुई हालिया जूना अखाडे के दो संतों तथा उनके ड्राइवर की पीटकर हत्या ‘मॉब लिंचिंग’ की घटना की सोमवार को उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए।
हिंसक भीड़ की ओर से की गई इस हिंसा में महाराष्ट्र के पालघर की धनु तालुका में रविवार को पुलिस के सामने एक बुजुर्ग समेत तीन लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी गई।
इस मुद्दे ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के नेता देवेंद्र फड़नवीस और प्रवीण दरेकर ने ना केवल हत्याओं की निंदा की है, बल्कि राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति पर भी चिंता व्यक्त की है।
पीड़ितों को पुलिस के सामने हमला किए जाने की घटना को अमानवीय बताते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फड़नवीस ने इस घटना की जांच की मांग की और कहा कि दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
दरेकर ने कहा कि राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख को इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत अपना इस्तीफा सौंप देना चाहिए। इसी बीच, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने ट्वीट कर बताया कि इस घटना के दोषियों को पकड़ा जा चुका है और इस घटना के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
गौरतलब है कि 16-17 अप्रेल के दौरान करीब 500 की संख्या में हथियारबंद भीड़ ने स्वामी कल्पवृक्ष गिरि (70), सुशील गिरी महराज, (35) और निलेश तेलगाडे (30) की शक के आधार पर हत्या कर दी थी। दोनों संत गुजरात के रास्ते पर थे जब यह घटना हुई तो वे धानु में कासा थाना के करीब गढ़चिंचले गांव पहुंचे थे।
इस मामले में तीन प्राथमिकी दर्ज करते हुए कासा पुलिस ने 101 लोगों को गिरफ्तार किया और एक स्थानीय अदालत ने सभी आरोपियों को 30 अप्रेल तक रिमांड पर भेज दिया है जबकि नौ अन्य किशोरियों को भिवंडी रिमांड घर भेज दिया गया है।
इस बीच जिलाधिकारी कैलास शिंदे ने इस घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस की भूमिका की भी जांच की जाएगी। साथ ही यह भी पूछताछ की जाएगी कि तीनों इस लॉकडाउन के दौरान कैसे यात्रा कर रहे थे।
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