पापाकुंशा एकादशी | कठिन तपस्या द्वारा भक्त जो पुण्य प्राप्त करते हैं, वही पुण्य फल इस एकादशी पर विष्णु भगवान को नमस्कार करने से ही मिल जाता है । अश्विन मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली इस एकादशी को पापाकुंशा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी पर व्रत रखने से मन वांछित फल प्राप्त होता है। इस व्रत की कथा इस प्रकार है-
प्राचीन काल में विद्यांचल पर्वत पर क्रोधना नाम का शिकारी रहता था जो बहुत ही क्रूर था। पूरा जीवन उसने दुष्टता भरे कार्य ही किए थे लेकिन वह मौत के नाम से भयभीत रहता था।
उसके जीवन के अंतिम दिनों में यमदूत जब उसके प्राण लेने पहुंचते हैं तो भयभीत शिकारी अंगारा नाम के ऋषि के पास जाता है और सहायता मांगता है तब ऋषि उसे पापाकुंशा एकादशी के बारे में बताते हैं कि वह इस एकादशी का विधि विधान से व्रत कर विष्णु भगवान की आराधना करें तो उसके समस्त पाप क्षमा हो जाएंगे और उसे मुक्ति मिल जाएगी ।
कहते हैं जो इस व्रत को करता है उसे यमलोक के दुख नहीं भोगने पड़ते। यह एकादशी व्रत करने वालों के मातृ पक्ष के 10 और पितृपक्ष के 10 पितरों को विष्णु लोक लेकर जाती है।