छाँव से निकलकर ,धूप में जलकर चलना होगा
गाँव से शहर सभी का स्वरूप हमें मिलकर बदलना होगा ,
सभी को सम्मान देना होगा,
शिक्षा से एकता का ज्ञान देना होगा
यूँ इस तरह देश के लिए कुछ हटकर करना होगा
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विस्तार घरानों से नहीं बनता
घर आशियानों से नहीं बनता
उन टूटी बस्ती को भी दे कुछ अपनी मदद ए अमीरों
उनकी अपनी दीवारों को भरना होगा
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सिर्फ डिजिटल करना देश का बिकास नहीं है
इस कल पर मुझे अब भी विश्वास नहीं है
गरीबों की मानसिकता बहुत छोटी है
सरकार साहब
इतने बड़े फैसलों पर भी
कौन यहाँ इनके बाद भी निराश नहीं है
क्या इससे भी सिर्फ उनको छिलना होगा,,,,
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अशिक्षा भेदभाव हिंसा बलात्कार ये सबसे बड़ा है हमारा विकार
जागरूकता जल्दी लाईए करें इसपर विचार
बस यही मेरी गुहार तुमसे सरकार
हाँ जरा शायद हम सबको भी सँभलना होगा,,,,,,,,,,,,,,,
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नाम – नीतेश उपाध्याय
स्वरचित, मौलिक, अप्रकाशित
पता- दमोह मध्यप्रदेश