भोपाल । मध्यप्रदेश की मौजूदा कांग्रेस सरकार ने पिछले पंद्रह वर्षों के दौरान कथित तौर पर राजनैतिक विद्वेष के चलते दर्ज किए जाने वाले आपराधिक प्रकरणों की समीक्षा करने और उसके बाद ऐसे मामलों को वापस लेने का निर्णय लिया है।
राज्य के विधि एवं विधायी कार्य मंत्री पी सी शर्मा ने आज कहा कि इस संबंध में उन्होंने विभाग के अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले पंद्रह वर्षों के दौरान भाजपा के शासन में राजनैतिक और विभिन्न अांदोलनों के दौरान विभिन्न वर्गों के लोगों के खिलाफ भी राजनैतिक विद्वेष के चलते आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ के निर्देश पर ऐसे सभी प्रकरणों की सरकार समीक्षा करेगी और संबंधित प्रकरण वापस लिए जाएंगे।
शर्मा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि इन प्रकरणों में वे प्रकरण भी शामिल हैं, जो पिछले वर्ष अप्रैल माह में दलित आंदोलन के दौरान विभिन्न वर्गों के खिलाफ दर्ज किए गए थे। इन सभी की भी समीक्षा होगी और बेकसूर लोगों के खिलाफ प्रकरण हटाए जाएंगे। उन्होंने इस बात से इंकार किया कि इस मामले में कोई राजनीति है। शर्मा का साफ कहना है कि सरकार सभी वर्गों का ध्यान रखेगी और किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी।
राज्य में पिछले वर्ष अप्रैल माह में दलित आंदोलन के दौरान ग्वालियर चंबल अंचल में हिंसक घटनाएं भी हुयी थीं। इस दौरान पुलिस प्रशासन ने सैकड़ों लोगों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किए थे। इसके अलावा राज्य में वर्ष 2003 से 2018 तक भाजपा का शासन रहा। इस दौरान भी विभिन्न अांदोलनों के दौरान सैकड़ों प्रकरण दर्ज हुए हैं। माना जा रहा है कि सरकार इन्हीं सभी प्रकरणों की समीक्षा कराएगी।
वहीं मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार को समर्थन देने वाले दल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती पहले ही कह चुकी हैं कि राज्य में अप्रैल माह में हुए आंदोलन के दौरान वर्ग विशेष के खिलाफ दर्ज किए गए आपराधिक प्रकरणों को सरकार वापस ले। ऐसा नहीं होने पर उन्होंने समर्थन वापस लेने की चेतावनी भी दी है। सरकार के इस कदम को इसी चेतावनी से जोड़कर देखा जा रहा है, हालाकि शर्मा इस बात से इंकार करते हैं।