SABGURU NEWS | बलरामपुर देश की इक्यावन शक्तिपीठों मे एक विश्व विख्यात आदि शक्ति मां पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर मे चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन से ही देश विदेश से आये दर्शनार्थियों का तांता लगा हुआ है।
देवीपाटन मंदिर उत्तर प्रदेश मे बलरामपुर जिले के भारत-नेपाल सीमा से सटे तुलसीपुर तहसील क्षेत्र के पाटन गांव मे सिरिया नदी के तट पर स्थित है। माँ पाटेश्वरी की पुष्प ,नारियल ,चुनरी ,लौंग ,इलायची कपूर एवं अन्य पूजन सामग्रियां चढाकर पूजा अर्चना की जाती है। दूर दराज से आये अधिकांश देवीभक्त यहां स्थित सूर्य कुंड मे पवित्र स्नान कर पेट पलनिया चलकर मां के दरबार में दर्शन करते है।
मंदिर के महन्त योगी मिथलेश नाथ के अनुसार ,पिता दक्ष प्रजापति के यहां आयोजित बड़े अनुष्ठान मे अपने पति इष्टदेव महादेव को न्योता और स्थान नहीं दिये जाने से क्षुब्ध मां जगदम्बा ने स्वयं को अग्नि को भेंट कर सती कर लिया था। माता के सती होने से आक्रोशित महादेव अत्यंत दुखी हुये और माता सती के शव को कंधे पर रखकर तांडव करने लगे। शिव तांडव से धरती थर्राने लगी और संसार मे व्यवधान उत्पन्न होने लगा। संसार को विनाश से बचाने के लिये भगवान विष्णु ने सती के अंगो को सुदर्शन चक्र से खण्डित कर दिया।
विभिन्न इक्यावन स्थानों पर गिरा दिया जिन जिन स्थानों पर माता के अंग गिरे वह स्थान शक्तिपीठ माने गये। यहां पाटन गांव मे मां जगदम्बा का बाया स्कंद पाटम्बर समेत गिरा । तभी से इसी शक्तिपीठ को मां पाटेश्वरी देवी पाटन मंदिर के नाम से जाना जाता है।