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संसद का ऐतिहासिक मानसून सत्र समय से पहले समाप्त - Sabguru News
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संसद का ऐतिहासिक मानसून सत्र समय से पहले समाप्त

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संसद का ऐतिहासिक मानसून सत्र समय से पहले समाप्त

नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बीच आयोजित संसद का ऐतिहासिक मानसून सत्र आज तय समय से पहले समाप्त कर दिया गया।

राज्यसभा में सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदन के 252वें सत्र और बाद में लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। दोनों मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं संबंधित सदनों में मौजूद थे।

संसद का यह सत्र 14 सितंबर को शुरू हुआ था और 1 अक्टूबर तक होना तय किया गया था, लेकिन कोविड-19 के मद्देनजर इसे समय से पहले समाप्त करना पड़ा। इससे पहले इस साल बजट सत्र भी इसी कारण समय से पहले समाप्त करना पड़ा था।

सत्र के दौरान दोनों सदनों की 10-10 बैठकें हुईं। इस दौरान कृषि क्षेत्र से जुड़े तीन महत्वपूर्ण विधेयक पारित किये गये जिस पर राज्यसभा में विपक्ष ने जबरदस्त हँगामा भी किया और बाद में दोनों सदनों में लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों के बहिर्गमन के कारण उनकी अनुपस्थिति में ही कार्यवाही चली।

इसके अलाव श्रम कानूनों से संबंधित तीन संहिताओं और वित्त वर्ष 2020-21 की अनुपूरक अनुदान माँगों और उनसे संबंधित विनियोग विधेयक को भी संसद की मंजूरी मिली। इसके अलावा पीएम केयर्स फंड को मान्यता देने और कोविड-19 के मद्देनजर कराधान अनुपालना में छूट संबंधी ‘कराधान एवं अन्य विधि (कतिपय उपबंधों का स्थिलिकरण और संशोधन) विधेयक पर भी संसद की मुहर लग गई।

यह सत्र कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी बनाये रखने के लिए सत्र के दौरान दोनों सदनों की बैठक अलग-अलग समय में आयोजित करनी पड़ी। संसद के इतिहास में पहली बार लोकसभा के सदस्य कार्यवाही के दौरान राज्यसभा कक्ष में और दोनों कक्षों की दर्शक दीर्घाओं में भी बैठे।

इसी प्रकार राज्यसभा के सदस्य भी दोनों कक्षों में दर्शक दीर्घाओं में बैठे। यह भी पहली बार ही हुआ कि पूरे सत्र के दौरान प्रश्नकाल नहीं हुआ। दर्शकों को इस बार संसद की कार्यवाही देखने की अनुमति नहीं दी गई।

सत्र के दौरान लोकसभा में 16 सरकारी विधेयक पुर:स्थापित किये गये और कुल 25 विधेयक पारित किये गये। कोविड-19 महामारी पर नियम 193 तहत पाँच घंटे आठ मिनट की अल्पकालिक चर्चा हुई। सदस्यों द्वारा शून्य कार्य में लोकमहत्व के 370 मामले उठाए गए।

नियम 377 के तहत सदस्यों ने लोक महत्त्व के 181 अविलंबनीय मामले सदन के समक्ष रखे। मंत्रियों ने 855 पत्र सभापटल पर रखे। प्रश्नकाल नहीं होने के बावजूद 2,300 अतारांकित प्रश्नों के लिखित उत्तर दिए गए।

आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020; कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020; कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020; उपजीविकाजन्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्यदशा संहिता, 2020; औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 और सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020 सत्र के दौरान पारित कुछ महत्त्वपूर्ण विधेयकों में शामिल हैं।

बिरला ने बताया कि 10 बैठकों में कुल 60 घंटे कामकाज हुआ जबकि निर्धारित समय 37 घंटे का था। इस प्रकार सदन की कार्य-उत्पादकता 167 फीसदी रही। इसमें 68 प्रतिशत समय में विधायी कार्य हुए। मंत्रियों द्वारा विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों पर 40 वक्तव्य दिए गए।

इसमें कोविड-19 महामारी, कृषि क्षेत्र में न्यूनतम समर्थन मूल्य तथा लद्दाख सीमा के पास घटित हो रहे घटनाक्रम पर संबंधित मंत्रियों द्वारा वक्तव्य शामिल है। सत्र के दौरान, संबंधित मंत्रियों ने कुल 855 पत्र सभा पटल पर रखे।

उन्होंने कोविड-19 की चुनौतियोंं के बीच सदन के सफल संचालन और स्वास्थ्य संबंधी प्रोटोकॉल के पालन के लिए सभी सदस्यों, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सभापति तालिका में शामिल अपने सहयोगियों, संसदीय कार्य मंत्री, विभिन्न दलों के नेताओं और लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों, प्रेस और मीडिया के सदस्यों, लोकसभा और राज्य सभा महासचिव तथा लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को धन्यवाद दिया।