सीकर। राजस्थान के सीकर जिले में आगामी पंचायत चुनाव में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष मेहरिया एवं महादेव सिंह खण्डेला, पूर्व मंत्री प्रेम सिंह बाजौर, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत एवं पूर्व विधायक एवं वरिष्ठ नेता अमराराम सहित कई नेताओं की चुनाव प्रतिष्ठा दांव पर लगी हैं।
इस चुनाव में डोटासरा के कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष होने एवं सीकर उनका गृह जिला होने के कारण उनकी चुनाव प्रतिष्ठा दांव पर हैं और वह गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली भारी सफलता को बरकरार रखना चाहेंगे। उल्लेखनीय है कि सीकर जिले में गत विधानसभा चुनाव में आठ सीटों में सात पर कांग्रेस ने जीत का परचम पहराया और एक जगह खण्डेला निर्दलीय विधायक के रुप में चुनाव जीता, वह भी फिर से कांग्रेस का दामन थाम चुके हैं।
डोटासरा के लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र में लक्ष्मणगढ़ एवं नेछवा दो पंचायत समितियां आती हैं और उन सहित जिले की 12 पंचायतों में उनके सामने कांग्रेस की जीत दर्ज करने की चुनौती रहेगी। पिछले चुनाव के समय जिले में नौ पंचायतों में छह पर कांग्रेस एवं तीन पर भाजपा का दबदबा रहा था। इस बार तीन पंचायतें बढ़ गई हैं।
डोटासरा के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उनका राजनीतिक कद भी बढ़ा हैं और उनका सीकर जिले में अपना राजनीतिक दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। जिले में पूर्व केन्द्रीय मंत्री महरिया के फिर से कांग्रेस में आने एवं खण्डेला के भी निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद फिर से कांग्रेस का दामन थामने से डोटासरा की राह और आसान नजर आ रही हैं। हालांकि महरिया एवं खण्डेला की भी अपने क्षेत्रों में चुनावी साख बचाने की चुनौती रहेगी।
किसान परिवार से आने वाले डोटासरा के पार्टी की प्रदेश में कमान संभालने के बाद जिले में लोगों का उनके प्रति रुझान बढ़ने लगा हैं और इसका फायदा भी उन्हें मिलने की संभावना है। डोटासरा का कहना है कि इन चुनावों में भी उनकी कांग्रेस सरकार के जनहित एवं अच्छे कामों का प्रभाव नजर आएगा।
इन चुनावों में इनके अलावा पूर्व विधानसभा अध्यक्ष दीपेन्द्र सिंह शेखावत, पूर्व मंत्री राजेन्द्र पारीक, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं वरिष्ठ नेता नारायण सिंह एवं पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे पूर्व मंत्री डा चन्द्रभान की भी इन चुनावों में चुनावी साख दांव पर रहेगी। इन चुनावों में डा चन्द्र भान को जिले में पार्टी का चुनाव पर्यवेक्षक बनाया गया हैं। इसके अलावा पूर्व कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता परसराम मोरदिया की भी चुनावी प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
जिले में भाजपा नेता एवं पूर्व मंत्री प्रेम सिंह बाजौर एवं लगातार दूसरी बार सांसद बने सुमेदानंद की भी चुनावी साख दांव पर लगी हुई हैं। इसी तरह भाजपा के प्रदेश किसान मोर्चा के अध्यक्ष हरिराम रणवां की भी चुनाव प्रतिष्ठा दांव पर हैं। भाजपा के इन नेताओं के सामने इन चुनावों में पार्टी की स्थिति और मजबूत करने की चुनौती रहेगी।
जिले में कुछ क्षेत्रों में अपना दबदबा रख चुकी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता अमराराम चौधरी एवं पेमाराम चौधरी की भी इन चुनावों में चुनावी साख दांव पर लगी हुई हैं और उनके सामने भी फिर से राजनीतिक दबदबा कायम करने की चुनौती रहेगी।
जिले के पंचायत चुनाव के इतिहास में वर्षों से कांग्रेस का दबदबा रहा है लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भाजपा ने भी जोर दिखाकर अपनी पकड़ मजबूत करने के प्रयास किए हैं और उसमें वह कुछ हद तक सफल भी रही है। माकपा का दबदबा जिले में कुछ सीमित क्षेत्रों में ही रहा और अब तो उसे अपने वजूद को फिर से कायम रखने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। इन चुनावों में निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रभाव भी देखने को मिल सकता हैं।
सीकर जिला परिषद के अलावा जिले में 12 पंचायत समितियों के विभिन्न चरणों में चुनाव होने हैं और इसके लिए नामांकन प्रक्रिया चल रही है। जिला परिषद के 39 वार्ड सदस्यों के लिए चुनाव होंगे जबकि पिपराली, लक्ष्मणगढ़, नेछवा, फतेहपुर, दांतारामगढ़, पलसाना,धोद, श्रीमाधोपुर, अजीतगढ़, खंडेला, नीमकाथाना व पाटन पंचायत समितियों के चुनाव होंगे। इस बार पलसाना, अजीतगढ़ और नेछवा नई पंचायतें गठित हुई है जहां पहली बार प्रधान बनेगा।