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अमित शाह का शहीदों क़ो नमन नहीं करना उनका अपमान : डोटासरा - Sabguru News
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अमित शाह का शहीदों क़ो नमन नहीं करना उनका अपमान : डोटासरा

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अमित शाह का शहीदों क़ो नमन नहीं करना उनका अपमान : डोटासरा

जयपुर। राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा है कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनके लिए भारतीय जनता पार्टी कार्यकर्ताओं ने जोधपुर में शहीद स्मारक पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के रखे कार्यक्रम में दो मिनट निकालकर शहीदों को नमन तक ना कर राजस्थान के शहीदों का अपमान किया है।

डोटासरा ने आज बयान जारी कर कहा कि ब्रिटेन की महारानी के लिए एक दिन का राष्ट्रीय शोक रखने वाली सरकार के प्रतिनिधि द्वारा हमारे देश के शहीदों का अपमान करना लाजिमी है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा की आपसी लड़ाई इतनी बढ़ गईं कि खुद अमित शाह को यहां आना पड़ा जिससे समझौता करवाया जा सके। परन्तु आज अगर मंच पर बैठे लोगों की भाव भंगिमाएं देखेंगे तो पता चलेगा कि अमित शाह भी इस झगड़े को नहीं रोक पाए हैं।

उन्होंने कहा कि आज पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के किसानों को आशा थी कि केन्द्रीय गृह मंत्री राजस्थान आए हैं तो वो प्रधानमंत्री द्वारा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (आईआरसीपी) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने के लिए किए गए वादे को पूरा करने की बात कहेंगे। यह बेहद ही आश्चर्यजनक बात है कि ईआरसीपी जितनी महत्वपूर्ण परियोजना का शाह ने जिक्र तक नहीं किया।

डोटासरा ने शाह के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि अभी तक 15 अगस्त 1947 से 31 दिसंबर 1970 की अवधि के शहीदों के एक आश्रित को राजकीय सेवा में नियोजित करने का प्रावधान था, राज्य सरकार ने इसे अब बढ़ाकर 31 दिसंबर 1971 तक की अवधि तक कर दिया है जिससे 1971 के युद्ध में शहीद हुए जवानों के परिजनों को भी लाभ मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकारों ने ऐसा क्यों नहीं किया, क्या उनके मन में शहीदों के परिजनों के लिए कोई संवेदनाएं नहीं हैं।

किसान कर्जमाफी पर बीजेपी की सोच केन्द्र सरकार द्वारा 24 जुलाई 2018 को लोकसभा में दिए इस जवाब से जाहिर होती है. किसान कर्जमाफी की योजना पर मोदी सरकार ने कहा- केन्द्र सरकार का किसान कर्जमाफी का कोई विचार नहीं है, किसान कर्जमाफी से ‘डिफॉल्टर’ किसानों को प्रोत्साहन मिलता है जिससे किसान ‘जानबूझकर’ कर्ज नहीं चुकाते, इससे किसान बार-बार कर्जमाफी की मांग करते हैं और ऐसी मांग को खारिज करना मुश्किल होता है।

उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने 2008 में 72 हजार करोड़ रुपए की किसान कर्जमाफी की थी। हमारे लिए किसानों का कर्जमाफ करना प्राथमिकता थी और आपके लिए उद्योगपतियों को कर्ज देकर विदेश भगाना प्राथमिकता है।

उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी ने किसान कर्जमाफी का वादा किया और सरकार में आने के तीसरे दिन ही वादे को निभाया और सहकारी बैंकों से करीब 21 लाख किसानों की आठ हजार करोड़ रुपए की कर्जमाफी की। हमारी सरकार ने कोई सीमा नहीं रखी और हर एक किसान की जानकारी जनसूचना पोर्टल पर अपलोड की।