नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा का चुनाव आज खत्म हो गया। 70 सीटों के लिए हुए चुनाव में राजधानी की जनता पूरे जोश में नजर आई। इन चुनावों में भाजपा, आम आदमी पार्टी की ओर से दिल्ली की गद्दी पर काबिज होने के लिए जबरदस्त लड़ाई देखी जा रही है। भाजपा के खिसकते जनाधार को बचाने के लिए लड़ाई लड़ रही है, वहीं दूसरी ओर आम आदमी पार्टी पिछले चुनाव 2015 में इतिहास दोहराने के लिए जी तोड़ मेहनत की है।
अब दिल्ली की जनता ने अपना जनादेश ईवीएम में कैद कर दिया है, इसका फैसला 11 फरवरी को आएगा। इस बार दिल्ली के विधानसभा चुनाव में जहां आम आदमी पार्टी ने अपने विकास कराए गए एजेंडे पर लड़ा वहीं भारतीय जनता पार्टी ने यह चुनाव राष्ट्रवाद को प्राथमिकता दी है।
क्या इस बार अरविंद केजरीवाल का चलेगा जादू ?
पिछले चुनाव में दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतने वाले केजरीवाल का जादू इस बार चलेगा या नहीं इस पर पूरे देश की निगाहें हैं। केजरीवाल अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान विशेषकर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों को गिनाते हुए इस बार भी पूरे आत्मविश्वास में हैं। दिल्ली की पहली विधानसभा का गठन 1993 में हुआ था और इस बार यहां पर सातवां विधानसभा चुनाव कराया जा रहा है। दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा में इस बार महज एक चरण में मतदान हो रहा है।
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी 2020 को समाप्त हो जाएगा। दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने इस इम्तिहान के लिए करीब 30 दिनों तक जोर-शोर से तैयारी की। प्रचार के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों ने अपने-अपने हिसाब से मुद्दों का चयन किया और उसी को आधार बनाकर जनता से वोट की डिमांड की। आम आदमी पार्टी ने दिल्ली चुनाव प्रचार की शुरुआत ‘अच्छे बीते पांच साल, लगे रहो केजरीवाल’ के नारे के साथ की। अपने इसी नारे को ध्यान में रखकर आप ने सोशल मीडिया से लेकर पूरी दिल्ली में प्रचार-प्रसार किया।
भाजपा ने विधानसभा चुनाव में शाहीन बाग का मुद्दा खूब भुनाया
नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में लोग करीब दो महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। इससे पहले सीएए के खिलाफ विरोध जताने के लिए सीलमपुर, जामिया आदि इलाकों में हिंसक प्रदर्शन भी हुए। दिल्ली चुनाव प्रचार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उतरते ही प्रचार की पूरी दिशा शाहीन बाग की ओर हो गई। शाह अपनी रैलियों में सीधे-सीधे कहते दिखे कि यह चुनाव आतंकियों का सफाया करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शाहीन बाग समर्थकों के बीच की लड़ाई है।
नागरिकता कानून पर पीएम मोदी ने एक दिन पहले भी कहा कि हिंसा को प्रदर्शन का नाम दिया जा रहा है। इसके बाद पश्चिमी दिल्ली से भारतीय जनता पार्टी के सांसद प्रवेश वर्मा, आप से बीजेपी में आए कपिल मिश्रा, तेजिंदर सिंह बग्गा जैसे नेताओं ने पूरे प्रचार में शाहीन बाग और पाकिस्तान के मुद्दे को गरमाए रखा। इसी दौरान एक चुनावी सभा में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर विपक्षी दलों के खिलाफ विवादित नारा लगवाते भी दिखे।कुछ पर चुनाव आयोग ने प्रचार करने पर प्रतिबंध भी लगाया।
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार