नई दिल्ली। करतारपुर गलियारे के उद्घाटन में दो दिन से भी कम समय रह गया है और भारत ने गुरुवार को कहा कि सीमा पार से विरोधाभासी रिपोर्टें आ रहीं हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि पाकिस्तान से विरोधाभासी रिपोर्टें आ रहीं हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की यह टिप्पणी पाकिस्तान की सेना के बयान के बाद आई है जिसमें पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने कहा कि करतारपुर आने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए वीसा जरूरी होगा। इससे पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट करके घोषणा की थी कि तीर्थयात्रियों को पासपोर्ट की जरूरत नहीं होगी।
वास्तविक स्थिति पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि दोनों देशों के बीच एक करार पर दस्तखत किए गए हैं और उसमें पासपोर्ट की अनिवार्यता लिखी है। वास्तविकता में यात्रा का यह नियम तब तक लागू होगा जब तक कि समझौते के संशोधित स्वरूप पर दस्तखत ना हो जाएं। पाकिस्तान या भारत को समझौते में एकतरफा बदलाव करने या घोषणा करने का कोई हक नहीं है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत ने नौ नवंबर को उद्घाटन कार्यक्रम के तहत करतारपुर जाने वाले 576 लोगों की सूची पाकिस्तान को 30 अक्टूबर को सौंपी थी जिस पर पांच नवंबर तक पाकिस्तान की स्वीकृत आ जानी थी। उन्होंने औपचारिक स्वीकृत नहीं आने का संकेत देते हुए कहा कि हम मान कर चल रहे हैं कि स्वीकृति मिल जाएगी और इसी दृष्टि से हमने उन सभी लोगों को कह दिया है कि वे चलने काे तैयार रहें।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान से नौ तारीख से पहले एक एडवांस पार्टी के करतारपुर जाने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया था जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की सुरक्षा के इंतज़ाम की समीक्षा की जा सके। लेकिन पाकिस्तान ने उसकी भी अनुमति नहीं दी है।
कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को पाकिस्तान जाने की राजनीतिक मंजूरी दिए जाने के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि व्यक्तिगत मामलों पर उनकी टिप्पणी की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि सिद्धू क्या करना चाहते हैं, यह उन पर निर्भर है। करतारपुर गलियारे का विषय बहुत बड़ा है इसलिए हम व्यक्तियों के मसलों पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर सकते हैं।
करतारपुर गलियारे के खुलने के बाद दोनों देशों के बीच शांति वार्ता दोबारा शुरू होने की संभावना के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा कि हमने कभी नहीं कहा कि इस गलियारे के खुलने से शांतिवार्ता दोबारा शुरू होगी। भारत का रुख बहुत स्पष्ट है कि पाकिस्तान अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में आतंकवादियों के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करे और आतंकी ढांचा नष्ट करे तभी आतंक से मुक्त माहौल में द्विपक्षीय बातचीत शुरू हो सकती है। सिद्धू ने विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर काे तीन बार पत्र लिखकर राजनीतिक मंजूरी देने का अनुरोध किया है।