नई दिल्ली। लोकसभा ने दिल्ली में प्रदूषण की समस्या तथा वैश्विक स्तर जलवायु परिवर्तन को लेकर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए इसेे मानवजाति तथा धरती के अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि इस पर नजर रखने के लिए संसद की स्थायी समिति गठित की जानी चाहिए और उसके काम की हर सत्र में समीक्षा हो।
लोकसभा में कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने मंगलवार को नियम 193 के तहत ‘वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि जलवायु परिवर्तन तथा वायु प्रदूषण जैसे मुद्दे हमारे अस्तित्व का संकट बन गये हैं। यह सत्ता या विपक्ष या किसी दल अथवा देश से जुड़ा मुद्दा नहीं रह गया है बल्कि धरती के अस्तित्व का सवाल बन गया है और हमारे लिए साफ हवा में सांस लेना कठिन हो गया है इसलिए इसके लिए संसद को पहल करनी चाहिए और स्थायी समिति का गठन कर इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि समिति ने जलवायु परिवर्तन की समस्या अथवा प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए जो काम किया है उसकी हर सत्र में समीक्षा हो। इससे हम अपनी आने वाली पीढ़ी को जीवन के लिए जरूरी साफ हवा और पानी दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह काम कठिन नहीं है क्योंकि चीन की राजधानी बीजिंग 1998 में दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर था लेकिन उसने अपनी वायु की गुणवत्ता में सुधार लाया है।
तिवारी ने कहा कि दिल्ली दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हाल में 15 प्रमुख प्रदूषित शहरों की सूची जारी की है जिसमें भारत के दिल्ली, फरीदाबाद, गुरुग्राम, कानपुर, वाराणसी, जयपुर, जोधपुर, पटना, गया जैसे 14 शहर शामिल है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के प्रदूषण के लिए पराली को ज्यादा जिम्मेदार ठहराया जाता है। पराली के कारण यह शहर हर साल इसी दौरान प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि किसान को पराली नहीं जलानी पड़े इसके लिए सरकार को उन्हें आर्थिक मदद करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में वाहन प्रदूषण 41 प्रतिशत है जबकि औद्योगिक प्रदूषण 18 प्रतिशत है।