नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने सोमवार को सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक, व्हाटस्ऐप और इंस्टाग्राम के अधिकारियों को छह मार्च को समिति के समक्ष पेश होने के नोटिस जारी किए और ट्वीटर के प्रतिनिधि से पूछताछ की तथा उन्हें 10 दिन के भीतर जवाब देने को कहा।
सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने यहां बताया कि समिति ने ट्वीटर के वैश्विक लोक नीति प्रमुख कोलिन क्रोवेल से आज पूछताछ की और उन्हें भारत में आगामी आम चुनावों को विदेशियों द्वारा प्रभावित नहीं करने उपाय करने को कहा।
ठाकुर ने कहा कि ट्वीटर के वैश्विक लोक नीति प्रमुख कोलिन क्रोवेल ने समिति के कुछ सवालों के जवाब दिए। बाकी सवालों के जवाब उनसे दस दिन के भीतर लिखित में मांगें गए हैं। फेसबुक, व्हॉटसऐप और इंस्टाग्राम के अधिकारियों को छह मार्च को समिति के समक्ष पेश होने को कहा गया है।
भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा सांसद श्री ठाकुर ने कहा कि कुछ देशों में विदेशी हस्तक्षेप के कारण स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं होने के आरोप लगते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी पर संसदीय समिति के सदस्यों का यह मानना है कि भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए इन कंपनियों को नियमित रुप से चुनाव आयोग से मिलना चाहिए। इस समिति में 31 सदस्य हैं जिनमें भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल है। समिति में 21 सदस्य लोकसभा से और 10 सदस्य राज्यसभा से हैं।
गौरतलब है कि संसदीय समिति ने ट्वीटर समेत कई सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट कंपनियों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता तथा डाटा सुरक्षा के मुद्दे पर विचार विमर्श करने के लिए नाेटिस जारी किए थे। लेकिन ट्वीटर ने संसदीय समिति के समक्ष पेश होने में आना कानी की तो समिति ने इस पर सख्त रुख अपनाया।
सूत्रों के अनुसार बैठक ने ठाकुर ने ट्वीटर के मुख्यकारी अधिकारी जैक डाेरसे का पत्र पढ़ा जिसमें क्रोवेल को समिति के समक्ष पेश होने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था। समिति ने क्रोवेल से सवाल-जवाब किए और दस दिन के भीतर लिखित जवाब देने तथा आगामी आम चुनावों को विदेशियों द्वारा प्रभावित नहीं होने देने के उपाय करने को कहा।
इसके अलावा ट्वीटर को चुनाव से संबंधित मुद्दों का उसी समय समाधान करने के लिए चुनाव आयोग के साथ मिलकर काम करने को कहा गया। सूत्रों के अनुसार जरुरत पड़ने होने पर ट्वीटर को फिर से समिति के समक्ष बुलाया जा सकता है।
सूत्रों ने बताया कि समिति के कुछ सदस्यों का आरोप है कि ट्वीटर एक मीडिया संस्थान की तरह से काम कर रहा है और संदेशों को संपादित करके चयनित लोगों तक पहुंचा रहा है। उनका कहा है कि इसको देखते हुए ट्वीटर पर विदेशी प्रत्यक्ष निवेश के नियम लागू किए जाने चाहिए।