कोलकाता। कला मंदिर प्रेक्षागृह में रविवार शाम ‘परचम’ ने अपनी स्वर्णिम प्रस्तुति का परचम फहरा दिया। परचमोत्सव नामक उक्त कार्यक्रम के पहले खण्ड में, लेखक-सम्पादक संजय बिन्नाणी द्वारा सम्पादित स्वर्ण कलश स्मारिका एवं हिन्दी फिल्मी गीत-संगीत के सामाजिक सरोकार शीर्षक पुस्तक, जिसके लेखक हैं प्रमोद शाह का लोकार्पण किया गया।
अमिताभ माहेश्वरी के निर्देशन में, उत्सव के थीम सॉन्ग की प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम का मंगलाचरण हुआ। ‘परचम’ के संस्थापक सदस्य मुकुंद राठी ने परचमोत्सव की पृष्ठभूमि बताई। ‘परचम’ के अध्यक्ष सज्जन भजनका ने स्वागत भाषण दिया और संरक्षक हरिकिशन चौधरी ने ‘परचम’ की गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर, परचम की प्रस्तुतियों में कुशल संगीत संयोजन के लिए संगीत निर्देशक नीलमणि राठी का अभिनंदन किया गया। साथ ही, गायक विजय ओझा, धीरेन सांघवी, विनीत कोठारी, मारुति मोहता, संगीता सांघवी को, संचालन के लिए सुप्रिया बैद व संजय बिन्नाणी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा परदे के पीछे रह कर ‘परचम’ के कार्यक्रमों की शानदार रुपरेखा बनाने के लिए मुकुंद राठी को अंग-वस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम के दूसरे खण्ड में, बॉलीवुड के मशहूर फनकार अरुण कुमार डागा ने काव्या व कृति के साथ पचास मिनट में हिन्दी सिनेमा के पचास सदाबहार गीत सुनाकर न केवल खूब तालियाँ बटोरी, बल्कि श्रोताओं को भी गीत-संगीत के सागर में गोता लगाने को मजबूर कर दिया। अरुण डागा ने कुछ गीत श्रोताओं से भी गवाए।
अनुराग मोहता के दल ने कुछ गानों पर भावानुकूल नृत्य किया। मंचासीन लोगों में राजेंद्र प्रसाद मोदी, शांता सारडा, महावीर प्रसाद अग्रवाल,रमानंद रुस्तगी व विमल केजरीवाल शामिल थे। कार्यक्रम का सफल संचालन कपिला मूंधड़ा ने किया। पवन अग्रवाल ने नेपथ्य से सहयोग किया। खचाखच भरे प्रेक्षागृह में, हिंदी फिल्मों के नए-पुराने गीत सुनते हुए श्रोता मस्ती में झूम उठे।